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SSR केस : आखिर किसके दबाव में मुंबई पुलिस सच छिपा रही..?

मुंबई पुलिस इस केस में चट्टान की तरह खड़ी है कि कोई सच्चाई तक न पहुंच पाए।मुंबई पुलिस ने सच्चाई छिपाने का पूरा प्रयास किया है।मुंबई पुलिस ने इस मामले में आज तक FIR तक दर्ज नहीं की, बस ऐसे ही जांच कर रही है:-विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेशमुंबई पुलिस ने 66 दिन तक कोई रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की ? किसी भी केस की जांच तब होती है, जब एफआईआर दर्ज हो, जो कि अब तक नहीं हुई।मुंबई पुलिस ने मौका-ए-वारदात की फोटोग्राफी की, लेकिन दिखाया कहीं नहीं।सबसे बड़ी बात कि मुंबई पुलिस के अधिकारी घटना वाले दिन मौका-ए-वारदात (सुशांत के घर) से निकलते हैं और तुरंत कह देते हैं कि ये आत्महत्या है।बिना जांच के, बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखे और बिना बिसरा रिपोर्ट देखे, कोई पुलिस अधिकारी ये कैसे बता सकता है ?पटना/धर्मेन्द्र सिंह, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंप दी है।इस मामले में दो महीने से मुंबई और बिहार पुलिस के बीच खींचतान चल रही थी।इस केस को लेकर दोनों राज्यों में राजनीति भी खूब हो रही है।ऐसे में क्या सीबीआई के लिए इस केस की तह तक पहुंचना आसान होगा ? आखिर वो कौन से 10 सवाल हैं जिनके जवाब तलाशना सीबीआई के लिए चुनौती बन सकता है ? इस केस में मुंबई पुलिस और बिहार पुलिस ने कहां-कहां की चूक ? पूर्वी डीजीपी विक्रम सिंह के अनुसार सुशांत केस में सीबीआई के सामने चैलेंज ही चैलेंज हैं।14 जून के घटनाक्रम में आज सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी है।हालांकि, सीबीआई ने कुछ दिन पहले से ही काम शुरू कर दिया था।केस को दो माह से ज्यादा समय हो चुका है।इस दौरान साक्ष्य और गवाहों के ऊपर जो दुष्प्रभाव डाला जाना था और उन्हें प्रभावित करने की जो कोशिश होनी थी, वो तो काफी हद तक हो चुकी है।सुशांत का फोन 25 दिन बाद फॉरेंसिक जांच को दिया गया।इतने दिन में दुनिया किधर की किधर हो जाती है।इतने दिन में गवाह प्रभावित हो गए।कुछ गवाह हैं, जिन्हें जान का खतरा है।जिन पांच डॉक्टरों ने सुशांत का पोस्टमार्टम किया था वो अब भूमिगत हो चुके हैं।दिशा सालियान मामले में मुंबई पुलिस ने कहा कि फाइलें डिलीट हो गईं।ये सारी परिस्थितियां इशारा करती हैं कि इस केस में मुंबई पुलिस बहुत कुछ छिपा रही है, जिसका खुलासा होना जरूरी है।यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के अनुसार मुंबई पुलिस इस केस में चट्टान की तरह खड़ी है कि कोई सच्चाई तक न पहुंच पाए।मुंबई पुलिस ने सच्चाई छिपाने का पूरा प्रयास किया है।मुंबई पुलिस ने मामले में आज तक FIR तक दर्ज नहीं की, बस ऐसे ही जांच कर रही है।हिंदुस्तान में शायद ही ऐसा कोई बड़ा केस हो, जिसमें बिना एफआईआर के इतनी लंबी जांच चली हो।चाहे इंदिरा गांधी हत्याकांड हो या बेअंत सिंह हत्याकांड हो या फिर कोई भी बड़ा मामला, किसी की जांच ऐसे ही 66 दिन तक बिना किसी एफआईआर के नहीं चली है।तो इस मामले में मुंबई पुलिस ने 66 दिन तक कोई रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की ? किसी भी केस की जांच तब होती है, जब एफआईआर दर्ज हो, जो कि अब तक नहीं हुई।सुशांत का फोन 25 दिन बाद फॉरेंसिक जांच को दिया गया।इतने दिन में दुनिया किधर की किधर हो जाती है।इतने दिन में गवाह प्रभावित हो गए।कुछ गवाह हैं, जिन्हें जान का खतरा है।जिन पांच डॉक्टरों ने सुशांत का पोस्टमार्टम किया था वो अब भूमिगत हो चुके हैं।दिशा सालियान मामले में मुंबई पुलिस ने कहा कि फाइलें डिलीट हो गईं।ये सारी परिस्थितियां इशारा करती हैं कि इस केस में मुंबई पुलिस बहुत कुछ छिपा रही है, जिसका खुलासा होना जरूरी है।मुंबई पुलिस की भूमिका

यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के अनुसार मुंबई पुलिस इस केस में चट्टान की तरह खड़ी है कि कोई सच्चाई तक न पहुंच पाए।मुंबई पुलिस ने सच्चाई छिपाने का पूरा प्रयास किया है।मुंबई पुलिस ने मामले में आज तक FIR तक दर्ज नहीं की, बस ऐसे ही जांच कर रही है।हिंदुस्तान में शायद ही ऐसा कोई बड़ा केस हो, जिसमें बिना एफआईआर के इतनी लंबी जांच चली हो।चाहे इंदिरा गांधी हत्याकांड हो या बेअंत सिंह हत्याकांड हो या फिर कोई भी बड़ा मामला, किसी की जांच ऐसे ही 66 दिन तक बिना किसी एफआईआर के नहीं चली है।तो इस मामले में मुंबई पुलिस ने 66 दिन तक कोई रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज की ? किसी भी केस की जांच तब होती है, जब एफआईआर दर्ज हो, जो कि अब तक नहीं हुई। मुंबई पुलिस ने मौका-ए-वारदात की फोटोग्राफी की, लेकिन दिखाया कहीं नहीं।बिना जांच नतीजे पर पहुंची मुंबई पुलिस

सबसे बड़ी बात कि मुंबई पुलिस के अधिकारी घटना वाले दिन मौका-ए-वारदात (सुशांत के घर) से निकलते हैं और तुरंत कह देते हैं कि ये आत्महत्या है।बिना जांच के, बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखे और बिना बिसरा रिपोर्ट देखे, कोई पुलिस अधिकारी ये कैसे बता सकता है ? इसका मतलब कि वो पहले से ही मन बनाकर पहुंच थे।वो चाहते थे कि कोई मामले के तह तक न पहुंचे।सच के सामने वो चट्टान की तरह खड़े हो गए।और तो और भ्रम फैलाने के लिए मुंबई पुलिस ने मीडिया के जरिये कहानी फैलानी शुरू कर दी।मुंबई पुलिस द्वारा सुशांत को मानसिक तौर पर बीमार बता दिया गया। पुलिस को कब से ये अधिकार मिल गया कि वो मनोचिकित्सक का काम करने लगे।अगर ये केस किसी अन्य राज्य का होता तो इतनी ज्यादा लापरवाही बरतने पर अब तक जांच अधिकारी समेत पूरा थाना सस्पेंड हो चुका होता।क्या वजह है कि लापरवाही पर लापरवाही करने के बावजूद मुंबई पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही ?पहले दिन से लापरवाह है मुंबई पुलिस

सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्डिंग जैसे साक्ष्य होने के बावजूद मुंबई पुलिस इस केस में पहले दिन से लापरवाही बरत रही है।यही वजह है कि घटना के बाद भी एक लड़की मौका-ए-वारदात पर पहुंच गई।कोई लड़का काला बैग लेकर भाग गया और मुंबई पुलिस ने ये सब होने दिया।आखिर क्यों ? सुशांत की मौत से कुछ दिन पहले ही 8 जून को दिशा सालियान की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी।मुंबई पुलिस ने इन दोनों केस के तथ्यों का आपस में मिलान क्यों नहीं किया ? कौन है वो AU कॉलर, जिससे रिया चक्रवर्ती की कई बार बातचीत हुई ? सुशांत की मौत के बाद वही फोन नंबर AU की जगह SU का हो गया।मुंबई पुलिस क्यों नहीं अब तक इस कॉलर को तलाश सकी ? सुशांत समेत केस से जुड़े लोगों की कॉल डिटेल की फॉरेंसिक जांच क्यों नहीं कराई गई ?पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के मुताबिक बिहार पुलिस ने भी इस मामले में कुछ चूक की है।ये सच है कि सुशांत के पिता ने शिकायत दी। शिकायत पर बिहार पुलिस को जीरो एफआईआर दर्ज करनी चाहिये थी।यहां तक वो सही है।लेकिन बिहार पुलिस खुद केस की विवेचना करने मुंबई पहुंच जाए, ये गलत था।बिहार पुलिस को विवेचना करने का कोई अधिकार नहीं था।उन्हें जीरो एफआईआर कर मुंबई भेजना चाहिये था, क्योंकि विवेचना का अधिकारी मुंबई पुलिस का ही है। मतलब इस केस में बिहार पुलिस आधी सही-आधा गलत है।सीबीआई के अलावा इस केस में विकल्प और भी थे, लेकिन साफगोई से जांच होती तो।सही से तथ्यों की जांच की जाती।दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे का सहयोगी करती।अगर बिहार पुलिस वहां जांच करने गई ही थी तो मुंबई पुलिस को सहयोग करना चाहिये था।उन्हें जांच के लिए सभी जरूरी सुविधाएं और जानकारी मुहैया करानी चाहिये थी।उनके रहने-खाने की व्यवस्था करनी चाहिये थी। इसके विपरीत मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को ही क्वारंटीन करा दिया।मुंबई पुलिस ने सहयोग तो कोई किया नहीं, लेकिन असहयोग कि मिसाल पेश कर दी।मुंबई पुलिस का ये बहुत ही गलत और गैर पेशेवर रवैया था।पू्र्व आईपीएस अधिकारी विक्रम सिंह के अनुसार, ‘सुशांत केस में ऐसे बहुत से तथ्य और चीजें हैं, जिनकी ईमानदारी से जांच होनी चाहिये।अगर किसी को इतना ज्यादा दबा दें, धमका दें, डरा दें या जलील कर दें कि वो आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाए, तो ये भी अपराध है।मेरा अनुभव कहता है, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।ऐसे में उस अपराधी की पहचान तो होनी ही चाहिये, जिसने सुशांत को ये कदम उठाने के लिए मजबूर किया।महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस दोनों को तमाचा

विक्रम सिंह मानते हैं कि मुंबई पुलिस देश की बहुत अच्छी और काबिल फोर्स है, लेकिन सुशांत केस में जैसे तफ्तीश की है, जाहिर है पुलिस पर बहुत बड़ा राजनीतिक दबाव है।तभी मुंबई पुलिस ने ऐसा किया।नहीं तो मुंबई पुलिस ऐसा करती नहीं।मुंबई पुलिस ने मुंबई ब्लॉस्ट जैसे कई बड़े मामलों की सफलता से जांच की है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच की मंजूरी, सरकार और मुंबई पुलिस दोनों के गाल पर तमाचा है।

SSR केस CBI के सुपुर्द किये जाने पर बोले DGP बिहार गुप्तेश्वर पांडेय-सच की जीत हुई..आखिरकार सुशांत सिंह राजपूत केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया।सभी पक्षो को सुनते हुए एससी अपने फैसले में SSR केस को CBI जांच के सुपुर्द कर दिया है।इस फैसले के बाबत बिहार पुलिस के मुखिया ने कहा है कि ये सच की जीत हैं।फैसला आने के बाद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि ये न्याय की जीत है, मैं न्यायमूर्ति को प्रणाम करता हूँ।उन्होंने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस ने क्या किया सबने देखा है।उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला दिया है उससे 130 करोड़ जनता के दिल में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के लिए जो आस्था थी वो और ज्यादा दृढ़ हुई है।गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि ”माननीय सु्प्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा।आज तक मैंने सुना था कि न्यायाधीश भगवान का रूप होते हैं, आज मैंने देख लिया।मैं न्यायाधीश को सैल्यूट नहीं बल्कि इस फैसले के लिए शाष्टांग प्रणाम करता हूं।गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि “बिहार पुलिस को मुंबई पुलिस ने जिस तरह से क्वारंटीन किया वह गलत था।इस फैसले से देशवासियों के मन में सर्वोच्च न्यायालय ने लोकतंत्र के प्रति आस्था मजबूत की है।”गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि हम लोगों पर आरोप लगाए गए।जबकि हम लोग सही थे।बिहार के CM नीतीश कुमार पर रिया की चिप्पणी को लेकर उन्होंने कहा कि CM नीतीश पर कमेंट करने की रिया चक्रवर्ती की औकात नहीं थी।

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