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किशनगंज : घर में चूहे व छूछंदर के काटने संबंधी मामलों पर सतर्कता जरूरी

कुत्ते हीं नहीं दूसरे अन्य जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज का खतरा, संभव है रेबीज की रोकथाम, रोग का समुचित इलाज फिलहाल उपलब्ध नहीं

किशनगंज, 12 अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, हममें से अमूमन सभी लोग ये जानते हैं कि कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटनें से रेबीज होने का खतरा होता है। इसमें से किसी जानवर के काटने के तुरंत बाद लोगों को उस घाव को साबुन पानी से धोकर रेबीज का वैक्सीन लगाना चाहिये। इसके साथ ही कुत्ता-बिल्ली की कम से कम 10  दिनों तक निगरानी रखना होता है कि कहीं वह पागल तो नहीं हो गया है। लेकिन हममें से काफी कम लोग ये जानते हैं कि हमारे घरों में अक्सर इधर से उधर दौड़ लगाने वाले चूहे व छूछंदर भी आपके बच्चे या आपको काट सकते हैं। कुछ एक मामलों में इसकी अनदेखी आगे चल कर काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इससे भी आपके रेबीज या किसी अन्य खतरनाक रोग से संक्रमित होने का खतरा होता है। इससे पीड़ित कि मौत भी संभव है।

कुत्ता-बिल्ली, बंदर सहित अन्य जानवरों के काटने पर रहता है रेबीज का खतरा

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. उर्मिला कुमारी ने बताया की भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा रेबीज की रोकथाम व बचाव के जारी लिए गाइडलाइन के मुताबिक  कुत्ता-बिल्ली, बंदर सहित अन्य जानवरों के काटने से रेबीज का खतरा होता है। इसलिए रेबीज का वैक्सीन लगाना जरूरी है। लेकिन घरों में भी कुछ ऐसे छोटे जानवर होते हैं जो काट लें तो बाद में खतरा पैदा हो सकता है। एनसीडीसी की गाइडलाइंस के मुताबिक सामान्य तौर पर घर में घूमने वाले चूहे या छूछंदर के काटने से रेबीज के ट्रांसमिशन का खतरा नहीं होता है। इसलिए वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि कई बार मरीज को ये ठीक से पता हीं नहीं होता है की उसे किस जानवर ने काटा है। ऐसे में ये संभव है कि जिसे व्यक्ति चूहा समझ रहा हो वास्तव में वो कोई दूसरा जानवर हो। ऐसे मामलों में  रेबीज का वैक्सीन लेना संभावित किसी तरह के खतरे से  बचाव के लिहाज से जरूरी होता है। वहीं घूमने फिरने के दौरान  अगर आप किसी जंगल में हैं। वहां अगर आपको  कोई नेवला, खरगोश, चूहा, छछुंदर या कोई भी  जंगली जानवर काट लेता है। तो रेबीज का टीका लगाना बेहद जरूरी हो जाता है।

संभव है रेबीज की रोकथाम, फिलहाल कोई उपचार नहीं

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने बताया कि रेबीज एक वायरस है। जो अक्सर किसी संक्रमित जानवर के काटने या खरोच लेने के कारण होता है। रेबीज वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क व केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। शुरुआत में  संक्रमित व्यक्ति में फ्लू जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। इसमें  कमजोरी, सिर में दर्द, बुखार जैसी शिकायत हो सकती है। उन्होंने बताया कि रेबीज की रोकथाम संभव है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को रेबीज हो जाय तो फिर इसका समुचित इलाज फिलहाल संभव नहीं। अधिकांश मामलों में रेबीज संक्रमित व्यक्ति असमय मौत के शिकार हो जाते हैं।

घरेलू जानवरों के काटने के मामलों में भी रहें सतर्क

सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि घरों में अगर कोई चूहा, छूछंदर काट ले तो अमूमन इससे रेबीज के संक्रमण का खतरा नहीं होता है। लेकिन ऐसे मामलों में भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। घरों में भी कुछ ऐसे छोटे जानवर होते हैं। जो काट लें तो बाद में खतरा पैदा हो सकता है। लिहाजा जिस जगह किसी जानवर ने काटा हो उस घाव को तत्काल बहते पानी में साबुन से धोने की जरूरत होती है। साथ ही यह भी देखना बहुत जरूरी होता है कि घाव कितना बड़ा व गहरा है। घाव को धोने के अलावा किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से भी सलाह लेनी चाहिए। अगर चिकित्सक घाव देखकर एंटी टेटनस इंजेक्शन लगाने सहित अन्य चिकित्सकीय सलाह देते हैं। तो तत्काल उसका अनुपालन किया जाना चाहिये।

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