ताजा खबर

*राजस्थान में घायल गौवंश के उपचार के लिए एंबुलेंस भी है मौजूद*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा ::राजस्थान के जालोर में गौवंश के उपचार के लिए मेडिकल क्लीनिक, मेडिकल स्टोर, कंपाउंडर, एंबुलेंस आदि की व्यवस्था है। गो सेवा संस्थान बिना किसी सरकारी सहायता के इसे संचालित कर रहा है। यहां 2 हजार से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता कार्यरत हैं। जालोर मानव सेवा के लिए बेहतर अस्पताल और संस्थान के लिए भी जाने जाते हैं। वहीं जालोर में गौसेवा को समर्पित गोशाला संचालित है।

गौवंश की देख रेख के लिए सर्दी के मौसम में शाम ढलने के साथ ही गर्म ऊनी कंबल ओढ़ाने, अलाव जलाने की व्यवस्था की जाती है। इस काम में युवाओं का जज्बा काबिले तारीफ है, जो गऊ रक्षा सेवा संस्थान की पहल से प्रेरित होकर लगातार सेवा भाव के जज्बे से काम करते है। यह संस्था गौवंश और अन्य पशुओं का उपचार कर उनकी सेवा करती है। जीएसएस मार्ग पर करीब 3 बीघा में यह संचालित है।

घायल गौवंश के उपचार के लिए मेडिकल क्लिनिक, 5 एंबुलेंस, 10 कंपाउंडर, 2 हजार से अधिक युवाओं की टोली, मेडिकल क्लिनिक में हर माह 2 से 2.50 लाख की दवा की व्यवस्था, बिना किसी सरकारी सहायता के संचालित है।

गौवंश के उपचार के लिए गऊ रक्षा सेवा संस्थान जिलेभर में कहीं पर भी घायल गौवंश की सूचना मिलने पर वहां एंबुलेंस भेजती है और उसे उसे क्लिनिक लाकर उपचार करती है। घायल गौवंश और अन्य पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए भी कई तरह की बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाता है। हर माह 2 से 2.50 लाख रुपये की दवाओं की जरूरत क्लिनिक को होती हैं, जो जन सहयोग और गौभक्तों के सहायता से प्राप्त करती है। कंपाउंडर दिन-रात रहते हैं। जिले में 2 हजार से अधिक युवाओं की टोली गो सेवा को समर्पित है। इस संगठन में जिलाभर में 2 हजार से अधिक युवाओं की टोलियां काम कर रही है। यह टोली प्रतिदिन 100 से 150 किमी का दायरा तय करती है

इस गोशाला में घायल बड़े नीलगाय, खरगोश, श्वान, ऊंट, बंदर, बिल्ली भी केन्द्र में मौजूद है। यहां पिंजरों में खरगोश और श्वान के बच्चे एक ही साथ रखे जाते हैं। संस्थान का मानना है कि अब इस केन्द्र के लिए यहां स्थान कम पड़ रहा है। वर्तमान में दस बीघा जमीन की आवश्यकता है।

वहीं राजस्थान के गुढ़ागौड़जी (झुंझुनूं) जिले के जाखल गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से एक ऐसी गौशाला की नींव रखी थी, जहां गायों के नाम से एक-एक लाख रुपये की फिक्स डिपॉजिट (एफडी) कराने की व्यवस्था कुछ वर्ष पहले शुरू की थी। फिक्स डिपॉजिट (एफडी) से ब्याज की राशि गायों के पालन पोषण में खर्च की जाती है।
———————————

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!