किशनगंज में शुरू हुई ‘मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परंपरा योजना’, विलुप्तप्राय कलाओं को मिलेगी नई पहचान
किशनगंज,03अगस्त(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार द्वारा राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विलुप्तप्राय कला रूपों को संरक्षित करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परंपरा योजना’ की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत युवा प्रतिभाओं को विभिन्न दुर्लभ और पारंपरिक कलाओं में विशेषज्ञ गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, किशनगंज ने बताया कि इस योजना में बिहार की लोक और शास्त्रीय कलाओं के वे रूप शामिल किए गए हैं जिन्हें संरक्षण और पोषण की आवश्यकता है। इनमें गौरियाबाबा, भरथरी बाबा, दीनाभद्री, राजा सलहेश, रेशमा-चूहड़मल, सती बिहुला जैसी विलुप्तप्राय लोक गाथाएं; विदेशिया, नारदी, डोमकुछ, बिरहा जैसे लोकनाट्य; पाईका, कर्मा, धोबिया, झरनी जैसे लोकनृत्य; सुमंगली, चैता, पूरबी जैसे लोकसंगीत; सारंगी, रुद्र वीणा, ईसराज, शहनाई जैसे लोक वाद्य यंत्र तथा पटना कलम, सिक्की कला, टेराकोटा जैसी पारंपरिक चित्रकलाएं शामिल हैं।
दो वर्ष की प्रशिक्षण अवधि
योजना के तहत चयनित शिष्यों को दो वर्ष तक प्रति माह कम से कम 12 दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा। गुरुओं को 15,000 रुपये प्रतिमाह, संगत कलाकारों को 7,500 रुपये प्रतिमाह और शिष्यों को 3,000 रुपये प्रतिमाह वित्तीय सहायता दी जाएगी।
चयन प्रक्रिया
गुरुओं का चयन विभाग की विशेषज्ञ समिति द्वारा, जबकि शिष्यों का चयन चयनित गुरु एवं जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के माध्यम से किया जाएगा। प्रशिक्षण अवधि के बाद विभाग की ओर से दीक्षांत समारोह आयोजित होगा जिसमें गुरु और शिष्य अपनी कला का प्रस्तुतिकरण करेंगे।
अधिक जानकारी के लिए जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, किशनगंज के कार्यालय (खेल भवन) से संपर्क किया जा सकता है।