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अतिपिछड़ों की हकमारी के दोषी नीतीषः डा0 भीम सिंह…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री डा0 भीम सिंह ने बिहार भाजपा मुख्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया । इस प्रेस वार्ता में भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डा0 निखिल आनंद और भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अषोक भट्ट भी साथ में मौजूद थे । डा0 भीम सिंह ने निकाय चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण खत्म करने के लिए सीधे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार को दोषी ठहराया । भीम सिंह ने नीतीष सरकार के खिलाफ अतिपिछड़ों के जंग का ऐलान करते हुए कहा कि जनता दल यूनाईटेड अतिपिछड़ों के मामले पर बेनकाव हो चुकी है । नीतीष कुमार और इसके नेता ललन सिंह की चोरी पकड़े जाने के बाद ‘चोर मचाये शोर’ के अंदाज में अतिपिछड़ा समाज और बिहार की जनता की ऑंखों में धूल झौंकने का काम कर रहे हैं । डा0 भीम सिंह ने विन्दूवार अपनी बातों को रखते हुए बताया कि कैसे नीतीष कुमार और उनके नेतृत्व की बिहार सरकार सीधे तौर पर अतिपिछड़ा आरक्षण खत्म होने की परिस्थिति के लिए जिम्मेदार हैं । अतिपिछड़ा समाज आने वाले वक्त में नीतीष कुमार और जदयू को उनकी असली हैसियत बता देगी ।

भीम सिंह द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस में विन्दूवार उल्लेखित बातें इस प्रकार हैः-

1. निकायों में म्ठब् आरक्षण की समाप्ति दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण । ठोस कार्रवाई करने के स्थान पर जदयू द्वारा धरना और बयानबाजी में लिप्त रहना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है ।

2. दरअसल म्ठब् आरक्षण की समाप्तिः नीतीष सरकार की सोची-समझी साजिश का परिणाम है । नीतीश कुमार ने जानबूझकर आरक्षण को समाप्त कराया । यह अनेक तथ्यों से प्रमाणित होता है ।

3. यह अचानक नहीं हुआ, अन्य राज्यों में ओबीसी आरक्षण के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट लगातार जजमेंट और आर्डर दे रहा था पर सरकार कान में तेल डालकर सोयी रही । अगर वह ससमय सचेत हो जाती तो एबसी के अधिकारों पर ऐसी चोट नहीं हो पाती ।

4. सरकार ने ठोस कदम उठाने के अनेक अवसर गवाएॅं यथा-
गवली 4 मार्च, 2021 राहुल रमेष बाध-6.12.21
मनमोहन नागर-17.12.21, सुरेष महाजन-10.05.22 ।

5. भाजपा जानना चाहती है कि क्या सरकार को देष के अन्य राज्यों और खासकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही कार्रवाईयों/निर्णयों की जानकारी नहीं थी ? अगर थी तो आरक्षण की रक्षा के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठायी गयी और अगर उसे जानकारी नहीं थी तब तो और भी गंभीर मामला बनता है । कोई सरकार इतनी लापरवाही कैसे हो सकती है ।

6. सुप्रीम कोर्ट द्वारा निकायों में OBC Reservation के लिए tripal test को sine qua non बतलाया है । SEC ने अनेक पत्रों (7) के द्वारा इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया पर वह 3 माह तक निष्क्रय बनी रही । ैम्ब् द्वारा ओबीसी आरक्षण पर ध्यान आकृष्ट किए जाने पर भी इस दिषा में ठोस कदम नहीं उठाया जाना साजिष का दूसरा प्रमाण है ।

7. एक और प्रमाण है (3rd) यह बिल्कुल सरल प्रमाण है । लोकसभा, विधानसभा और यहॉं तक कि उच्च सदनों के लिए भी उनके कार्यकाल की समाप्ति के काफी पहले चुनाव सम्पन्न करा लिए जाते हैं । जब जून मध्य में ही निकायों के कार्यकाल समाप्त हो रहे थे तब जनवरी-फरवरी तक चुनाव करा लिए जाने चाहिए थे । पर क्या ऐसा किया गया ? बिल्कुल नहीं । संविधान द्वारा (अनुच्छेद 243U) कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित है । इससे ज्यादा बिल्कुल नहीं । फिर अक्टूबर तक के लिए चुनाव को क्यों खींचा गया ? यह साजिष मामले को विवादास्पद बनाकर म्ठब् आरक्षण को समाप्त करा देने की थी और सरकार अपनी मंषा में कामयाब हुई ।

8. अतएव स्पष्ट है कि निकायों में आरक्षण की समाप्ति सरकार की उच्च स्तरीय साजिष, लापरवाही तथा हठधर्मिता का प्रमाण है ।

9. मॉंगः एबीसी को आरक्षण देते हुए सरकार अविलंब चुनाव कराए ।

डा0 सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के संवैधिानिक तौर पर हकमारी को लेकर पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि आगामी 17 अक्टूबर को बिहार के सभी प्रखण्ड मुख्यालयों पर नीतीष कुमार द्वारा किये गये धोखेबाजी के खिलाफ धरना दिया जायेगा ।

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