किशनगंज : नवरात्रि के छठे दिन महाकाल मंदिर में हुई माता कात्यायनी की पूजा अर्चना
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
किशनगंज, 14 अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की पूजा-अराधना के लिए होता है। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन रविवार को माता कात्यायनी की पूजा रुईधाशा स्तिथ महाकाल मंदिर में की गई। महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि मां दुर्गा के इस स्वरूप का अवतार कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए इन्हें माता कात्यायनी कहा जाता है। मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है। कात्यायनी मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं। माता कात्यायनी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर का संहार करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है। गुरु साकेत ने बताया कि कात्यायन ऋषि के घर उनकी बेटी के रुप में जन्म लेने के कारण ही मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें। सुबह नहाने के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें। मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प लें। मां को फूल अर्पित करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। फिर मां कात्यायनी को प्रिय भोग शहद-मिठाई इत्यादि का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें। मां कात्यायनी की पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। गुरु साकेत ने बताया कि जिन लोगों की शादी में देर हो रही है, उन्हें शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठे दिन शाम को मां कात्यायनी को हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएं। सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।। मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने पर विवाह के योग बनेगा।
यहां होती है मनोकामना पूरी:
शहर के रूईधाशा में महाकाल बाबा का मंदिर है। बिहार में महाकाल बाबा का किशनगंज में ही एकमात्र यह मंदिर है भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बाबा की ऐसी अद्भुत प्रतिमा अपने आप मे किसी आश्चर्य से कम नही है। यहां खास बात यह है कि नवरात्र में पहले दिन से नौवें पूजा तक एक साथ मां दुर्गा व महाकाल बाबा की पूजा होती है। ऐसा और कही देखने को नही मिलता है। सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सिख या ईसाई सभी धर्म के लोग मिलकर महाकाल व मां दुर्गा की आराधना करते है। पेशे से बैंक कर्मी रहे गुरु साकेत को सन् 1982 में महाकाल बाबा की प्रतिमा स्थापित कर बाबा की नियमित पूजा करने का आदेश स्वप्न में मिला। तब से लेकर आज तक पूजा आराधना करने के साथ साथ वह भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने की याचना भी बाबा से करते हैं। नवरात्र में यहां जो भक्त मनोकामना के लिए संकल्प लेता है उसकी मनोकामनाएं जरुर पूरी होती है, ऐसी मान्यता है। सभी तबके के लोगों की मनोकामना पूर्ण होने के कई उदाहरण भी मिले है।मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत कहते हैं दुर्गा शप्तशति मे भी कई बार महाकाल का वर्णन किया गया है। गुरु साकेत कहते है महाकाल बाबा व नवरात्र में मां दुर्गा कि आराधना करने तथा महाकाल के समक्ष महामृत्युंजय का जाप करने से आई हुई मृत्यु भी वापस लौट जाती है। पीछे पड़ा शत्रु भी वापस लौट जाता है। मंदिर में दर्शन के लिए नेपाल, पश्चिम बंगाल, सहित राज्य के अन्य हिस्से से लोग दर्शन के लिए आते है।