भ्रष्टाचार

नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद के द्वारा टिकारी अनुमंडल अस्पताल में कार्यरत फार्मासिस्ट जनार्दन प्रसाद मधुकर पर इंज्यूरी रिपोर्ट देने में रिश्वत लेने के लगाए आरोप पर सिविल सर्जन के कार्यालय से जांच का निर्देश टिकारी प्रभारी उपाधीक्षक को दिया गया है।

सुमित कुमार मिश्रा-मिली जानकारी के अनुसार नगर परिषद उपाध्यक्ष सागर कुमार ने पिछले दिनों जन शिकायत के आधार पर अनुमंडल अस्पताल में कार्यरत फार्मासिस्ट मधुकर पर इंजुरी रिपोर्ट देने में रिश्वत लेने का आरोप की शिकायत डीएम और सिविल सर्जन को भेजे गए एक पत्र में किया था। इस पत्र पर कारवाई करते हुए सिविल सर्जन कार्यालय से अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक को जारी एक पत्र में उक्त मामले की सत्यता की जांच करने को कहा गया है। अस्पताल में आयुष चिकित्सक के रूप में कार्यरत डॉ मुकुल कुमार और स्वास्थ्य प्रबंधक ज्योति कुमारी को शिकायत कर्ता को बुलाकर मामले की सत्यता की जांच करने का कार्य प्रभारी उपाधीक्षक द्वारा दिया गया है।

उप मुख्य पार्षद श्री कुमार के अनुसार उन्हें सूचित किया गया है कि 8 सितंबर को अस्पताल में उपस्थित होकर अपना पक्ष और आरोप से संबंधित साक्ष्य रखें ताकि मामले की सत्यता तक पहुंचा जा सके।

हालांकि इस जांच के प्रति उप मुख्य पार्षद श्री कुमार ने अपना असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक और स्वास्थ्य प्रबंधक को जांच का जिम्मा सौंपने से वे संतुष्ट नहीं हैं। उनके अनुसार भ्रष्टाचार का ऐसा नंगा खेल एक व्यक्ति के स्तर पर नहीं हो रहा है। यदि उच्च पदाधिकारी स्वयं या किसी तटस्थ पदाधिकारी से यह जांच करवाते तो पीड़ितो के अंदर न्याय के प्रति विश्वास मजबूत होता।

उन्होंने कहा कि वे शीघ्र डीएम गया से इस संबंध में बात करेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि अपनी बनाए पहचान के अनुसार वे इस मामले की जांच जिला में कार्यरत किसी सक्षम पदाधिकारी से कराए तो प्रखंड के गरीब ,दलित एवं पीड़ित लोगों को न्याय मिल सकेगा श्री कुमार ने कहा कि आरोप लगने के बाद भी फार्मासिस्ट मधुकर को ही इंज्यूरी का इंचार्ज बनाए रखना ही स्थानीय अधिकारियों की मंशा को जाहिर करता है।

उपरोक्त संबंध में पूछे जाने पर अनुमंडल अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक ज्योति कुमारी ने कहा कि जब तक जांच नहीं पूरी हो जाती है ,मामले की सत्यता सामने नहीं आ जाती है तब तक उक्त फार्मासिस्ट से इंज्यूरी रिपोर्ट का चार्ज ले लेना उचित नहीं प्रतीत होता। जांच पूरा होने तक उनकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं किया

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