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किशनगंज : हाथ मिलाने या किसी से मिलने से नहीं फैलता है टीबी का संक्रमण: सिविल सर्जन।

टीबी है एक संक्रामक रोग लेकिन मरीजों की कतई न करें उपेक्षा।

  • संक्रमित होने की स्थिति में सही समय पर कराएं सही इलाज।
  • जिले के सभी सरकारी अस्पतालों पर निःशुल्क उपलब्ध है टीबी जांच और समुचित इलाज की सुविधा।

किशनगंज, 02 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, किसी से मिलने और हाथ मिलाने से नहीं फैलता है टीबी का संक्रमण। इसलिये टीबी मरीजों की उपेक्षा कतई नहीं करें। उससे अपनत्व की भावना रखते हुए उसे टीबी की सही जांच और सही जगह पर इलाज कराने के लिए प्रेरित करें। ये जानकारी जिले के सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने मंगलवार को दी । उन्होंने बताया श्वसन संबंधित संक्रामक बीमारियों में टीबी भी एक महत्वपूर्ण बीमारी है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता। डॉ किशोर ने सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के हवाले से बताया कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने व बोलने से निकले बूंद में मौजूद टीबी बैक्टीरिया हवा के माध्यम से स्वस्थ्य व्यक्ति तक पहुंचता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि समाज में अभी भी टीबी संक्रमण को ले कुछ मिथ्याएं भी हैं। इन मिथ्याओं की वजह से लोग टीबी ग्रसित लोगों की उपेक्षा करने लगते हैं। टीबी ग्रसित लोगों के प्रति इस तरह से उपेक्षा किया जाना उसके इलाज में भी असुविधा ही पैदा करती है। आमलोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे टीबी संक्रमण होने के सही कारणों की जानकारी लें। सीडीसी के अनुसार यह रोग हाथ मिलाने, किसी को खानपान की सामग्री देने या लेने, बिस्तर पर बैठने व एक ही शौचालय के इस्तेमाल करने से बिल्कुल भी नहीं फैलता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जब एक व्यक्ति सांस लेता है तो बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर बैठ जाता है और वहीं बढ़ने लगता है। इस तरह से वो रक्त की मदद से शरीर के दूसरे अंगों यथा किडनी, स्पाइन व ब्रेन तक पहुंच जाता है। आमतौर पर ये टीबी फैलने वाले नहीं होते हैं। वहीं फेफड़ों व गले का टीबी संक्रामक होता है जो दूसरों को भी संक्रमित कर देता। डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि ट्रयूबरक्लोसिस दो प्रकार के होते हैं। इनमें एक लेंटेंट टीबी होता है जिसमें टीबी के बैक्टीरिया शरीर में मौजूद होते लेकिन उनमें लक्षण स्पष्ट रूप से नहीं दिखते हैं। लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर इसका असर उभर कर देखने को मिल सकता है। वहीं कुछ स्पष्ट दिखने वाले लक्षणों से टीबी रोगियों का पता चल पाता है। डॉ कुमार के मुताबिक तीन माह या इससे अधिक समय से खांसी रहना, छाती में दर्द, कफ में खून आना, कमजोरी व थका हुआ महसूस करना। वजन का तेजी से कम होना, भूख नहीं लगना, ठंड लगना, बुखार का रहना, रात को पसीना आना इत्यादि का लक्षण दिखे तो तुरंत उपचार कराना चाहिए।

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