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पार्ट १९ : कहाँ गए वो दिन ?

बिहार प्रदेश के पूर्व महानिदेशक की कलम से

मेरे पिताजी सारण ज़िले के पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे। राज्य के पुलिस प्रमुख श्री एस. पी. वर्मा थे जो डायरेक्टर IB होकर सेवानिवृत हुए।पिताजी बताते हैं एक दिन कार्यालय में बैठे थे तो उन्हें श्री वर्मा का पर्सनल लेटर मिला। वे थोड़ा परेशान हुए क्योंकि पर्सनल पत्र लिखा जाता नहीं था। थोड़ा परेशान होकर उन्होंने पत्र खोलकर पढ़ा।एक सज्जन के सम्बन्ध में उल्लेख था जो सारण ज़िले के रहने वाले थे और जिन्हें उनके ग्रामीण बराबर परेशान किया करते थे। पत्र में विशेष रूप से लिखा था कि यह सज्जन पुलिस प्रमुख के बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाते थे, इसलिए उनकी इच्छा थी कि पुलिस अधीक्षक जाँच कर उन्हें बताएँ। पिताजी उसी वक़्त रवाना हो गए। गाँव पहुँच कर उन्होंने खुली जांच की।
जांच में उन्हें मालूम हुआ कि वे सज्जन पुलिस प्रमुख के नाम पर, गाँव के लोगों पर धौंस जमाया करते थे। ग्रामीण उलटे परेशान थे।
पिताजी ने पर्सनल लेटर में तथ्यों का उल्लेख कर जवाब भेज दिया।पुलिस चीफ़ का उन्हें आशीर्वचन प्राप्त हुआ।

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