किशनगंज : ठाकुरगंज में चुनावी हलचल तेज, दावेदारों की लंबी कतार
जनता की निगाहें संभावित उम्मीदवारों पर, चुनावी समीकरण बनने लगे

किशनगंज,22मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह/फरीद अहमद, ठाकुरगंज जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों के संभावित उम्मीदवार जनसंपर्क अभियान के माध्यम से मतदाताओं को साधने में जुट गए हैं। क्षेत्र में इस बार नए और पुराने दोनों ही चेहरे अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
राजद से मौजूदा विधायक सऊद आलम फिर मैदान में
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से मौजूदा विधायक सऊद आलम एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। उनके साथ मुश्ताक आलम भी सक्रिय रूप से जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। दोनों नेता गांव-गांव जाकर जनसभाओं और व्यक्तिगत मुलाकातों के ज़रिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
जेडीयू और भाजपा में भी हलचल
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से पूर्व मंत्री नौशाद आलम की वापसी की चर्चा जोर पकड़ रही है, हालांकि पार्टी से अधिकृत ऐलान अब तक नहीं हुआ है। उधर, भारतीय जनता पार्टी से जिला प्रवक्ता कौशल किशोर यादव टिकट की दौड़ में शामिल हैं और सक्रिय जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं।
एआईएमआईएम में टिकट की रेस तेज
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में भी भीतरखाने चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं। गुलाम हसनैन, मुफ्ती अतहर जावेद, फैयाज आलम और रहीमुद्दीन उर्फ हैबर बाबा पार्टी टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
जन सुराज और निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में
प्रशांत किशोर की पहल ‘जन सुराज’ से जुड़े इकरामुल हक और रजिया सुल्ताना बदलाव के नारे के साथ चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल कुमार अग्रवाल भी क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं।
सोशल मीडिया से लेकर सामाजिक मंचों तक पकड़ बनाने की कवायद
सभी दावेदारों ने सोशल मीडिया, धार्मिक-सामाजिक आयोजनों और जनसभाओं के माध्यम से अपने जनाधार को मज़बूत करने की मुहिम छेड़ दी है। टिकट पाने की इस दौड़ में हर कोई अपनी रणनीति को धार दे रहा है।
क्या सऊद आलम और गोपाल अग्रवाल में होगी सीधी टक्कर?
चुनावी समीकरणों पर नजर डालें तो कई जानकारों का मानना है कि इस बार मुकाबला सत्तारूढ़ विधायक सऊद आलम और निर्दलीय रूप से उभर रहे गोपाल कुमार अग्रवाल के बीच कड़ा हो सकता है। हालांकि, अंतिम तस्वीर टिकट वितरण के बाद ही साफ हो पाएगी।
फिलहाल ठाकुरगंज की राजनीति गरमा चुकी है और मतदाता हर दावेदार की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।