प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना है या नेताओं के चहेतों के लिए यह लूट की योजना है।
नीतीश सरकार के सुशासन राज्य में भ्रस्टाचार के विरूद्ध जंग लड़ना या जंग को जितना लोहो के चना चबाना है।
जंगल राज्य वनाम सुशासन राज्य की लडाई में जनता मारे गये, बिचौलियों को हैं चाँदनी।
आखिर वजह क्या है,सरकार में बैठे लोग उच्चे दाम पर अच्छे क्वालिटी के चावल व गेहूँ का खरीदरी करते है और उभ उभोक्ताओ को सड़े गले धूने, चूनी खूदी अन्नन खाने के लिए मिलते है।
ब्यूरोचीफ के रिपोर्ट
औरंगाबाद ( बिहार ) 05 अक्टुबर 2021:- प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना है या नेताओं के चहेतों के लिए यह लूट की योजना है ,का प्रतिउतर में पक्ष व विपक्ष , संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के पास नहीं हैं और सभी दबे जुबान कहते है,भ्रस्टाचार के विरूद्ध जंग लड़ना या जंग को जितना आज के परिवेश में लोहो के चना चबाना है।
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की हलात बद से बदत्तर है, इस महत्वाकांक्षी योजनाओ से जहाँ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग दिन प्रतिदिन माला -माल होते जा रहे हैं ,वही रोटी के टुकड़ों पर पलने वाले बिचौलियों तथा कथित देश भक्त व दल के नेताओं को प्रति परिवार प्रति वर्ष 1500 प्रन्द्रह सौ रूपये पेशन स्वरूप “प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” से प्राप्त हो जाते है यानी पत्येक चमचे व बिच 5000 से 15000 तक लूट में सह भागिता का मुनाफा।
सूत्रों की बात व आंखों देखा हाल से यह स्पष्ट हैं किबिहार राज्य के औरंगाबाद जिले, वह भी कुटूम्बा विधानसभा सभा क्षेत्र में प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की बदत्तर हालात है और सरकार से वितरण तक जुड़े लोग भी गरीबों के नाम महत्वाकांक्षी योजना को जमकर लूट रहे है तथा कमजोर व असहाय लोग जहाँ सड़े- गले चुनी खूदी युक्त अरवा चावल एवं कचड़े युक्त सड़े गेहूं को खाने के विवश हैं.वही बिचौलिए दूकान पर इस महत्वकांक्षी योजना के अन्न को बेचकर पैसा ले रहे है।
आखिर वजह क्या है,सरकार में बैठे लोग उच्चे दाम पर अच्छे क्वालिटी के चावल व गेहूँ का खरीदरी करते है और उभ उभोक्ताओ को सड़े गले धूने, चूनी खूदी अन्नन खाने के लिए मिलते है।
मीड़िया के सवालों का जवाब संबंधित अधिकारी देना दस्तूर नहीं।
भारत का सबसे बड़ाअन्न भंड़ार के लिए प्रसिद्ध व बहुचर्चित एफसीआई गोदाम तथा सरकार में बैठे लोग सरकारी पंजियों में उच्ची दाम पर अच्छे से अच्छे क्वालिटी के चावल और गेहूँ की खरीदारी कर भंड़ारण करते है और उक्त भंडारण से गरीब को खाने के लिए सड़े गले चुनी खूदी ,कचड़ा युक्त अरवा चावल और गेहूँ देते है। आखिर अच्छे क्वालिटी जाते कहाँ है और एफसीआई गोदाम में घटिया से घटिया अन्न कहाँ से आता है और सड़े गले चूनी खुदी युक्त अन्न गरीब खाने को विवश क्यों है और गरीबों के नाम पर60 फिसदी अन्न का उठाव एवं बजारों में विक्री क्यों और कैसे होते आ रहा है का जबाब किसी के पास नहीं हैं।
सर्वेक्षण बताता है
देश में गरीबों के हक का सेंधमारी अधिकांश क्षेत्रीय नेता जी करते आ रहे है, जहाँ गरीब सड़े गले चुनी खूदी अन्न को खाने के लिए विवश है वहीं इनके चहेते इस महत्वाकांक्षी योजनाओं के अन्न को बेचकर उपहार स्वरूप प्रतिमाह 100 रूपये का पेंशन पाते है और इसी पर बिचौलिया सरकार प्रायोजित योजनाओ को भ्रष्चारियों के सामने निछावर करते आ रहे है।
अगर यह कहा जाये कि बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में नेताओं के चमचों का चरागाह “प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” साबित हो चूका है और उक्त महत्वाकांक्षी योजनाओ का लाभ नेता जी के चहेते चमचे, खासकर लठैत उठाते आ रहे है और इसके एवज में नेता जी वोट प्राप्त कर धनबव व जनबल की बदौलत सरकार प्रायोजित विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं में सरेआम लूट मंचाते है, जिसके पिछे उदेश्यों से भटक चूके प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों क्षेत्रीय दवंग लोगों की एक जथा काम कर रहा है, जिसकी एक सभागी कड़ी ,पत्रकारिता के नाम पर कलंकित पत्रकार भी हैं।
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की बद से बदत्तर हलात पर
एक नजर डाला जाये तो…
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की बद से बदत्तर हलात पर एक नजर डाला जाये तो क्षेत्रों के हिसाब से बड़ा से बड़ा पुँजी पति, सैकड़ व हजारो मन धान व गेहूं का उत्पादन व विक्री करने वाले, किसान व मजदूर प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ व कोरोना काल में मुफ्त का अनाज को उठाव व विक्री करते आ रहे है।
यह कैसी बिडंबना है।
कृषी अनुदान,खेतों की पटवन हेतू अनुदान तथा किसान समान्य योजना के तहत लाभ को लेने तथा धान- गेहूँ को बेचने के लिए अपने आप को क्षेत्र का बड़ा से बड़ा किसान बताने वाले लोग भी प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए गरीबों के पंक्तियों मे खड़े, अपने आप को सबसे गरीब बता रहे है, यह कैसी बिडंबना है।
बिहार मे सुशासन की सरकार है तो बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में सुशसान ब्यवस्था की सरकार के प्रत्याशियों का सुपड़ा साफ़ है और सत्तासीन सरकार के नेताओं को जिले में विपक्ष के भी भूमिका नहीं ं है, जबकी राज्य में जदयू के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार जी का सुशसान ब्यवस्था की सरकार है।
नीतीश सरकार के सुशसान ब्यवस्था पर एक नजर डाला जाये तो जिले गरीबों के नाम पर कल्याण कारी योजनाओ का लूट संपन्न लोग मचा रहे है और इस महत्वकांक्षी योजनाओ में नेता जी के चहेते लोग 50 से 80 प्रतिशत शामिल है।
सच्चाई भी यही हैं कि गरीब को इस महत्वकांक्षी योजना के तहत मिलने वाले 05 किलो अनाज के जगह 04 किलो सड़े गले चुनी खूदी युक्त अरवा चावल व कचड़े से भरे सड़े गेहूँ दिया जाता है। अरवा चावल मे 20 से 50 प्रतिशत चुनी खुदी रहता है तो गेहूँ में 20 प्रतिशत कचड़ा युक्त और सड़े गेहूँ हैं, जो पशुओं को भी खाने लायक नहीं है।
बिहार में एफसीआई के गैर जीम्मेदराना हरकत पर बिहार सरकार ने आवश्यक आदेश व दिशानिर्देश जारी कहते हुए समाचार के माध्यम से जनता को कहा था कि उपभोक्ता सड़े गले चावल गेहुँ न लें ,एफसीआई डीलरों को ऐसा अनाज देता है तो वापस करें,
यूं टहा जाये की भ्रष्चारियों के समुह पर बिहार -सरकार के यह आदेश सख्त नहीं था और योजनाओं का लाभ लेने वाले 40-60 फिसदी गलत लोग थे, जैसे आवाज उठाया, राशन कार्ड़ कैंसिल करने क्या धमकी अधिकारियों ने डाला सिर्फ बेजुबान जनता बच गए जिनकी आवाज तो कोई सुनता ही नहीं है । फिर से उपभोक्ताओं पर भ्रष्टाचारियों की टीम भारी पड़ा और उक्त महत्वाकांक्षी योजनाएँ लूट का संसाधन बन बैठा।
यूं कहा जाये की प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के नाम पर देश के संपत्ति को चाटूकारों के बीच लूटाया जा रहा है तो हास्यद नहीं होगा।