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कुम्हरार में बढ़ी सियासी हलचल कायस्थ नेता सुनील वर्मा के पुत्र वेदांत वर्मा की प्रशांत किशोर से मुलाकात ने बढ़ाई अटकलें

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/पटना:कुम्हरार विधानसभा सीट पर इस समय सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। बीजेपी के वरिष्ठ कायस्थ नेता और संभावित प्रत्याशी सुनील वर्मा के पुत्र वेदांत वर्मा की हाल ही में प्रशांत किशोर (पीके) से हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है।

हालांकि, वेदांत वर्मा की ओर से अब तक इस मुलाकात पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके पिता सुनील वर्मा बीजेपी और कायस्थ समाज दोनों के एक अहम चेहरा हैं, 1980 वर्ष से भाजपा के सदस्य रहे और सेवानिर्मित होने के बाद लगातार पूरे कुम्हरार क्षेत्र में लगातार पदयात्रा और जनसंपर्क अभियान चलाकर चुनाव की तैयारी में जुटे थे।
सुनील वर्मा की पहचान पार्टी में एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता के रूप में होती है। उन्होंने बिहार सरकार के आठ महत्वपूर्ण मंत्रालयों में कार्य किया है और हमेशा निर्दोष सेवा रिकॉर्ड बनाए रखा है। वे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के विश्वस्त और उनके नजदीकी माने जाते थे ।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी द्वारा इस बार उन्हें टिकट नहीं देना, कायस्थ समाज में असंतोष का माहौल पैदा कर सकता है। वहीं, इस असंतोष का सीधा फायदा जन सुराज के प्रत्याशी प्रोफेसर के.सी. सिन्हा को मिलने की संभावना जताई जा रही है।
गौरतलब है कि कुम्हरार विधानसभा में कायस्थ वोट बैंक हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाता आया है। बीजेपी के भीतर भी कई लोग मानते हैं कि अगर अरुण सिन्हा की जगह सुनील वर्मा को टिकट दिया गया होता, तो चुनावी समीकरण पूरी तरह अलग दिखाई देते।
अब जबकि सुनील वर्मा के पुत्र वेदांत वर्मा की प्रशांत किशोर से मुलाकात सामने आई है, यह कयास लगना स्वाभाविक है कि इस कदम का असर कुम्हरार की सियासत पर गहराई से पड़ेगा। यह मुलाकात आने वाले दिनों में बीजेपी के लिए रणनीतिक तौर पर चुनौती बन सकती है।

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