अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर दिनाक-10.12.2016 को मुख्यालय स्थित रचना भवन व पुलिस लाइन में मानव अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाधिकारी पंकज दीक्षित व पुलिस कप्तान राजीव मिश्र ने संयुक्त रूप से की। कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्रओं के साथ ही कई अधिकारी व पुलिस जवान मौजूद थे। जिलाधिकारी पंकज दीक्षित ने कहा कि मानव अधिकार वे अधिकार हैं,जो किसी भी मनुष्य को जन्म लेने मात्र से प्राप्त हो जाते हैं।किसी मनुष्य पर अत्याचार व उत्पीड़न करना ही मानव गरिमा का हनन है।इस दौरान स्कूली बच्चों को मानव अधिकार की जानकारी दी गई।वहीं उन्होंने मानवाधिकार के गठन को लेकर कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में हुए अत्याचार एवं मानव उत्पीड़न के पश्चात संयुक्त राष्ट्र ने निश्चय किया कि सभी मनुष्यों को गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार होना चाहिए।इसी उद्देश्य से 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सर्वाभौम उद्घोषणा की गई।
इसी कारण 10 दिसम्बर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस घोषित किया।भारत में मानवाधिकार के संरक्षण हेतु मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को पारित किया गया।वहीं पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्र ने शराबबंदी को मानव अधिकार से जोड़ते हुए कहा कि मानव को मानव मात्र होने पर उन्हें मानव अधिकार मिल जाता है।लेकिन शराब बंदी से पूर्व हम देखते थे कि किसी परिवार का मुखिया अगर शराबी हो जाता है,तो उनके बच्चे शिक्षा,खाने-पीने के सामान व वस्त्र से वंचित रह जाते थे,जो उनका अधिकार है।आप समाचारों में देखते व सुनते होंगे की शराबबंदी से एक परिवार टूटने से बच गया।आज उसके बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।अब उन्हें अपना अधिकार यानी मानवाधिकार प्राप्त हो रहा है।किसी शराबी के राह चलते किसी महिला को अभद्र टिप्पणी करना भी मानव गरिमा का हनन करना है।आज शराबबंदी से मानव को अपना अधिकार मिला है।इस दौरान एडीएम रामजी साह,एएसपी अनिल कुमार,एसडीपीओ कामिनी बाला,आपदा प्रबंधक रमा शंकर, डीएसओ हिरामुनी प्रभाकर,डीपीआरओ मनीष कुमार,डीएसपी पुष्कर कुमार,सदर थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार राय,बहादुरगंज थानाध्यक्ष मो.आफताब अहमद, ओएसडी रंजन कुमार,थानाध्यक्षों में राजेश तिवारी,सृजन कुमार,सुबोध कुमार,सुभाष मंडल,प्रशांत कुमार,मनु प्रसाद,हरिस तिवारी,मो.सज्जाद हुसैन, महिला थानाध्यक्ष महाश्वेता सिंहा,सार्जेंट,राहत संस्था की संचालिका डॉ.फरजाना बेगम,आदि मौजूद थे।मानव अधिकार क्या है:-मानव अधिकार व्यक्ति के जीवन,स्वतंत्रता,समानता व प्रतिष्ठा से संबधित वे अधिकार हैं जो न्यायालय द्वारा लागू की जा सकती है।जैसे पेंशन,पुलिस ज्यादती,अभीरक्षा में यातना,मुठभेड़ में मृत्यु,पुलिस या अन्य पदाधिकारी-लोक सेवक द्वारा उत्पीड़न,रिमांड होम व कारागारों की स्थिति,दहेज मृत्यु एवं दहेज की मांग,महिलाओं का उत्पीड़न,बलात्कार,हत्या और अत्याचार,बाल मजदूरी एवं बंधुआ मजदूर,बालू विवाह, गरीबी,उन्मूलन तथा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम,स्वच्छता,पर्यावरण,मजदूर वर्ग की दशा,चिकित्सकीय लापरवाही आदि को मानवाधिकार संबंधी मामला माना जा सकता है।