पल्स पोलियो अभियान के क्रियान्वयन को ले प्रखंडों में टीकाकर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजित।
- 13 जनवरी 2011 के बाद एक भी मामला देश में नहीं।
किशनगंज, 08 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में आगामी 28 मई से 01 जून तक पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान का आयोजन किया जाएगा। इसके सफल कार्यान्वयन को लेकर सभी प्रखंडों में टीकाकर्मियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ। इसकी अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने की। सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं एक अन्य चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड में टीकाकर्मी, पर्यवेक्षक, एएनएम एवं आशा को टीकाकरण अभियान के पूर्व प्रशिक्षण देने का कार्य किया गया। साथ ही लक्ष्य के अनुरूप शत प्रतिशत पोलियो की खुराक बच्चों को पिलाने के लेकर भी जानकारी दी गई। बताया गया कि पल्स पोलियो अभियान को लेकर सभी लोग तैयारी में जुट जाएं। विदित हो कि इससे पहले 04 मई को सभी प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम सदर अस्पताल में आयोजित हुआ था। यह प्रशिक्षण प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अनिशुर रहमान, यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अहमद के द्वारा दिया गया था।
सोमवार को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि आज भारत ने पोलियो के खिलाफ अपने संघर्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव प्राप्त किया है। भारत में 13 जनवरी 2011 के बाद से सीवेज के नमूनों में न तो वन्या पोलियो वायरस और न ही अन्य पोलियो वायरस का मामला दर्ज किया गया है। इसकी असाधारण उपलब्धि लाखों टीका लगाने वालों, स्वयं सेवकों, सामाजिक प्रेरणादायी व्यक्तियों, अभिनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं के साथ सरकार द्वारा लगाई गई ऊर्जा, समर्पण और कठोर प्रयास का परिणाम है। डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान की देश में आवश्यकता इसलिये है क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी पोलियो वायरस सक्रिय है। यह पोलियो वायरस इन देशों से आने वाले वयस्कों के माध्यम से आसानी से भारत में प्रवेश कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2016 में पाकिस्तान ने 20 वन्य पोलियो वायरस के मामले दर्ज किये जबकि अफगानिस्तान में 13 मामले सामने आए थे। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों से वायरस फैलने का खतरा अधिक रहता है। चीन के पोलियो मुक्त होने के 10 साल बाद 2011 में झिंजियांग प्रांत में लकवाग्रस्त पोलियो के 21 मामले और दो मौतों की खबरें सामने आई थी। अनुसंधान करने पर चीन में इस वायरस का प्रवेश पाकिस्तान से पाया गया। इसी कारण दुनिया भर में पोलियो का उन्मूलन करने के लिये ओपीवी को निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन से प्रतिस्थापित करना आवश्यक है। आईपीवी के कारण वीपीडीवी की समस्या नहीं होती और यह पोलियो वायरस के विरुद्ध बच्चों की समान रूप से प्रतिरक्षा करता है।
डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा कि इस अभियान के तहत शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों को हाउस टू हाउस जाकर पोलियो की खुराक पिलायी जानी है। इसके अलावा बस पड़ाव, चौक चौराहों व बाजारों आदि जगहों पर प्रशिक्षित टीका कर्मियों द्वारा वहां से गुजरने वाले सभी लक्षित बच्चों को पोलियो की खुराक पिलायी जाएगी। उन्होंने बताया कि पोलियो अभियान की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसमें टीम हाउस टू हाउस, मोबाइल टीम, चौक चौराहों के लिए टीम का गठन किया गया है। टीम के सभी सदस्य अपने क्षेत्रों में कार्यक्रम की सफलता में भूमिका निभाएंगे।