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पार्ट ६ : कहाँ गए वो दिन?

लेखक:- बिहार प्रदेश के पूर्व महानिदेशक की कलम से

पुलिस महानिदेशक था। कुछ ही महीनों के बाद लोक सभा के आम चुनाव होने वाले थे। चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव की घोषणा नहीं की गई थी।मुख्यमंत्री का सरकारी दौरा हो रहा था। दौरे पर सभी वरीय पदाधिकारी, मंत्रीगण शामिल होते थे। मैं भी शामिल था।निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सब कुछ चल रहा था। जिस ज़िले में यह कार्यक्रम आयोजित था, उस ज़िले के एक राजनीतिज्ञ, जो मंत्रिमंडल के सदस्य थे, उन्होंने अगले दिन अपने गाँव में भोजन पर न्योता दिया। बताया कि मुख्यमंत्री के साथ सभी मंत्रीगण आएंगे। मैंने हामी भर दी, पर शामिल नहीं हुआ।भोज के पश्चात् मंत्री जी नाराज़ स्वर में, नहीं आने का कारण मुझसे पूछे। मैंने उनको बताया कि कुछ महीनों के बाद आम चुनाव होंगे। राज्य का पुलिस महानिदेशक अगर एक पार्टी विशेष के मंत्री के आवास पर पार्टी के लोगों के साथ सामूहिक भोजन करते दिखेगा, तो चाहे वह कितना भी निष्पक्ष क्यों न हो, आम लोगों की नज़र में वह ऐसा नहीं रह जाएगा।
सरकारी पदाधिकारियों को न केवल निष्पक्ष रहना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए।

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