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सहरसा : एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है: ज्योतिषाचार्य, पंडित तरुण झा

इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों का नाश होता है

सहरसा, 24 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कोसी क्षेत्र के ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष देवशनी एकादशी 29 जून 2023 के दिन मनाई जानी है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है और मांगलिक कार्य पर भी इस देवशयनी एकादशी के बाद कुछ दिन के लिए विराम लग जायेंगे।हरिशयनी एकादशी को पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है। इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों का नाश होता है। इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित तरुण झा ने बताया कि धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा-हे केशव, आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है ? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है ? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर, जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूं। एक समय नारद जी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न किया था, तब ब्रह्माजी ने उत्तर दिया कि हे नारद तुमने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए बहुत उत्तम प्रश्न किया है। क्योंकि देवशयनी एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है।

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