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किशनगंज : शिशु एवं छोटे बच्चों के स्तनपान एवं सुपोषित आहार की आवश्यकता को ले प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न।

माँ के दूध से बच्चों की विकसितन होती है रोग-प्रतिरोधक क्षमता :

  • प्रशिक्षण समापन के मौके पर सभी प्रशिक्षणार्थी को दिया गया प्रमाण-पत्र

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले के सदर अस्पताल में पिछले चार दिनों तक चले शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार पर राष्ट्रीय दिशा निर्देशों पर सभी प्रखंड के एएनएम के प्रशिक्षण का रविवार को समापन हो गया। उक्त प्रशिक्षण मुख्यतः शिशु को जन्म के पहले छह महीनों में विशेष रूप से स्तनपान एवं सुपोषित आहार की आवश्यकता को लेकर जानकारी के लिए दिया गया है। ताकि शिशु का इष्टतम विकास एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सके। समापन समारोह में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया, उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा और बच्चे स्वस्थ्य रहेंगे। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ के ही दूध का सेवन कराएं। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता और स्वस्थ्य शरीर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी, शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते, बल्कि उनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इसके साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है, जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। वहीं, छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन, इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें। जिला स्वास्थ्य समिति के डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरुआती दौर से ही सजग रहें। दरअसल, अगर शुरुआती दौर में ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा। वही प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रशिक्षक डॉ जियायुर रहमान ने बताया कि नवजात के स्वस्थ्य शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को माँ का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग- प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझ नवजात को नहीं पिलाते हैं। जबकि, सच यह है कि माँ का पहला गाढ़ा-पीला दूध नवजात के लिए काफी फायदेमंद होता है। जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) विश्वजीत कुमार ने बताया जिले के सभी प्रखंड के एएनएम को चार दिवसीय प्रशिक्षण के समापन के मौके पर प्रमाण-पत्र भी दिया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिशु एवं छोटे बच्चों के स्तनपान एवं सुपोषित आहार की आवश्यकता संस्थागत प्रसव के साथ ही नियमित टीकाकरण, नियमित स्तनपान जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत किया जा सके। सरकार द्वारा जनहित में चलाई जा रही तमाम स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर संचालन की जानकारी सुनिश्चित कराना है। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी जीएनएम और एएनएम लोगों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में खुद को सक्षम महसूस करें और लोगों को सुविधाजनक तरीके से सभी सुविधाओं का लाभ मिल सके।

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