राष्ट्र – निर्माण में मीडिया की निर्णायक भूमिका।।.

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-प्रेम यूथ फाउंडेशन एवं यूथ एजेंडा के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका के विषय पर युवा आवास पटना में सेमिनार का आयोजन किया गया । सेमिनार का उद्घाटन फाउंडेशन के संस्थापक गांधीवादी प्रेम जी ने दिप प्रज्ज्वलित कर किया ।
टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, सोशल मीडिया आदि आम लोगों के विचार एवं निर्णय क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। मीडिया की यह भूमिका यदि सकारात्मक हो तो वह राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
यूथ एजेंडा के श्री शशि शेखर ने , नई मीडिया खासकर व्हाट्सऐप, ट्यूटर एवं फेसबुक के बढ़ते प्रभाव पर विचार रखा और कहा कि ख्याल रखा जाना चाहिए कि इसका उपयोग व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के अहित में न हो। ‘राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व पत्रकारिता देश को आजादी दिलाने के लिए मिशन था। आजादी के बाद अब पत्रकारिता प्रोफेशन में तब्दील हो गया है। ये खराब नहीं है। लेकिन इसमें भी ईमानदारी होनी चाहिए।
प्रेम यूथ फाउंडेशन के संस्थापक गांधीवादी प्रोफ़ेसर प्रेम कुमार ने भारतीय मीडिया के विस्तार एवं प्रभाव पर प्रकाश डाला और कहा कि पत्रकारिता का काम महज सूचना देना नहीं बल्कि जनचेतना लाना है। यह जिम्मेदारी मीडिया को समझनी होगी। गांधीवादी प्रेम कुमार ने कहा कि मीडिया किसी भी राष्ट्र का आंख, कान व मुंह है। इसके माध्यम से देश देखता, सुनता व समझता है।
इस अवसर पर NGO HELPLINE के संस्थापक डॉ. संजय कुमार झा ने कहा कि मीडिया ग्रुप बड़ा-छोटा हो सकता है, लेकिन पत्रकारिता छोटी नहीं होती। डॉ. संजय ने अनियंत्रित नई मीडिया को विवेकपूर्ण बनाने की वकालत की। मीडिया सामाजिक व आर्थिक विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है. समाज व राष्ट्र के निर्माण में आज इसकी केंद्रीय भूमिका हो चुकी है.
सुश्री प्रेरणा विजय ने कहा कि जनता की आवाज सही मायने में अगर कोई बनकर सामने आ रही है, तो वह प्रेस-मीडिया ही है. प्रेरणा विजय ने सामाजिक विकास में मीडिया के योगदान पर प्रकाश डाला और प्रेस-मीडिया को समाज का आईना बताया !
ने कहा है कि समाज को सुधारने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। क्योंकि कलम की ताकत के आधार पर ही जनतंत्र मजबूत होता है। मीडिया को सच्ची व सकारात्मक खबरे ही लिखनी चाहिए। जिससे समाज एवं देश का विकास हो। लेखनी में विचार का मिश्रण नहीं करना चाहिए।
मीडिया अथवा जनसंचार माध्यम किसी भी समाज या देश की वास्तविक स्थिति के प्रतिबिंब होते हैं। देश के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक फलक पर क्या कुछ घटित हो रहा है, इससे आम जन-मीडिया के द्वारा ही परिचित होते हैं। जनसंचार माध्यमों के विभिन्न रूपों ने आज दुनिया के लगभग हर होने तक अपनी पहुँच बना रखी है। मीडिया की शक्ति का आकलन उसकी व्यापक पहुंच के मद्देनजर किया जा सकता है। लेकिन इतनी शक्तियों और लगभग स्वतंत्र होने की वजह से मीडिया की देश और समाज के प्रति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है, इसीलिए लोकतंत्र में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद मीडिया को चैथा स्तम्भ माना जाता है। सेमिनार को संबोधित करने बालो बरिष्ठ पत्रकार आलोक, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महा सचिव एसएन श्याम, विधि विमर्श के रणविजय, मो रहमान,मो आशिफ, अमृत राज, सोनू पटेल, शामिल है ।