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किशनगंज : जिले के पोठिया प्रखंड में आशा कार्यकर्त्ता को एईएस का दिया गया प्रशिक्षण।

बच्चे में चमकी बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच कराएं।

ये हैं चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :

  • सुस्ती।
  • लगातार तेज बुखार रहना।
  • बदन में लगातार ऐंठन होना।
  • दांत पर दांत दबाए रहना।
  • कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
  • चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।

चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :

  • बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
  • गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
  • ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
  • रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
  • बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
  • पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बिहार के विभिन्न जिलों में एईएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की समस्या से लोग परेशान हैं। यह बीमारी अधिकांश गरीब व तीन से पांच साल के बच्चों में होती है। एईएस बीमारी में मस्तिष्क में सूजन हो जाती है। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी में कम गंभीर रोगियों में बुखार एवं सिर में दर्द की शिकायत होती है। वहीं गंभीर स्थिति वाले रोगी मानसिक रूप से विक्षिप्त, कंफ्यूज्ड (किंकर्तव्य विमूढ़ वाली स्थिति), चमकी का दौरा पड़ना, अपने आसपास की वस्तुस्थिति का ज्ञान न होना आदि लक्षण हैं। इसी क्रम में जिले के पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर के निर्देशानुसार कार्यरत सभी आशा एवं आशा फैसिलिटेटर के लिए एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। सभी प्रतिभागियों को इस बीमारी को लेकर विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। जिसमें एईएस/जेई का इलाज एवं रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सुनील कुमार ने भी प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को एईएस की रोकथाम के लिए विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सुनील कुमार ने प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके से जरूरी इलाज कर सकें और मरीजों को भी इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़े। इसको लेकर सभी प्रतिभागियों को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं। पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजन ने बताया कि चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच कराएं और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।

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