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किशनगंज : एसएनसीयू में बची एक दिन की नन्ही परी की जान

एसएनसीयू, शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में साबित हो रहा मील का पत्थर, पिछले मई महीने में 77 बच्चे हुए भर्ती

ये सुविधाएं हैं उपलब्ध:

  • शिशुओं को गरम रखने के लिए रेडियेंट वार्मर।
  • अल्ट्रावायलट लाइट के लिए फोटो थैरेपी यूनिट
  • नवजातों के एक्सरे के लिए पोर्टेबल एक्स-रे यूनिट
  • नवजातों को ऑक्सीजन देने के लिए ऑक्सीजन यूनिट

ऐसे नवजात एसएनसीयू में होते हैं भर्ती:

  • 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात
  • गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे
  • जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात (पीलिया या कोई अन्य गंभीर रोग)
  • जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या हाइपोथर्मिया
  • नवजात में रक्तस्राव का होना
    जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्टस होना।

किशनगंज, 08 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य विभाग को लेकर लोगों में पहले नकारात्मक सोच हुआ करती थी परंतु अब सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रही बेहतर सुविधाओं की वजह से लोगों की सोच बदली है। अब लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवा लेने में नहीं हिचक रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को लगातार बेहतर करने में लगी हुई है। बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिले इसके लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। उन्ही सेवाओं में से एक है सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू। एसएनसीयू सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए तो कारगर साबित हो ही रहा निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चो के लिए भी जीवन रक्षक साबित हो रहा है। लोग अब निजी अस्पताल की सुविधाओं को छोड़ सरकारी अस्पताल में मौजूद एसएनसीयू पर पूरा भरोसा कर रहे और नवजात शिशुओं को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में ही भर्ती करवा रहे हैं। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा० उर्मिला कुमारी ने गुरुवार को बताया कि एसएनसीयू में वैसे नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता जिनका जन्म समय से पहले हुआ हो या फिर कमजोर पैदा हुए बच्चों के साथ साथ जन्म के दौरान अन्य समस्याओं से ग्रसित हों। इस दौरान जिले के सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों में जन्में बच्चों को भी भर्ती किया जाता है। उन्होंने कहा कि मई माह में कुल 77 बच्चों को भर्ती किया गया है। जिसमें 20 बच्चे को रेफर किया गया है वहीं 54 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये। अप्रैल माह में कुल 62 बच्चों को भर्ती किया गया। इसमें 14 बच्चे को रेफर किया गया है वहीं 45 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये। एसएनसीयू के साथ-साथ आईसीयू एवं नवजात शिशु से जुड़े अन्य विभागों व सदर अस्पताल के सभी विभागों को बेहतर किया गया है। जिसका परिणाम यह है कि सदर अस्पताल में इलाज के प्रति लोगों में विश्वास जगा है। लोग सभी तरह के इलाज के लिए अस्पताल में पहुंच रहे और बेहतर इलाज से लाभान्वित भी हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही शहरी क्षेत्र चुरीपट्टी की एक नन्ही परी को एसएनसीयू के जरिए नया जीवन मिला है। यह मासूम जब 01 दिन की थी तो निजी क्लिनिक के डाक्टरों ने परिवार को कह दिया था कि बच्ची का बचना मुमकिन नहीं है, क्योंकि इसका ऑक्सीजन लेवल और वजन काफी कम था। नाजुक हालत में बच्ची को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट कराया गया। एसएनसीयू के डाक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास किया। 06 दिनों के बाद बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट गई।एसएनसीयू की नोडल डा० अंकिता कुमारी ने बताया कि बच्ची जन्म से ही बर्थ एस्पसिया से ग्रसित थी। लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी। बेहतर इलाज और पूरे स्टाफ ने भरसक प्रयास किए। जिसके कारण बच्ची की जान बचाई जा सकी। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि अत्याधुनिक सुविधाओं वाला एसएनसीयू बच्चों के इलाज के साथ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस यूनिट में प्रतिमाह लगभग 50 नवजात बच्चों का इलाज हो रहा तथा उन्हें असमय काल के गाल में समाने से बचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू में 24 घंटे चिकित्सक के साथ स्टाफ नर्स तैनात रहती हैं, जो शिशु के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाती।एसएनसीयू में कुल 12 बेड लगाये गए हैं। एसएनसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सक सहित कुल 03 चिकित्सक, स्टाफ नर्स नियुक्त हैं। एसएनसीयू में रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा के साथ साथ जॉन्डिस से पीड़ित बच्चों के लिए फोटो थैरेपी की सुविधा भी उपलब्ध है

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