किशनगंज : विश्व यक्ष्मा दिवस को लेकर एएनएम व स्कूल की छात्राओं ने निकाली प्रभातफेरी, हस्ताक्षर अभियान एवं कार्यशाला का भी हुआ आयोजन।

बेहतर पोषण के लिए इलाज के दौरान दी जाती है सहायता राशि, 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, विश्व यक्ष्मा दिवस पर गुरुवार को जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रभात फेरी, कार्यशाला, हस्ताक्षर अभियान आदि कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन कार्यालय प्रांगण में सुबह एएनएम छात्राओं द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई। प्रभात फेरी को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर एवं सीडीओ सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रभातफेरी शहर के गाँधी चौक से विभिन्न चौराहों से होते हुए सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची जहां सभा में तब्दील हो गयी। सभा में सिविल सर्जन डॉ किशोर के द्वारा टीबी उन्मूलन एवं जागरूकता विषय पर विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा कि टीबी एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। यह किसी को भी हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण भी सामान्य से ही दिखते हैं पर दो हफ्ते ही खांसी या बुखार हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। उन्होंने बताया टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है।
बल्कि, लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। क्योंकि यह एक सामान्य सी बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। उन्होंने बताया मरीज को पूरे कोर्स की दवा करनी चाहिए। इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया टीबी हारेगा देश जीतेगा के थीम पर जिले में समेकित प्रयास से टीबी उन्मूलन के लिए कार्य किया जा रहा है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, सीडीओ डॉ देवेन्द्र कुमार, डीपीएम डॉ मुनाजिम, डीपीसी विश्वजीत कुमार सहित सभी एसटीएस, एसटीएसएलएस अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे। सीडीओ डॉ देवेन्द्र कुमार सिंह ने कहा टीबी के मरीजों को इलाज के लिए खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार के द्वारा टीबी इलाज को सहायता राशि दी जाती है। चिह्नित टीबी के मरीजों को उपचार के दौरान उनके बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में भेजी जाती है। जिले में वर्ष 2021 में 1484 मरीज को चिह्नित किया गया है जिसमें 1366 मरीज सरकारी संस्थानों से तथा 118 मरीज को प्राइवेट संस्थानों से चिह्नित किया गया।
इसमें 984 मरीज को डीबीटी के माध्यम से 14,21,000 राशि खाते में ट्रांसफर की गई है। 4,50,000 की राशि के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। 2022 में जनवरी तक 104 मरीजों को चिह्नित किया गया है। सीडीओ ने कहा कि टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते वह नियमित रुप से दवा का सेवन करें। टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों के द्वारा किया जाता है। प्रत्येक प्रखंड में स्पुटम जांच की व्यवस्था की गई है।
सिविल सर्जन डॉ किशोर ने कहा कि भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है। जिसके लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं लोगों को भी समेकित रूप से जागरूकता हेतु प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रखंड में समुदाय स्तर तक कार्य कर रही और ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार हमारा संपूर्ण लक्ष्य है। जिससे टीबी पर विजय पाई जा सके।