ताजा खबर

*सम्पूर्ण क्रांति की भूमि पर खेल क्रांति का आगाज*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार में पहली बार आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भागलपुर के सैंडिस कम्पाउन्ड के नवनिर्मित इंडोर स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट पर पूर्व अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी विवेक दिगम्बर श्रॉफ यहां बने चार अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन कोर्ट का मुआयना करते नजर आते हैं। यहां देश के विभिन्न राज्यों से आए खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मापदंड के कोर्ट और सिंथेटिक मैट देखकर वह गदगद हैं। विवेक श्रॉफ कहते हैं कि मैं पहली बार बिहार आया हूं और यहां आकर महसूस कर रहा हूं कि मैंने बिहार के बारे में जितना कुछ पढ़ा और सुना था, उससे कहीं अधिक बेहतर पा रहा हूं। 56 वर्षीय विवेक श्रॉफ कहते हैं कि मैं बिहार को राजनीतिक आंदोलनों और क्रांति की भूमि के रूप में जानता रहा हूं लेकिन अब बिहार में एक खेल क्रांति भी बड़ी खामोशी से आकार ले रही है।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बैडमिंटन की प्रतिस्पर्धा के लिए विवेक श्रॉफ को कंपीटिशन डायरेक्टर की भूमिका सौंपी गई है। बैडमिंटन को कभी अमीरों का खेल कहा जाता था। लेकिन आज बिहार के बच्चों के लिए सरकार के स्तर पर उपलब्ध कराई गई बुनियादी सुविधाओं से दिख रहा है कि बैडमिंटन के कोर्ट भी अब बिहार में केवल कुलीन वर्ग से आने वाले बच्चों तक सीमित नहीं हैं। सैंडिस कम्पाउन्ड के इंडोर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन कोर्ट में हर सुबह शहर के दर्जनों बच्चों का जमघट लगता है। जो समाज के विभिन्न वर्गों से आते हैं। यहां बैडमिंटन के पूर्व खिलाड़ी प्रशिक्षक की भूमिका में हैं। श्रॉफ कहते हैं कि अगर युवाओं को खेल की तरफ मुखातिब करना है तो सबसे पहले उन्हे खेल की बुनियादी सुविधाएं मुहैया करानी पड़ती है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगर बिहार में खेलों के प्रति सरकार इसी जज्बे से काम करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार के खिलाड़ी भी एशियाई और ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीतते नजर आएंगे। श्रॉफ कहते हैं कि मैंने यह भी सुना है कि बिहार सरकार ने अपने खिलाड़ियों के लिए पदक लाओ और नौकरी पाओ का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि जब हुनर को जीवन यापन का जरिया बना दिया जाए तो खेलों के लिए इससे आदर्श स्थिति नहीं हो सकती।
सैंडिस कंपाउंड के इंडोर स्टेडियम में उत्तर प्रदेश से बालिका वर्ग में बैडमिंटन की प्रतिस्पर्धा में भाग लेने आई स्नोवी गोस्वामी से जब यहां उपलब्ध खेल सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो स्नोवी कहती है कि यहां सारी सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं। तमिलनाडु से आई बैडमिंटन खिलाड़ी अनन्या कहती हैं कि यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स को लेकर काफी अच्छी तैयारी की गयी है। मुझे पहली बार बिहार आकर काफी अच्छा लग रहा है। यहां खिलाड़ियों के रहने, खाने-पीने और यहां तक कि घूमने की भी व्यवस्था की गई है। मैं बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों को देखने की इच्छा लेकर आई हूं। इसी तरह बैडमिंटन के बालक वर्ग में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे रणवीर सिंह अपनी तैयारियों को लेकर कहते हैं कि हमें सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं मिल रही हैं। ऐसे में मेरे जैसे खिलाड़ियों का सपना है कि हम बिहार के लिए पदक जीतें। हालांकि यहां कंपीटिशन काफी टफ है। उत्तर प्रदेश के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी इशमीत सिंह ने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भागीदारी करना अपने आप में गर्व की बात है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 15 मई को सम्पन्न हो जाएगा। लेकिन बिहार में खेल और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सांचे में ढालने की मुहिम न सिर्फ कम उम्र के खिलाड़ियों की बल्कि उनके अभिभावकों की आंखों में नए सपने संजोने लगा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button