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धूमधाम से आईआईटी रुड़की में आयोजित किया गया “थॉम्सों” कार्यक्रम..

पटना/श्रीधर पांडे, आईआईटी रूड़की में ‘थॉम्सो’ अपने प्रारंभिक वर्ष 1982 से ही यानि 37 वर्षों से प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जा रहा है।इस सांस्कृतिक पर्व में भाग लेने के लिए देश भर से हज़ारों लोग एकत्रित होते हैं।‘थॉम्सो’ न केवल कला, संस्कृति और अभिव्यक्ति का संगम है बल्कि युवा जोश और उत्साह के साथ आईआईटी रूड़की की सांस्कृतिक विरासत को शान से प्रदर्शित करने वाला माध्यम है।इस पर्व का नाम इसके संस्थापक सर जेम्स थॉमेसन को नाम पर रखा गया है, जो 1843-53 तक लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे और जिन्होंने 1853 में थॉमेसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजिनियरिंग की स्थापना की।बाद में सन 1948 में यही कॉलेज रूड़की विश्वविद्यालय बन गया और वर्ष 2001 से इसे आईआईटी रूड़की कहा जाने लगा।इस पर्व की 37 वर्ष की समृद्ध विरासत है जिसका विस्तार प्रतिवर्ष हो रहा है।‘थॉम्सो’ इस संस्थान के एक प्रमुख ब्रांड बन चुका है जोकि एक प्रकार से देश भर में इस संस्थान की राष्ट्रीय महत्ता को प्रदर्शित करता है।प्रत्येक वर्ष देश भर के हज़ारों कॉलेज इस विशाल सांस्कृतिक उत्सव में भाग लेते हैं।इस प्रकार से एक स्थान पर विभिन्न संस्कृतियों, विचारों और नूतन उपायों का समागम होता है।कहते हैं “Rome wasn’t built in a day” यानि रोम शहर का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ था।‘थॉम्सो के बारे में भी यही कहा जा सकता है।चाहे एक भव्य शहर बनाना हो या फिर भव्य पर्व, आपको इसकी एक-एक ईंट लगाने का कठिन श्रम करना होगा।वर्ष 1982 में ‘तरंग’ (जोकि इस पर्व का पूर्व नाम था) के बाद अब ‘थॉम्सों’ नाम से यह पर्व पिछले 37 वर्षों से लोगों के दिलों को जीत रहा है।प्रतिवर्ष इसकी टीम इस पर्व की तैयारियों को बिल्कुल नए तरीके से शुरु करती है ताकि इस जनता के लिए एक भव्य और यादगार अनुभव बनाया जा सके।ऐसा करने के लिए केवल दो बातें उनके मस्तिष्क में रहती हैं-इस पर्व की प्रतिष्ठा और थाम्सो के प्रत्येक पर्व को इसके पिछले पर्व से बिल्कुल नया और अलग बनाने का जज्बा जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत बने।पर्व की तैयारियों का पहला कदम होता है इसकी विषयवस्तु तय करना यानि कि वो मुख्य विचार जिस पर यह पर्व आधारित होगा।इस पर बहुत सी चर्चाएं, परिचर्चाएं होती हैं, नए-नए विचार मिलते हैं जिसके आधार पर विषयवस्तु तय होती है और फिर काम शुरु होता है।विषयवस्तु तय होने के बाद हम प्रायोजकों के पास जाते हैं ताकि अपेक्षित वित्तीय सहायता और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन प्राप्त हो सके।टीम के सदस्य मार्किटिंग और ब्रांडिंग के लिए कुछ नए और सबसे अलग तरीकों को अपनाते हैं और प्रायोजकों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित करते हैं।और इस प्रकार से ‘थॉम्सो’ का विचार सहयोग और साझेदारी के बल पर पूरे देश में फैलता है। ‘थॉम्सो’ का सौभाग्य है कि पिछले कुछ वर्षों में इस पर्व के साथ पैप्सी, टीसीआईएल, हीरो, कलर्स ऑफ यूथ, 9 एक्सएम, ओएनजीसी, गेल, एनएचएलएलआर, एनबीसीसी, जेब्रियोनिक्स जैसे कई विख्यात ब्रांड जुड़े हैं।साथ ही साथ इस पर्व की जीवनरेखा यानि कि इसके इवेंट्स की योजना बनाई जाती है।इस पर्व में 150 से भी अधिक इवेंट आयोजित होते हैं और इवेंट टीम के पास पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ा कार्य है।प्रति वर्ष इवेंट बढ़ते रहते हैं और दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए इनमे समुचित संशोधन किए जाते हैं।इवेंट्स की सूची तैयार होने के बाद इनकी पूरी विस्तृत पद्धति तैयार करते हैं।इसके लिए टीम से नए-नए सुझाव लिए जाते हैं और प्रत्येक इवेंट की छोटी से छोटी बारिकियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।इसके बाद इवेंट्स की तिथि, स्थल, समय और संचालकों का निर्धारण किया जाता है ताकि आपस में कोई टकराव न हो।साथ ही, हमें सामान लाने-लेजाने संबंधी तैयारियों, प्रतियोगिताओं के निर्णायकों का चयन और सलिब्रिटियों, मुख्य अतिथियों आदि से बातचीत करने जैसी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है।इवेंट प्रबंधन भी एक महत्वपूर्ण कार्य है।इवेंट इस पर्व का मुख्य भाग होते हैं अत: यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि वे समुचित रूप से आयोजित किए जाएं।चाहे वो किसी दस्तावेज़ में पूर्ण विराम छूट जाए या फिर कोई विशेष अतिथि, सारी जिम्मेदारियां इवेंट प्रबंधन टीम के कंधों पर ही रहती है।हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि इवेंट अपने निर्धारित समय पर प्रारंभ हो, अतिथि स्थल पर पहुंच जाएं और सभी प्रतिभागी वहां उपस्थित रहें, इवेंट का समुचित संचालन किया जाए, सभी उपकरण ठीक ढंग से काम कर रहे हों, सभी आवश्यक सामान स्थल पर पहुंच चुका हो और फिर भी यदि किसी अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़े तो उसकी भी पूरी तैयारी रहे।प्रत्येक इवेंट के संचालन के लिए तीन दिन तक टीम पूरी तरह से सजग रहकर काम करती है।‘थाम्सो’ का एक अविस्मरणीय इतिहास रहा है जिसे श्री कामेंद्र कुमार के ऊर्जावान नेतृत्व से और अधिक बल मिला।श्री कामेंद्र कुमार, थाम्सो के पहले संयोजक हैं।वे वर्ष 81-82 में स्टूडेंट्स असोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में टीसीआईएल (संचार मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक उद्यम) के निदेशक तकनीकी पद पर कार्यरत हैं।इसके अलावा, एलजी, एलस्टॉम और डीआरडीओ जैसी कंपनियों में काम करने का प्रगाढ़ अनुभव उनके पास है। आईआईटी रूड़की के अल्यूमनी सदस्य इस सांस्कृतिक पर्व को सफल बनाने के लिए हरसंभव मार्गदर्शन और सहयोग देते हैं।आईआईटीआर अल्युमनी असोसिएशन अपने निरंतर सहयोग के लिए हमेशा से ही हमारी महत्वपूर्ण साझेदार रही है।‘थॉम्सो’ का हमेशा से ही यह प्रयास रहा है कि इसे एक सफल आयोजन बनाने के लिए जितने भी सदस्यों का योगदान रहा है, वह योगदान इसकी सफलता गाथा में प्रतिबिंबित हो।इस पर्व की सफलता के पीछे हमारी टीम के साथ-साथ निश्चित रूप से पैप्सी, ओएनजीसी, गेल, हीरो, कलर्स ऑफ यूथ, एनएचएसआरएल, यूसी ब्राउजर, जेब्रियोनिक्स जैसे हमारे प्रतिष्ठित साझेदारों का योगदान रहा है।उनके इस योगदान की बदौलत ‘थॉम्सो’ पर्व का हिस्सा बनने वाले लोगों की संख्या 20 लाख से भी ऊपर हो गई है और यह हर साल बढ़ रही है।‘थॉम्सो” ने सामाजिक कार्य के क्षेत्र में भी एक बड़े स्तर पर उपलब्धियां प्राप्त की हैं और युवा प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए भी यह महत्वपूर्ण मंच है क्योंकि यहां प्रतिभाओं को एक बड़ा दर्शक वर्ग मिल जाता है।हम ग्रीन पीस, पेटा इंडिया, क्राई, एमएआरडी, स्माइल फाउंडेशन, आनंदी शेरोज़, टेक फार इंडिया, वेस्ट वारियर्स इत्यादि प्रख्यात गैर-सरकारी संस्थाओं तक पहुंचे हैं जो पूरे जोश के साथ इन इवेंट्स का हिस्सा बनते हैं और लोगों के बीच महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को लेकर जागरूकता का प्रसार करते हैं।इन गैर सरकारी संगठनों के साथ ‘थाम्सो’ की भागीदारी का प्रमुख उद्देश्य भी यही है कि लोगों के बीच महिला सशक्तिकरण, बाल शिक्षा, स्वच्छ भारत अभियान जैसे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता का प्रसार किया जाए और कैंसर पीड़ित रोगियों और गरीबी उन्मूलन की दिशा में सहयोग दिया जा सके।थॉम्सो का ऐसा जादू है जो हमारे भीतर की वो प्रतिभा को सार्वजनिक कर सकता है जिसके बारे में हम भी नहीं जानते हैं।थॉम्सो नाम अब हमारे गर्व का प्रतीक बना गया है।ऐसे विशाल समारोह की सफलता हमें एक बहुत बड़ी उपलब्धि का एहसास दिलाती है।यह हमें प्रेरणा देती है कि हम अपना विश्वास बनाए रखे।एक समारोह के आयोजन से हमें धेर्य, संयंम, नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता जैसे कई गुण सीखने को मिलते हैं।टीम के कठिन परिश्रम को प्रशासन, हमारे उदार प्रायोजकों और हमारी प्यारे दर्शकों का भी असीम समर्थन मिलता है।थॉम्सो में यद्यपि सभी लोग अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का प्रयास करते हैं पर कुछ ऐसे भी क्षण आए जब हमारे प्रयासों को विफलताएं देखने को मिली।पर हमारा मानना है कि व्यक्ति अपनी गलतियों से ही सीखता हुए धीरे-धीरे ही संपूर्णता प्राप्त करता है।हम अपनी गलतियों से सीखते हुए थॉम्सो को एक नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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