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किशनगंज : संविधान निर्माता डा० भीमराव अंबेडकर की मनाई गई 133वीं जन्म जयंती

भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर जी का जयंती पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है। जो अछूत समाज से पैदा होकर के और इस समाज को मुक्ति दिलाने के लिए जो बलिदान बाबा साहब ने दिया है वह विश्व का सर्वप्रथम व्यक्ति हैं: इन्द्रदेव पासवान

किशनगंज, 14 अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, संविधान निर्माता भारत रत्न से सम्मानित बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के 133वीं जन्म जयंती के मौके पर विशाल अंबेडकर नगर भवन परिसर में लगी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के विशाल प्रतिमा पर नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान, पूर्व चैयरमैन त्रिलोक चंद जैन, शम्भु कुमार रविदास और सदर अस्पताल के मुख्य चिकित्सक सह डीआईओ डा. देवेंद्र कुमार, मारवाड़ी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा. अरविंद दास, समाज सेवी सोहन पासवान, सुदामा पासवान, देव बाबू, प्रदीप रविदास, जय नारायण भारती, रिकी पासवान, आदि लोग ने बाबा साहेब डा. अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल हुए। मौके पर नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने अपने संबोधन में कहा कि भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर जी का जयंती पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है। जो अछूत समाज से पैदा होकर के और इस समाज को मुक्ति दिलाने के लिए जो बलिदान बाबा साहब ने दिया है वह विश्व का सर्वप्रथम व्यक्ति हैं। और उनके बिना दलित समाज के आजादी की परिकल्पना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि सभी जाति समाज के लोग इस जयंती को और भव्य पैमाने पर मनाया जाए। वहीं डा देवेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिवस पूरे दलित के साथ-साथ देश के लिए, पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। आज का दिन पूरे विश्व में वर्ल्ड नॉलेज के रूप में भी मनाया जाता है और बाबा साहब सर्वश्रेष्ठ ग्राम ज्ञानी रहे हैं। बाबा साहब जिन्हे वर्षों पूर्व बैठने नहीं दिया जाता था पढ़ने नहीं दिया जाता था, और तो और कुआं के साथ-साथ तालाब का पानी भी नहीं पीने दिया जाता था। बाबा साहब उस स्थिति से निकालकर पूरे दुनिया को संदेश दिया है। जो एक मिसाल है। डा. अरविंद दास ने कहा कि बाबा साहब जो हमारे समाज को जो कुछ भी दिए हैं हमें उस पर गर्व होता है। भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर जिनका प्रतिमा भारत ही नहीं कोलंबिया यूनिवर्सिटी, अमेरिका जैसे विश्वविद्यालय के अलावा चीन, जापान, इंग्लैंड और भी विश्व के मजबूत देश में बाबा साहब का प्रतिमा स्थापित की गई है कुल मिलाकर कहा जाए तो बाबा साहब अपने कर्तव्यों के कारण पहचान का मोहताज नहीं रहे हैं जिसके दम पर उनके नाम का दुनिया ने लोहा माना है।

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