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किशनगंज : हृदय संबंधी रोग से ग्रसित 6 बच्चे इलाज के लिये हुए पटना रवाना

जिले में हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की पटना के आईजीआईसी में होगी जांच व इलाज।

  • हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज जरूरी।
  • स्क्रीनिंग से लेकर आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहन।
  • आरबीएसके के जरिये 38 रोगों के नि:शुल्क इलाज का है इंतजाम।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सूबे में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर सरकार कृत संकल्पित है। जिले में लोगों को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने को लेकर जहाँ प्रशासन पूरी तरह गंभीर है वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए सात निश्चय योजना की पहल पर जिले के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का पूरी तरह निःशुल्क इलाज कराया जा रहा है। जिसका सार्थक परिणाम यह है कि समुचित इलाज और स्वस्थ्य होने की उम्मीद छोड़ चुके पीड़ित बच्चे पूरी तरह स्वस्थ्य हो रहे और बच्चों को नई स्वस्थ्य जिंदगी जीने का अवसर मिल रहा है। हृदय संबंधी रोग से ग्रसित जिले के 06 बच्चों को इलाज के लिये पटना भेजा गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित बाल हृदय योजना के तहत इन बच्चों का नि:शुल्क इलाज होना है। जिले में हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के लिये इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी पटना में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा रोग की गंभीरता का पता लगाने के लिये बच्चों की जरूरी जांच की जायेगी। फिर इलाज के लिये उन्हें बेहतर चिकित्सा संस्थानों में भेजा जायेगा। बच्चों के इलाज से लेकर बच्चे व अभिभावकों के आने जाने सहित तमाम खर्च सरकार द्वारा वहन किये जायेंगे। जानकारी देते हुए आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि आरबीएसके टीम द्वारा हृदय रोग से ग्रसित चिह्नित कुल 06 बच्चे जिसमें ठाकुरगंज प्रखंड के फैजान अहमद 02 माह, बहादुरगंज प्रखंड के मनास 16 माह, पोठिया प्रखंड की नूर अख्तर 20 माह, दिघलबैंक प्रखंड की अंशिका 10 माह एवं अरिबा खातून, कोचाधामन प्रखंड की गुफरान घनी 18 माह के बच्चों को आवश्यक जांच व इलाज के लिए आईजीआईसी में भेजा गया है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने बताया, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसके अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर मुफ्त इलाज शुरू करा सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया, जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को साँस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगते हैं। जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाती है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. शर्मा ने बताया कि योजना के तहत 0 से 18 साल के बच्चों में होने वाले कुल 38 रोगों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। इसमें चर्मरोग, दांत व आंख संबंधी रोग, टीबी, एनीमिया, हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग शामिल हैं। बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिये आरबीएसके टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विभिन्न रोग से ग्रसित 0 से 18 साल के बच्चों के लिये इलाज की व्यवस्था है। इसमें बाल हृदय योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत हृदय में छेद सहित विभिन्न तरह के हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज का इंतजाम है। रोगग्रस्त बच्चों का पहले विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा जरूरी जांच की जाती है। फिर जरूरी पड़ने पर उन्हें बेहतर चिकित्सा संस्थान भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में आने वाला खर्च सरकार वहन करती है। आम लोगों को सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिये।

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