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किशनगंज : सदर अस्पताल राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा संचालित: सिविल सर्जन

एनक्यूएएस के कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले स्वास्थ्य केंद्रों को प्रमाणपत्र के साथ विशेष फंड उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य केंद्रों की उत्कृष्टता बनाये रखने के साथ मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर गुणवत्तापूर्ण सुधार लाना है

किशनगंज, 30 अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सदर अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सकीय इंतजाम व सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक यानी एनक्यूएएस के निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाने की कवायद की जा रही है। गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में मौजूद स्वास्थ्य सेवा व आधारभूत संरचना को लेकर एक मानक निर्धारित है। इन मानकों के आधार पर भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की विशेष एश्यूरेंस टीम द्वारा अस्पताल का मूल्यांकन किया जाता है। एनक्यूएएस के कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले स्वास्थ्य केंद्रों को प्रमाणपत्र के साथ विशेष फंड उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य केंद्रों की उत्कृष्टता बनाये रखने के साथ मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर गुणवत्तापूर्ण सुधार लाना है। सदर अस्पताल को एनक्यूएएस प्रमाणीकरण दिलाने की दिशा में जरूरी पहल की जा रही है। प्रमाणीकरण के बाद अस्पताल में राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध होगा। मंगलवार को सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं व चिकित्सकीय इंतजामों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की पहल की जा रही है। इसके तहत जिला अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल के चिह्नित 08 वार्डों को एनक्यूएएस के निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें अस्पताल के प्रसव वार्ड, लेबर रूम, इमरजेंसी वार्ड, पीकू वार्ड, एसएनसीयू, ब्लड सेंटर, एनआरसी, ओपीडी व लेबोरेट्री शामिल है। एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन के लिये निर्धारित मानकों के अनुरूप सदर अस्पताल को 70 फीसदी से अधिक अंक करना होगा। इसे लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं को लाने होंगे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जरूरी तैयारियां की जा रही है। संबंधित मामलों की नियमित समीक्षा की जा रही है। अस्पताल का संचालन एनक्यूएएस मानकों के अनुरूप बनाने को लेकर अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। डा. राजेश कुमार ने बताया कि एनक्यूएएस प्रमाणीकरण अस्पताल में गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता है। मूल्यांकन के लिए जिला, राज्य व केंद्र स्तर स्वास्थ्य अधिकारियों की क्वालिटी एश्यूरेंस टीम है। जिला स्तर पर मूल्यांकन होने के बाद राज्य व केंद्र स्तर की टीम स्वास्थ्य केंद्रों का मूल्यांकन करती है। मूल्यांकन के बाद अंक प्रदान किया जाता है। इसी आधार पर सर्टिफिकेशन किया जाता है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों की उत्कृष्टता बरकरार रखने के लिए एनक्यूएएस प्रमाणीकरण जरूरी है। मूल्यांकन प्रक्रिया से अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की उपलब्धता पर जोर दिया जाता है। इसमें ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, इमरजेंसी, लेबर रूम, मेडिकल रिकॉर्डस, मेडिकल एंड डेथ ऑडिट का मूल्यांकन किया जाता है। नर्सिंग प्रोसेस के तहत फॉर्मेसी, एंबुलेंस, उपकरणों का रखरखाव, लेबोरेट्री तथा नर्सिंग से संबंधित गतिविधि की मूल्यांकन होता है। अस्पताल के प्रबंधन व गुणवत्ता प्रोसेस के तहत मरीजों का फीडबैक, मरीजों के अधिकार, अस्पताल का कार्य प्रदर्शन, आपदा प्रबंधन सहित सेवाओं का मूल्यांकन किया जाता है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने कहा कि एनक्यूएएस प्रमाणीकरण को लेकर हर स्तर पर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। एनक्वास प्राणीकरण से सरकारी चिकित्सा संस्थानों के प्रति लोगो का भरोसा बढ़ता है। साफ-सफाई से लेकर आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता, आवश्यक संसाधनों की मौजूदगी से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच आसान होती है। सदर अस्पताल के कुल 9 विभागों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किये जाने की कार्ययोजना है। ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध हो सके।

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