धनबाद शहर

दुर्घटना को आमंत्रण दे रही पार्क मार्केट हीरापुर की सौ साल पुरानी भवन “अमरालय ” ; कभी भी ढह कर मलबे के ढेर में हो सकती है तब्दील ; जिला प्रशासन उदासीन

इस भवन से लोक सुरक्षा को है गंभीर खतरा

चन्द्र शेखर पाठक / केवल सच

धनबाद // धनबाद में पुराने और जर्जर भवनों से दुर्घटनाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। अभी हाल ही में तोपचाँची स्थित उर्दू मध्य विद्यालय में छज्जा टूटकर गिर जाने से दो छात्राएं बुरी तरह घायल हो गई। इससे भी जिला प्रशासन सीख लेती नजर नहीं आ रही है।

धनबाद शहर के अति व्यस्ततम भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी ऐसे कई पुराने और जर्जर भवन सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है, जो कभी भी आम जनों के जान माल को नुकसान पहुंचा सकती है। इस कड़ी में पार्क मार्केट हीरापुर स्थिति ” अमरालय ” नामक भवन काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें अभी वर्तमान में पांच पांच दुकानें संचालित है। यह भवन करीब सौ साल पुरानी है तथा अपना उपयोगी जीवन काल समाप्त कर एक खंडहर नुमा ढांचे के रूप में खड़ी है। इसे भवन निर्माण विभाग धनबाद, खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार धनबाद, नगर निगम धनबाद इत्यादि विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने भी खतरनाक एवं ध्वस्त करने के योग्य करार दिया है। भवन के मालिक श्री एस एन मुखर्जी भी इस भवन को खाली कर कहीं अन्यत्र चले गए हैं, लेकिन अपने व्यावसायिक मोह के वशीभूत होकर इस भवन में संचालित पांच दुकानदार इस भवन को खाली नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसमें अपना अपना व्यवसाय संचालित कर रहे हैं। विदित हो कि इस भवन का काफी हिस्सा ध्वस्त होकर गिर गया है। भवन के बचे हुए हिस्से में बरगद/पीपल का बड़ा पेड़ उग कर खड़ा हो गया है, जो पड़ोसियों के घरों की तरफ झुका हुआ है। यह पेड़ अब विकराल रूप धारण कर चुका है। यदि यह पेड़ गिरा तो अपने साथ पूरे भवन को भी ढहा सकता है जिससे पड़ोसियों के घरों एवं जान माल को भारी नुकसान हो सकता है। यह भवन शहर के अति भीड़ भाड़ वाले इलाके के मुख्य सड़क के किनारे अवस्थित है जहां से प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों का आना-जाना होता है। ऐसी स्थिति में यदि भवन का मलबा टूटकर सड़क की तरफ गिरा तो बड़ी दुर्घटना से कोई इनकार नहीं कर सकता।

● भवन में संचालित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के नाम :-
■ सुहागन स्टोर
■ अपकीप टेलर
■ योर चॉइस
■ भारती टेलर
■ कालिका गिफ्ट सेंटर

भवन मालिक श्री एस एन मुखर्जी ने कहा कि इस संबंध में वह कई बार विभिन्न सरकारी एजेंसियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक भवन को ध्वस्त नहीं करा पाए हैं। किराएदार अपनी अपनी व्यावसायिक हितों के वशीभूत होकर भवन को खाली नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण भवन को ध्वस्त करना संभव नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने कहा कि भवन अति जर्जर अवस्था में है तथा लोक सुरक्षा एवं लोक परिशांति के लिए एक गंभीर खतरा है। यदि समय रहते इस भवन को ध्वस्त नहीं कराया गया, तो कभी भी एक बड़ी दुर्घटना घट सकती है एवं लोक उपद्रव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसकी सारी जवाबदेही इन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (किरायेदारों) की होगी। श्री मुखर्जी ने कहा कि यदि किराएदार भवन को खाली कर दे तो मैं 24 घंटे के अंदर भवन को ध्वस्त कराने के लिए तैयार हूँ।

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