*लोटा-पानी*

कविता : तेज नारायण राय
लोटा पानी का मतलब
सिर्फ लोटा पानी भर नहीं है होता
और न ही थके मांदे मेहमानों के प्यास बुझाने भर तक सीमित होता है इसका अर्थ
एक संस्कार है एक संस्कृति है
किसी परिवार का किसी समाज का
किसी घर आए मेहमान को
खाट पर सम्मान से बिठाकर
जब देती है मां लोटा पानी
तब मां के सिर के पल्लू से झांकता है हमारे घर का संस्कार
लोटा के पानी जैसा
स्वच्छ निर्मल होता है मां का मन जिसमें घुला होता है पूरे घर के रिश्ते की मिठास
लोटा पानी देते
जब हिलता है लोटा का जल
तब हिलती है उसके साथ
पुरखों की हर्षित आत्मा
अपनी दादी नानी से
यह संस्कार लेकर आई मां
अब समय के साथ सौंप रही है
अपने बहूओं को यह संस्कार
इस हिदायत के साथ कि
जब तक बचा रहेगा घर में
लोटा पानी का रिवाज
तब तक बना रहेगा घर में
कुटुम्बजनों का आना-जाना
अब ऐसे में यह सोचते हुए
परेशान रहता हूं
सभ्यता के इस दौर में बोतल बंद पानी की संस्कृति के बीच रहते हुए कैसे बचेगा घर में
लोटा पानी का रिवाज
कैसे बचेगा लोटा-पानी !