किशनगंज : कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना की थीम पर मनाया गया विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को आत्महत्या की रोकथाम में सहयोग करना: सिविल सर्जन

किशनगंज, 16 सितंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, दुनियाभर में खुदकुशी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। विश्व में आत्महत्याओं का आंकड़ा काफी चिंताजनक है। लोगों में अवसाद निरंतर बढ़ रहा है। जिसके चलते कुछ लोग आत्महत्या जैसा हृदय विदारक कदम उठा बैठते हैं। आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में आज जागरूकता बढ़ी है। ऐसे ही सामाजिक संवादों को बढ़ावा देने और आत्महत्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जिले में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में 10 से 16 सितम्बर तक जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को जिले के बालिका उच्च विद्यालय में सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर के दिशा निर्देश के आलोक में जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा० उर्मिला कुमारी की अध्यक्षता में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। डा० उर्मिला कुमारी ने बताया कि वर्ष 2003 में 10 सितम्बर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आत्महत्या को रोकने के लिए गैर सरकारी संगठन और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर एक साझा पहल शुरू की थी। 2003 से आज तक, हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस दिवस के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम, समर्थन अभियान, सामाजिक संवाद, और शैक्षिक प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। जिनका मुख्य उद्देश्य आत्महत्या को रोकना और आत्महत्या से पीड़ित व्यक्तिओं को सहायता प्रदान करना होता है। उक्त कार्यक्रम में एनसीडी समन्वयक नवाज शरीफ विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ सभी शिक्षक एवं छात्रा उपस्थित हुई। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को आत्महत्या की रोकथाम में सहयोग कर इसे रोकने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए। इस दिन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है। यह बताया जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य की सही देखभाल और समर्थन कितना महत्वपूर्ण है। लोगों को सामाजिक समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जाता है। ताकि वे आत्महत्या से पीड़ित व्यक्तिओं को सही समय पर सहायता प्रदान कर सकें। सभी को आत्महत्या के प्रभाव को समझाया जाता है। जैसे कि इसके परिवार और समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह एक मानवाधिकार और सामाजिक संवाद का माध्यम भी होता है। जिसमें लोग आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करते हैं और समाज में जागरूकता फैलाते। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा० उर्मिला कुमारी ने बताया कि हर साल वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे एक ख़ास थीम पर आधारित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021-2023 के कार्यक्रम की थीम-कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना’ है। जिसका उद्देश्य आत्महत्या को रोकने और उसके प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन विश्वभर में 10 सितंबर को मनाया जाता है। आत्महत्या एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को खत्म करने की कोशिश करता है। यह दिन लोगों को आत्महत्या के खिलाफ सहयोग और समर्थन प्रदान करने के लिए जागरूक करता और सामाजिक मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर ध्यान देने का संदेश देता है। इस दिन कई आयोजन और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनमें आत्महत्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समर्थन प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, जैसे कि आत्महत्या होने के लक्षणों की पहचान, बचाव और सहयोग, को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन भी आत्महत्या के प्रभाव को कम करने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और सार्वजनिक स्तर पर कई प्रयासों का हिस्सा बनता है। सिविल सर्जन ने बताया कि आत्महत्या रोकी जा सकती है। अधिकांश आत्मघाती व्यक्ति सख्त तौर पर जीना चाहते हैं। वे अपनी समस्याओं का विकल्प देखने में ही असमर्थ हैं। अधिकांश आत्मघाती व्यक्ति अपने आत्मघाती इरादों के बारे में निश्चित चेतावनिया देते हैं, लेकिन अन्य लोग या तो इन चेतावनियों के महत्व से अनजान होते या नहीं जानते कि उन पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। आत्महत्या के बारे में बात करने से कोई व्यक्ति आत्महत्या के लिए प्रेरित नहीं होता। आत्महत्या सभी उम्र, आर्थिक, सामाजिक, नस्लीय और जातीय सीमाओं के पार होती है। आत्मघाती व्यवहार जटिल है और किसी व्यक्ति द्वारा अनुभव की जा रही किसी एक समस्या की प्रतिक्रिया नहीं है। कुछ जोखिम कारक उम्र, लिंग या जातीय समूह के साथ भिन्न होते हैं और समय के साथ संयोजन या परिवर्तन में हो सकते हैं। जीवित परिवार के सदस्यों को न केवल आत्महत्या के कारण किसी प्रियजन को खोने का सदमा झेलना पड़ता है, बल्कि वे स्वयं भी आत्महत्या और भावनात्मक समस्याओं के लिए अधिक जोखिम में हो सकते हैं।