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भोजपुरी गायकार अश्लील गाने को दे रहे हैं बढ़ावा

किशनगंज-ठाकुरगंज/फरीद अहमद, बिहार में पहले भोजपुरी भाषा में लोकगीत हुआ करते थे वहीं कई ऐसे भोजपुरी फिल्में भी हैं जिसे परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है। लेकिन अब गायाकार ने भोजपुरी भाषा को बदनाम कर के रख दिया है और अश्लीलता को बढ़ावा दे रहे हैं। यह कहना उचित है कि आजादी के नाम पर निर्लज्जजता को बढ़ावा दिया जा रहा है। भोजपुरी गायकार आजकल ढोढ़ी वाले गाने को लेकर काफी चर्चित होते जा रहे हैं लगातार कई ऐसे गाने हैं जो सिर्फ ढोढ़ी पर ही बनाए गए हैं और सुनने में इतना अश्लील लगता है कि यह गाना ना तो सार्वजनिक जगहों पर बजाया जा सकता है ना ही इन गानों के एल्बम परिवार के साथ देखने लायक है। अब जरा इन लोगों को देखिए कि गायकार भ्यूज और फलोंवर बढ़ाने के चक्कर में अश्लील गाने को गाकर बढ़ावा दे रहे हैं। अश्लील गानों में जैसे कि देवरा ढोढ़ी चटना बा, इस गाने से देवर भाभी के पवित्र रिश्ते को शर्मसार किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भोरे भोरे देवरा प्रणाम करें ढोढ़ी के, ढोढ़ी दूध के कटोरी, आज भर ढील द ढोढ़ी जन छील दा, देवरा ढोढ़ी भूसा भूसा कईले बा, इसी तरीके के कई अश्लील गाने भोजपुरी गायकार ने गाए हैं। जिसमें देवर और भाभी के पवित्र रिश्ते को शर्मसार करते हुए गाया गया है। बताइए इस तरीके के गायकार जो भोजपुरी भाषा को अश्लीलता के मंजिल तक पहुंचा रहे हैं इससे भोजपुरी नाम सुनते ही मन में खयाल आता है कि अश्लील गाना ही होगा। इस तरीके के गानों को यूट्यूब पर अपलोड भी किया गया है और यूट्यूब पर अपलोड करने के बाद लाखों भ्यूज जाते हैं और एल्बम भी खूब चल रहा है। इसी से आप समझिए कि किस तरीके से अश्लीलता को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्या भोजपुरी एल्बम में या भोजपुरी फिल्मों में सिर्फ अश्लील गाने गाए जाने पर ही एल्बम चलेंगी ? क्या उसमें साफ-सुथरे और परिवारिक रुप से देखे जाने वाले गाने नहीं गाए जा सकते हैं ? अभी यह जो भी गाने जो ढोढ़ी पर गाए गए हैं काफी ट्रेंड में चल रहे हैं लेकिन उतनी ही तेजी से अश्लीलता भी इन्हीं लोगों के रहमों करम पर फैल रही है। सरकार को चाहिए कि वक्त रहते ही अश्लील गाना गाने वाले गायककारों पर कार्रवाई करें ताकि भोजपुरी भाषा का नाम भी ना खराब हो और अश्लीलता भी ना फैले।

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