किशनगंज : जिले में 22 नवंबर से टीबी की बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए गांव-गांव खोजे जायेंगे मरीज
आंगनबाड़ी केन्द्र से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच शिविर लगा कर की जाएगी जांच, टीबी का इलाज सरकार की तरफ से बिल्कुल ही मुफ्त है

किशनगंज, 21 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी की बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी मुहिम के तहत जिले में 22 से 26 नवम्बर तक टीबी एक्टिव केस खोजी सघन अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान में गांव-गांव जाकर टीबी के मरीज खोजे जायेंगे। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। आंगनबाड़ी केंद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर तथा टीबी उन्मूलन की दिशा में समुदाय स्तर पर लगातार अभियान चलाया जाना है। इसके लिए ईंट-भट्ठों, झुग्गी-झोपड़ियों, महादलित टोलों, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों आदि जगह पर जांच शिविर लगाकर टीबी मरीजों की खोज होगी। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डा. एनामुल हक़ ने बताया कि जिले में टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला को टीबी मुक्त करने हेतु एक्टिव केस फाइन्डिंग अभियान 22 से 26 नवम्बर तक चलेगा। इसके प्रथम चरण के अंतर्गत चयनित टीबी मुक्त ग्रामों में आशा, आशा फैसिलिटेटर एवं सीएचओ के माध्यम से घर-घर रोगी खोजे जायेंगे। वहीं दूसरे चरण में 18 से 23 दिसंबर तक पुनः खोजी अभियान चलाया जाना है। उन्होंने बताया कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमी और वजन कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो टीबी की जांच जरूर कराएं। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डा. एनामुल हक़ ने बताया कि जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। दवा भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप, टूनेट व सीबीनेट मशीन द्वारा निःशुल्क की जाती है। मरीजों की जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से निःशुल्क की जाती है। नये रोगी चिह्नित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दिया जाता है। ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी नहीं फैले। उन्होंने कहा कि टीबी संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। डा. हक़ ने कहा कि टीबी मरीजों से संबंधित जानकारी को गोपनीय बनाये रखना जरूरी है। उनकी तस्वीर व नाम किसी भी रूप में सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों को टीबी व टीबी मरीजों को एचआईवी का खतरा अधिक होता है। दोनों ही रोग से बचाव के लिये जन जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होने पर पहले दो महीने तक टीबी की दवा खिलायी जानी जरूरी है। इसके बाद उन्हें एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर रेफर किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना। रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंडे का क्यों न हो। लगातार बुखार रहना। थकावट होना, वजन घटना, सांस लेने में परेशानी होना टीबी के लक्षण होते है। उन्होंने बताया कि जांच के बाद टीबी रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें। मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें। पौष्टिक खाना खाएं। योगाभ्यास करें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जाने से बचें। ये बचाव के तरीके है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि टीबी मरीजों से समाज के लोगों को किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को टीबी मरीजों के इलाज में सहयोग करना चाहिए। अगर हमलोग इलाज में सहयोग करेंगे तो जल्द से जल्द समाज टीबी से मुक्त होगा। इसलिए मरीजों के इलाज के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। जागरूक लोगों को टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बात करनी चाहिए। मानसिक तौर पर मरीजों का सहयोग करना चाहिए। उन्होंने टीबी मरीजों से कहा कि यह एक संचारी रोग है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में ड्रॉपलेट के जरिये आसानी से फैलता है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। जांच में अगर पुष्टि हो जाती है तो दवा का सेवन शुरू कर दें। टीबी का इलाज सरकार की तरफ से बिल्कुल ही मुफ्त है। यह सभी तरह के सरकारी अस्पताल में होता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी इसके समुचित इलाज की व्यवस्था है। यदि किसी को तीन सप्ताह तक लगातार खांसी हो या फिर खांसी में खून आने लगे, बुखार और कफ आने की शिकायत हो तो तत्काल जांच कराएं।