किशनगंज : महाकाल मंदिर में शिव भक्तों ने किया जलार्पण
भगवान शंकर वर्षा ऋतु में भगवती पार्वती के साथ भूतल पर भ्रमण करते हैं, सावन में ही समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने विषपान किया था, सावन मे वर्षा हुई थी और शिव शांत हुए थे। सावन में जो व्यक्ति श्रद्धाभक्ति से शिव का पूजन, अभिषेक, यज्ञ एवं जाप आदि करते हैं, भगवान रुद्र उसके दुख को दूर करते हैं। उन्होंने बताया कि वेद मंत्रों से शिवजी का पूजन करने से विशेष लाभ होता है

किशनगंज, 14 अगस्त (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, सावन की सोमवारी को लेकर शहर के रुईधासा महाकाल मंदिर में भक्तों ने बाबा महाकाल को जलार्पण किया। मंदिर में सुबह से ही भक्त पहुंच रहे थे। मंदिर के पुरोहित बाबा साकेत के सानिध्य में महाकाल बाबा की पूजा अर्चना की जा रही थी।सबसे ज्यादा भीड़ महिला भक्तों की थी। बाबा साकेत ने बताया कि इस सोमवारी का बड़ा महत्व है। इस दिन मासिक शिवरात्रि भी था। इसलिये जो भक्त इस दिन बाबा को जलार्पण किये होंगे उनका महत्व अलग होगा। मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया था। संध्या में हवन भी किया गया। गुरु साकेत ने बताया कि सावन में भगवान शिव की आराधना एवं अभिषेक करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। देवघर और जलपेश जाने वाले कांवरियों का जत्था भी बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए यह सहज प्रश्न उठता है कि यह सब सावन में ही क्यों होता है। अन्य ऋतुओं में शिव की आराधना क्यों नहीं की जाती। इस संबंध में किशनगंज महाकाल मंदिर के आचार्य गुरु साकेत ने बताया कि भगवान शंकर वर्षा ऋतु में भगवती पार्वती के साथ भूतल पर भ्रमण करते हैं। गुरु साकेत ने बताया की सावन में ही समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने विषपान किया था, सावन मे वर्षा हुई थी और शिव शांत हुए थे। सावन में जो व्यक्ति श्रद्धाभक्ति से शिव का पूजन, अभिषेक, यज्ञ एवं जाप आदि करते हैं, भगवान रुद्र उसके दुख को दूर करते हैं।उन्होंने बताया कि वेद मंत्रों से शिवजी का पूजन करने से विशेष लाभ होता है। गुरु साकेत ने बताया कि द्रव्यों के अनुसार होती है फल की प्राप्ति, रूद्राभिषेक अलग-अलग चीजों से कामना के अनुसार किया जाता है। पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से अभिषेक किया जाता है। इसी तरह रोग की शांति के लिए कुशोदक अभिषेक, दही से पशु तथा ईख के रस से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। घी से पुत्र की प्राप्ति, तीर्थ के जल से मोक्ष की प्राप्ति, मधु से प्रेम व रोग की शांति होती है। जल या दूध में चीनी मिलाकर अभिषेक करने से सुबुद्धि की प्राप्ति होती है। सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु का नाश होता है। साथ ही दीर्घ जीवन के लिए दुग्ध से रूद्राभिषेक करने का प्रावधान है। गुरु साकेत ने रूद्राष्टाध्यायी के जाप के महत्व का वर्णन कर उसका पाठ करने पर बल दिया।