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*अगले माह बनेगी बिहार को बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने की रणनीति*

– बिहार राज्य बाल श्रम आयोग के पुनर्गठन के बाद पहली बैठक सम्पन्न
– बाल श्रम मुक्त बिहार की दिशा में संकल्पबद्ध हुई नई टीम

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार राज्य बाल श्रम आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष अशोक कुमार ने आगामी जुलाई के प्रथम सप्ताह में एक कार्य योजनात्मक बैठक आयोजित करने की घोषणा की। इसमें बाल श्रम उन्मूलन को लेकर ठोस रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार को बाल श्रम मुक्त बनाना एक बड़ी चुनौती है। परंतु यह तभी संभव है जब सरकार, समाज, परिवार एवं प्रशासनिक तंत्र मिलकर समन्वय के साथ कार्य करे। उन्होंने विशेष रूप से परिवार की भूमिका और जन-जागरूकता अभियान के महत्त्व पर बल दिया।

बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के पुनर्गठन के उपरांत मंगलवार को राजधानी के नियोजन भवन में नवनियुक्त अध्यक्ष अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण परिचयात्मक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह, सचिव-सह-श्रमायुक्त राजेश भारती सहित कई जनप्रतिनिधि एवं आयोग के सदस्यगण मौजूद थे। इस अवसर पर विधानसभा सदस्य श्रेयसी सिंह, विधान परिषद सदस्य रामविलास कामत, अनिल कुमार एवं रवीन्द्र प्रसाद सिंह ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आयोग के उद्देश्यों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। आयोग के सदस्य सुशील कुमार और शौकत अली भी इस परिचयात्मक बैठक में मौजूद थे।

उपाध्यक्ष अरबिंद कुमार सिंह ने भी सभी विभागों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के साथ समन्वय बनाने पर जोर देते हुआ कहा कि सभी स्तरों पर प्रचार-प्रसार के साथ परिवार के सदस्यों को भी जागरूक करना आवश्यक है। हम सभी की सहभागिता से ही बिहार को बाल श्रम मुक्त बनाया जा सकता है। बैठक में सचिव-सह-श्रमायुक्त, राजेश भारती ने बिहार सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बताया कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री राहत कोष से मुक्त कराए गए प्रत्येक बाल श्रमिक को 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने वाला भी बिहार देश का पहला राज्य है, जो राज्य सरकार की संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने बाल श्रमिकों के पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक समावेशन को प्राथमिकता देने की बात कही। इस पहली बैठक में जहां आयोग के भावी कार्यों की रूपरेखा बनी, और उससे ससमय स्थानांतरित करने का संकल्प लिया गया।

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