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गैस सिलेंडर ट्राली (Gas cylinder trolley) में लगे स्मार्ट किट से पता चलेगा दिनभर में गैस की कितनी हुई खपत

- करीब छह का समय लगा और गैस सिलेंडर ट्राली स्मार्ट किट को तैयार कर लिया - यदि इसके उत्पादक मिल जाएं तो बेशक मार्केट में इस स्मार्ट किट को 500 रुपये की कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकता है : डा. दिपेन


रांची : कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। साहेबगंज के सुदूरवर्ती गांव बरहरवा के पास मोगलपारा जैसे छोटे गांव से वर्ष 2005 में मैट्रिक की परीक्षा पास कर युनिवर्सिटी पालिटेक्निक बीआइटी मेसरा पहुंचे पूर्ववर्ती छात्र डा. दिपेन कुमार रजक शोध के क्षेत्र में नित नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। अब तक 18 पेटेंट अपने नाम दर्ज करने के बाद लगातार शोध कार्यों में लिप्त हैं और इस वर्ष के अंत तक और 5 पेटेंट कराने का दम भर रहे हैं। इनोवेशन और इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट पर व्याख्यान देने युनिवर्सिटी पालिटेक्निक पहुंचे डा. दिपेन कुमार रजक ने विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने 2008 बैच में मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियरिंग का कोर्स यूनिवर्सिटी पालिटेक्निक से किया था। अभी उनके नाम पर 120 रिसर्च पब्लिकेशंस, 2 अंतर्राष्ट्रीय पब्लिशर स्प्रिंगर से प्रकाशित किताब, 16 बुक चैप्टर, 18 पेटेंट, 2 डिजाइन एक कापीराइट दर्ज हैं। वर्तमान में वह भारत सरकार के सिर लैब एडवांस मैटेरियल्स प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल में विज्ञानी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने शोध कार्यों की जानकारी देते बताया कि घर पर ही एक दिन अचानक सिलेंडर गैस समाप्त हो गया, मेरी माता जी काफी परेशान हो गईं थी, जिसके बाद उन्हें आइडिया आया कि क्यों न ऐसा डिवाइस डिजाइन किया जाए जिससे यह पता चल सके कि घरेलु गैस सिलेंडर में कितना गैस शेष बचा है और प्रतिदिन कितनी  मात्रा में गैस की खपत हो रही है। इसके बाद उन्होंने डिवाइस को तैयार करना शुरु किया। इस कार्य में उन्हें करीब छह का समय लगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए गैस सिलेंडर ट्राली स्मार्ट किट को तैयार कर लिया। इस किट की मदद से न सिर्फ घरेलु गैस सिलेंडर बल्कि सीएनजी और प्लांट और अस्पतालों में लगने वाले आक्सीजन गैस सिलेंडर में इंस्टाल कर गैस की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। कीमत के बारे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यदि इसके उत्पादक मिल जाएं तो बेशक मार्केट में इसे 500 रुपये की कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकता है। इस गैस सिलेंडर ट्राली में सेंसर और आर्डिनो सर्किट लगाया गया है। जिसे इंटरनेट की मदद से मोबाइल एप के माध्यम से जोड़ा जा सकता है। इसी एप से यह पता चल पाएगा कि कितना गैस बचा है और प्रतिदिन कितनी मात्रा में गैस की खपत हो रही है। इसे प्रायोगिक तौर पर जांचने के बाद पेटेंट करा लिया गया है। इस ट्राली में लगे मेमोरी और सेंसर एक या अधिक प्रोसेसर से आसानी से कनेक्ट किए जा सकते हैं। प्रोसेसर ट्राली और गैस से संबंधित जानकारियों को मेमोरी तक पहुंचाने का कार्य करता है। ट्राली में इस्टाल्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एलपीजी, सीएनजी और आक्सीजन गैस सिलेंडर में गैस की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। यही नहीं गैस समाप्त होने से पूर्व इसमें लगे अलार्म यानी बजर से पता चल जाएगा कि गैस समाप्त होने वाला है।

ये है गैस सिलेंडर ट्राली की खसियत :
– ट्राली को इंस्टाल करने के बाद आसानी से गैस सिलेंडर का वजन मापा जा सकता है
– स्मार्ट किट में आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस का प्रयोग होने से इसे मोबाइल एप से आसानी से जोड़ा जा सकता है
– दिनभर में कितनी मात्रा में गैस की खपत हुई इसका पता लगाना आसान होगा
– गैस समाप्त होने से पूर्व जानकारी के लिए विशेष साउंड बजर
– लोड सेल, सिलेंडर सपोर्ट होल्डिंग बेस, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, एलसीडी स्क्रीन, 5 वोल्ट बैटरी, आर्डिनो किट, सेंसर, डाटा प्रोसेसर, मेमोरी कार्ड, एम्प्लीफायर, वाईफाई हाटस्पाट, यूजर इंटरफेस, मोबाइल एप जैसी सुविधा सिर्फ ट्राली में उपलब्ध है।

कुछ ऐसा रहा शैक्षणिक सफर :
साहेबगंज के सुदूरवर्ती गांव बरहरवा स्थित हाईस्कूल से 2005 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वे सीधे युनिवर्सिटी पालिटेक्निक बीआइटी मेसरा पहुंचे। उन्हें जानने वाले शिक्षक डा. सतीश कुमार और सहायक प्राध्यापक अभय कुमार ने बताया कि बेहद साधारण परिवार और पढ़ाई में भी सामान्य होने के बाद लगातार स्वयं को सिद्ध करने में डा. दिपेन कुमार रजक जुटे रहे। इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने पालिटेक्निक करने के बाद आरआइटी कोडरमा से बीटेक की परीक्षा पास की और 2013 में आइआइटी-आइएसएम धनबाद से पीएचडी की डिग्री हासिल की। 2017 में महाराष्ट्र की एक युनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर रहे और वर्ष 2023 में सीएसआइआर-एएमपीआरआइ भोपाल में बतौर विज्ञानी कार्यरत हैं। उन्हें वर्ष 2022 में स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी द्वारा अपने सर्वे में विश्व के 2 प्रतिशत विज्ञानियों में शामिल किया गया। यही नहीं वर्ष 2023 में इसी युनिवर्सिटी ने मोस्ट इंफ्लुएंशियल साइंटिस्ट का तमगा दिया।

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