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रोजगार कार्ड महज एक दिखावा, नहीं मिल रहा मनरेगा मजदूरों को मजदूरी…

नालंदा जिले के कराय परसुराय प्रखण्ड के ग्राम पंचायतो में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत कार्यरत मजदूरों का स्वयं के हिसाब किताब रखने के लिए शासन के द्वारा योजनानुसार रोजगार कार्ड वितरण किया गया है। जिससे अपने प्रत्येक दिन के कार्यों का लेखा-जोखा मजदूर स्वयं करा सके एवं मजदूरी भुगतान में कोई गड़बड़ी न हो, लेकिन विगत तीन-चार साल से मजदूरों के रोजगार कार्ड में कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत के जिम्मेदार लोगों द्वारा कार्य दिवस नहीं चढ़ाया जा रहा है। जिसके कारण रोजगार कार्ड बक्सों में रखने के के अलावा कुछ काम का नहीं रह गया है।गौरतलब है कि मजदूरों के मजदूरी में कोई डाका न डाल सके और मनरेगा के हर कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए शासन प्रशासन हर संभव प्रयासरत है। इसके बाद भी ग्राम पंचायत के 

द्वारा विगत तीन चार साल से रोजगार कार्ड में मजदूरों के कार्य दिवस नहीं चढ़ाया गया।विवाद का बनता है कारण मजदूरों के पलायन रुके और गांव में ही भरपूर रोजगार मिले।जिससे मजदूरों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो।इन्हीं उद्देश्य आधारित परिकल्पना के साथ मनरेगा योजना की शुरुवात हुई है,लेकिन इस योजनाओं पर लापरवाही बरतने वाले कराय परसुराय मनरेगा पदाधिकारी कुणाल प्रसाद के कारण आज तक मजदूरों को अपनी मजदूरी भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है।क्योंकि 10 से 

15 किमी की दूरी तय करके मुख्यालय के बैंक में पहुंच कर अपनी मजदूरी बड़ी मशक्कत के बाद लेने में सफल तो हो जाते हैं,लेकिन कौन से कार्य की कितनी मजदूरी मिली है।इसको चाह करके भी नहीं जान पाते है।जिससे गांव में आए दिन लड़ाई झगड़ा विवाद होना आम बात हो गई है।इस सम्बन्ध में मनरेगा पदाधिकारी कुणाल प्रसाद ने कुछ भी नही बता रहे है।

रिपोर्ट-सोनू कुमार 

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