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किशनगंज : बिहार सरकार के राजस्व में प्रतिदिन डाला जा रहा है डाका, विभाग नहीं रोक पा रही है डाका..

किशनगंज/फरीद अहमद, जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में उत्खनन के कारण क्षेत्र खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ईंट भट्टा निर्माण में इजाफा के साथ ही क्षेत्र में मिट्टी का उत्खनन किया जा रहा है जिसके कारण क्षेत्र खंडहर में धीरे-धीरे तब्दील हो रहा है। पौआखाली थाना क्षेत्र, सुखानी थाना क्षेत्र, जियापोखर थाना क्षेत्र में यह खंडहर का नजारा ज्यादा देखने को मिल रहा है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे भी जगह है जहां से मिट्टी के अलावे मोटे किस्म के बालू भी उत्खनन किया जा रहा है। सूत्र के जानकारी के मुताबिक जब पत्रकार सुखानी थाना क्षेत्र में पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर हैरान रह गए, वही नाम ना बताने की शर्त पर स्थानीय कई लोगों ने बताया कि रात के अंधेरे में बालू का उत्खनन कर ढेर लगा दिया जाता है और दिन में मौका मिलते ही ट्रैक्टर द्वारा बालू को बेचा जाता है और यह काम खुलेआम हो रहा है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि उत्खनन इतनी गहराई से किया जाता है कि जमीन के अंदर से पानी तक निकल आता है। आखिर खुद का जेब गर्म करने के चक्कर में बालू माफिया सरकार के राजस्व में डाका डाल रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुरिभिट्टा, जियापोखर, बांसबारी, बारहपोठिया सहित कई स्थान उत्खनन को लेकर मसहूर है जहां से रोजाना भारी मात्रा में उत्खनन किया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार के इतने बड़े विभाग रहने के बावजूद भी सरकारी खजाने पर माफिया डाका डाल रहे हैं और विभाग अब तक ना तो कार्रवाई कर पाई है और ना ही सरकार के राजस्व में डाका डाल रहे लोगों को पकड़ पाई है। प्रतिदिन सरकार के राजस्व में लाखों रुपए की क्षति हो रही है लेकिन विभाग चैन की नींद सो रहे हैं। संबंधित विभाग अगर चाहे तो सरकार के राजस्व में हो रही क्षति को रोक सकते हैं और बालू माफियाओं पर भी कार्रवाई भी किया जा सकता है। लेकिन कार्रवाई तो दूर की बात इससे संबंधित कई बार खबरें प्रकाशित भी की गई है लेकिन मिट्टी का उत्खनन बालू का उत्खनन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। खबरें प्रकाशित होती है पाठक इसे पढ़ते भी हैं लेकिन जब विभाग द्वारा कार्रवाई नजर नहीं आ रही है तब आम जनता का विभाग पर से धीरे-धीरे भरोसा खत्म होता नजर आ रहा है। बिहार सरकार को अपने राजस्व की हो रही क्षति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

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