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किसानों की होगी फार्मर रजिस्ट्री एवं डिजिटल क्रॉप सर्वे -मंगल पाण्डेय

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/माननीय कृषि मंत्री, बिहार श्री मंगल पाण्डेय की अध्यक्षता में आज कृषि भवन, पटना के सभागार में एग्रीस्टेक (डिजिटल क्रॉप सर्वे) विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर सचिव, कृषि विभाग श्री संजय कुमार अग्रवाल, कृषि निदेशक श्री मुकेश कुमार लाल, निदेशक उद्यान श्री अभिषेक कुमार, अपर सचिव, कृषि विभाग श्री शैलेन्द्र कुमार सहित कृषि विभाग तथा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पदाधिकारीगण और सूचना प्राद्यौगिकी से संबंधित तकनीकी विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस कार्यशाला में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के डिजिटल क्रॉप सर्वें के परामर्शी श्री महेश बोकाड़े तथा तकनीकी विशेषज्ञ सुश्री कृति कुमारी ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से एग्रीस्टेक (डिजिटल क्रॉप सर्वे) की विशेषताओं के बारे में बताया तथा तकनीकी सत्र के दौरान एग्रीस्टेक ऐप एवं वेबपोर्टल के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के हित में एक ऐसा डिजिटल प्लेटफार्म बनाया जा रहा है जिसपर किसानों का सभी विवरण यथा खेत का विवरण, खेत में उगाई जा रही फसल का विवरण, खेत का रकबा आदि उपलब्ध रहेगा। इन विवरण के आधार पर किसानों को सरकार द्वारा पारदर्शी तरीके से त्वरित गति से योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा, जैसे पी॰एम॰ किसान सम्मान निधि, के० सी० सी० की स्वीकृति, फसलों की अधिप्राप्ति, फसल क्षति का मुआवजा का भुगतान आदि। इन कार्यों में एग्रीस्टैक के माध्यम से ससमय निर्णय लिया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि बजट 2024 में भारत सरकार ने घोषणा किया है कि देश के 400 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य किया जायेगा। अगले 03 वर्षों में डिजिटल पब्लिक आधारभूत संरचना का विकास किया जायेगा, इसका उद्देश्य किसान तथा किसान की भूमि से संबंधित आँकड़ों को संग्रहित करना है। बिहार में पिछले रबी फसल मौसम से ही डिजिटल क्रॉप सर्वें का कार्य 20 जिलों में कराया जा रहा है।

सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि पिछले रबी फसल मौसम में 20 जिलों के 2069 ग्राम में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराया गया है। इस खरीफ फसल मौसम में राज्य के 28 जिलों के 10,000 ग्राम में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने आगे बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे के माध्यम से किसानों के खेत में वास्तविक रूप से उगाए जा रहे फसल का विवरण एवं क्षेत्रफल का डाटाबेस तैयार किया जायेगा। इससे फसल के आच्छादन एवं उत्पादन का सटीक आँकड़ा प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला के दूसरे दिन 28 जिलों के जिलास्तरीय पदाधिकायों एवं कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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