ब्रेकिंग न्यूज़राज्य

झारखंड में नियुक्तियों को लेकर जल्द होगी वैकल्पिक व्यवस्था… राज्यपाल से मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विधायकों का प्रतिनिधिमंडल मिले….. पढ़िये क्या बोले मुख्यमंत्री

राहुल कुमार राय (रांची)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में विधायकों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राज्यपाल से मिला। सीएम ने कहा कि एक साजिश के तहत राज्य के मूलवासी, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को छिना जा रहा है। जिसे सरकार किसी कीमत पर विरोधियों की साजिश को पूरा होने नहीं देगी. उन्होंने कहा कि जल्द ही सरकार राज्य में नियुक्तियों को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार कर रही है।

माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस जी से शिष्टमंडल के साथ भेंट कर 1932 खतियान तथा आरक्षण विधेयक शीघ्र अग्रतर कार्रवाई हेतु भारत सरकार को भेजने हेतु आग्रह किया।
उन्होंने यह भी कहा कि झारखण्ड हितैषी नीतियों पर हमेशा कुठाराघात हुआ है। इन विधेयकों को 9वीं अनुसूची में शामिल करने से इन्हें संवैधानिक कवच मिलेगा।

जल्द ही इसका सकारात्मक परिणाम सामने आयेगा। इस विधेयक में यह भी निवेदन था कि इसे नौंवी अनुसूची में डाला जाए, ताकि जिस तरीके से यहां मूलवासी-आदिवासियों के खिलाफ जो साजिश हो रही है, उसे खत्म किया जा सके। इसी विधेयक को जल्द से जल्द पारित करने के लिए राज्यपाल से आग्रह किया, ताकि केंद्र सरकार के पास जल्द से जल्द इसे नौंवी अनुसूची में शामिल कर इस राज्य के नौजवानों के भविष्य को संरक्षित करने का काम हो सके।

सीएम ने कहा कि यह यहीं नहीं रुकेगी। उन्होंने राज्य के नौजवानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस सरकार का प्रयास है कि राज्य के नौजवानों को अधिकार मिले। साथ ही कहा कि जो नियुक्तियां हैं, इन नियुक्तियों को लेकर सरकार वैकल्पिक व्यवस्था की प्रयास में जुटी है। उन्होंने कहा कि इस नियोजन नीति को लेकर राज्य के सात लाख से अधिक बच्चों ने आवेदन किया था। आज वो बच्चे काफी निराश और मायूस हैं. हमें इनकी चिंता है। बीजेपी को छोड़ कर सभी राजनीतिक दल के शिष्टमंडल राज्यपाल से मुलाकात की। इस शिष्टमंडल में जेएमएम, कांग्रेस, राजद, सीपीएम, आजसू, वामदल समेत अन्य राजनीतिक दल के नेताओं ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल से भेंट करने का कारण पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट द्वारा राज्य के नियोजन नीति को रद्द करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नियोजन नीति पहली बार रद्द हुई है, ऐसी बात नहीं है। पूर्व में भी कई बार नियोजन नीति को हाईकोर्ट द्वारा रद्द किया गया है। बड़ा दुर्भाग्य है कि यहां के नौजवानों का जहां तृतीय और चतुर्थ वर्गीय रोजगार पाने में भी असफल हो रहे हैं। इसको लेकर यहां के मूलवासी-आदिवासियों के हक में वर्तमान सरकार ने जो नियोजन नीति बनायी थी, उसे रद्द कर दिया गया. हमें इस बात का अंदेशा था कि पूर्व के उदाहरण को ध्यान में रखकर हमलोग आगे बढ़ रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस राज्य में कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो ऐन-केन-प्रकारेण यहां के मूलवासी-आदिवासियों के अधिकारों को छिनने का प्रयास कर रही है. कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में जिन लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी, उसमें 20 लोग इसकी शिकायतकर्ता बनें. इसमें मात्र एक को छोड़कर बाकी सभी 19 शिकायतकर्ता दूसरे राज्यों से ताल्लुक रखते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button