किशनगंज : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पर एक दिवसीय कार्यशाला का कैलटेक्स चौक स्तिथ सहकार भवन, व्यापार मंडल परिसर, के प्रांगण में किया गया आयोजित।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, एनसीडीसी (नेशनल कॉपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) पटना के क्षेत्रीय निदेशक श्री सुरेन्द्र सहगल की उपस्थिति में किशनगंज जिला में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जागरूकता हेतु कार्यक्रम/कार्यशाला का आयोजन सहकारी भवन (व्यापार मंडल समिति, केल्टेक्स चौक) में किया गया।कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि DM डॉ आदित्य प्रकाश ने किया। क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान लिनाक, एन.सी.डी.सी. पटना एवं मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” पर एक दिवसीय कार्यशाला एवम जागरूकता कार्यक्रम सहकार भवन, व्यापार मंडल किशनगंज परिसर, किशनगंज के प्रांगण में आयोजित किया गया, इस कार्यक्रम में जिले की लगभग 180 प्राथमिक सहकारी समितियों (PACS), मत्स्यपालन सहकारी समितियों के अध्यक्षों, मछुआरों, मछली उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों इत्यादि ने भाग लिया।
कार्यशाला में श्री सुरेन्द्र सहगल, क्षेत्रीय निदेशक एनसीडीसी, पटना कार्यालय ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के उद्देश्य, प्रावधान, लाभ तथा सहायता को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वार्षिक उत्पादन 9.06 मिलियन टन के साथ भारत मत्स्य उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। मत्स्य सैक्टर लगभग 3 करोड़ मत्स्य पालकों को अपनी जीविका अर्जित करने में मदद करता है तथा उनकी आमदनी बढ़ाने में और अधिक मददगार हो सकता है।
इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने मई 2020 में फ्लैगशिप योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरूआत की। यह योजना मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय नई दिल्ली से क्रियान्वित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत 20050 करोड़ रूपये का अनुमानित निवेश वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 की अवधि में किया जाएगा तथा एनसीडीसी योजना के अंतर्गत एक कार्यान्वयन एजेंसी है। मौके पर वक्ताओं में पीएमएमएसई योजना के मुख्य उद्देश्य को बताया:-
- मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना।
- प्रौद्योगिकी की समझ को प्रोत्साहित करना और मूल्य श्रृंखला के फासलों को दूर करना।
- संवर्धित निजी निवेश को आकर्षित करना तथा उद्यमी मॉडल को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में युवाओं और महिलाओं के स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करना।
- नये बाजारों का पता करना और विस्तार करना।
- मत्स्य उत्पादन तथा पोस्टहार्वेस्ट का प्रबंधन।
इस योजना का लाभ मत्स्य सहकारी समितियों, मछली किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह, मछुआरे, मछली किसान, मछली श्रमिक मछली विक्रेता, व्यक्तिगत उद्यमी सभी उठा सकते हैं। योजना के अंतर्गत एनसीडीसी एक कार्यान्वयन एजेंसी है तथा मत्स्य सहकारी समितियों एवं अन्य समितियों जो मछली उत्पादन इत्यादि का कार्य करना चाहती है ये सभी अपने कारोबार को प्रारंभ करने तथा बढ़ाने के लिए एनसीडीसी सहायता का अधिक से अधिक लाभ उठा सकती है। योजना के अंतर्गत बिहार जैसे राज्य की सहकारी समितियों के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान भी रखा गया है। यदि मत्स्य सहकारी समिति के सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति या महिला वर्ग के होते हैं तो अनुदान 60 प्रतिशत दिया जाएगा। मुख्य अतिथि डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश ने राज्य तथा विशेषकर किशनगंज की सहकारी समितियों को आह्वान किया कि वे अपने अपने प्रस्ताव बनाएँ तथा एनसीडीसी के माध्यम से ऋण प्राप्त कर अधिक से अधिक लाभ उठाएँ। उक्त कार्यशाला में उप निदेशक, मत्स्य पूर्णिया रेंज, जिला कृषि पदाधिकारी व अन्य उपस्थित रहे।