देश के जनता को लूटना अब तो नेताजी बंद करो,वोट के लिए धर्म की चोला मत बदलो ! राजा का प्रजा के प्रति फर्ज व दायित्व क्या यहीं है जो नेताजी आज आप कर रहे हो ,जनक्रंदन।

अनिल कुमार मिश्रा शर्म हमें इस बात के लिए आनी चाहिए की हम हकियत से मुंह मोड़ते जा रहे हैं, गद्दारों व मकारों के लिए डंका बजाते जा रहे है। बुद्धिजीवी
पवरिया का जो कल काम था वह आज हर वर्ग,धर्म व समुदाय तथा समाज के लगभग लोग करने के लिए तैयार हैं , आखिर वजह क्या है ?
अनिल कुमार मिश्र,
औरंगाबाद (बिहार) भारत देश/ वर्ष में प्रोजेक्ट और लूट कुर्सी को बचाये रखने के लिए सर्वोपरि है, भले ही देश व देश के जनता कर्य के बोझ तले क्यों नही दब जाये और जनता फटेहाल , बेहाल , भूखे और दवा के लिए तड़प- तड़प कर क्यों नहीं मर जाये।
देश के जनता को क्या आपने कभी यह बताने का काम किया है या करते आ रहे हैं कि देश पर मोदी के पहले कर्य कितना था और आज कितना है। कोरोना काल में चंद चाटूकारों के चौगनी से भी अधिक संपत्ति /आये कैसे बढ़ गया और सड़क पर लाखों नहीं, करोड़ों लोगों ने लचर स्वास्थ्य ब्यवस्था, ब्याप्क पैमाने पर ब्याप्त अराजकता व लूट के कारण दम क्यो तोड़ दिया, सड़को पर लोग तड़प- तड़प कर दम तोड़े नजर क्यों और कैसे आये और मोदी जी देश के अंगों को बेचकर- बेचकर संसद भवन एवं प्रोजेक्ट क्यों और कैसे बनाते रहे। क्या राजा का प्रजा के प्रति फर्ज व दायित्व यही होता है।
शर्म हमें इस बात के लिए आनी चाहिए की हम हकियत से मुंह मोड़ते जा रहे हैं और झुठे शानो- सौकत में देश के गद्दार व मक्कार लोगों की पक्ष में डंका बजाते आ रहे हैं।
पवरिया का जो कल काम था वह आज भारत वर्ष में हर वर्ग , धर्म व समाज के लगभग लोग करने के लिए तैयार हैं , आखिर वजह क्या है, वाद की जहर (जातवाद , धर्मवाद , परिवारवाद, आरक्षण , फारवड़, बैकवड़, एससीएसटी,) और नफरत ही नफरत ! केवल नफरत।
नेता हो तो चुनाव के तहत कुर्सी पाओ। जनादेश है तो हिन्दूराष्ट्र घोषित कर दो ।
देश भक्त हो तो देश व व राज्य मे कानून को नहीं मानने वाले तथा कानून को तोड़े वाले को जेल में बंद कर दो या कानून तोड़ने वाले को गोली से भूनवा डालो,आखिर किसने रोका है, आप तो राजा हो देश के कानून को एससीएसटी एक्ट की तरह बदल डालो। फिर किसान मजदूरों व गरीबों को तड़पा- तड़पा कर क्यों मारते हो, क्या हिन्दूत्व के नाम पर भारत के सर ताज पहनाने की सजा ही गरीब हिन्दूओ को मिल रहा है।
हिन्दूत्व के नाम पर वोठ मांगो, हिन्दू- मुस्लिम में नफरत फैलाओ, आपस में कटवाओ और मुस्लिम की टोपी पहनकर मस्जिद में नवाज पढ़ने जाओ ,फिर अपने आपको सेकूलर भी कहाओ और अपने को मुस्लिम का हितैषी भी बताओ और चुनाव आते ही सेकूलर वादी और हिन्दूत्व की रक्षक एक साथ चुनाव लड़ो, कुर्सी खतरें में देखों तो किसी को साथ ले लो या साथ में चले जाओ और फिर भी धर्म के नाम पर हिन्दू- मुस्लिम में नफरत फैलाओ, यह किसी भी राजनीति पार्टी के नेताओं के लिए, कैसी दोगली नीति है।
हिन्दूत्व की बात करने वाले तथा हिन्दूओं के मसिहा बताने वाले वैसे गद्दारों से हम कुछ पुछना चाहेंगे!
क्या तुम ने वोट के लिए किसी मुस्लिम नेता को अपने धर्म की टोपी को उतार कर हिन्दू धर्म के प्रतिक वस्त्र को धारण कर मंदिर मे माथा टेकते हूए देखा है , अगर हाँ तो नाम बताओ, अगर नहीं तो हिन्दू मुस्लिम के नाम पर नफरत फैलाने वाले तथाकथित हिन्दू चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाओ अथवा कथनी और करनी एक करके तो हिन्दूओं को दिखाओं। अपने को हिन्दू कहने वाले ,हिन्दूओं के लाज बचाने के लिए थोड़ा भी शर्म करो और वोट के लिए धर्म की चोला मत बदलो।