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किशनगंज : छह माह तक के बच्चों के संपूर्ण पोषण के लिये मां का दूध ही पर्याप्त।

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए छह माह के बाद ऊपरी आहार का सेवन कराना जरूरी।

  • अन्नप्रशासन दिवस पर बच्चों के सही खानपान व उचित पोषण संबंधी दी गयी जानकारी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए उन्हें सही पोषण दिया जाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जिसके लिए पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रत्येक महीने में अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है। इस क्रम में जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र के पोषक क्षेत्र के तहत छह माह की आयु पूरे कर चुके बच्चों को ऊपरी आहार का सेवन कराया गया। आंगनबाड़ी केंद्रों पर इसे लेकर विशेष आयोजन करते हुए छह माह पूरे कर चुके बच्चों की मां व अन्य महिलाओं को अन्नप्राशन के महत्व की जानकारी दी गयी। पोषक क्षेत्र की महिलाओं को ये बताया गया कि छह माह तक के बच्चे को केवल मां का दूध ही देना चाहिये। उसके बाद बच्चों के संपूर्ण पोषण के लिये मां का दूध पर्याप्त नहीं होता। इसलिये मां के दूध के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये ऊपरी आहार देना अनिवार्य हो जाता है।शहरी क्षेत्र की डे मार्केट स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मीनू कुमारी ने बताया कि छह माह की उम्र के बाद बच्चोंको अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसकी पूर्ति नहीं होने पर बच्चा के कमजोर होने व रोग ग्रस्त होने का खतरा रहता है। इसलिये पोषक क्षेत्र की महिलाओं को छह माह से अधिक उम्र के अपने बच्चे को मसली हुई दाल, चावल, केला, आलू, सूजी की खीर का सेवन कराने की सलाह दी गयी। थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर बच्चों को इसका सेवन कराने के प्रति उन्हें जागरूक किया गया। ठाकुरगंज प्रखंड की सीडीपीओ जीनत यास्मिन ने बताया की प्रखंड में अन्नप्राशन दिवस पर आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा 6 माह से 2 वर्ष तक के बच्चों की माताओं को बुलाकर बच्चों के लिए 6 माह के बाद ऊपरी आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाया जाना चाहिए। शिशुओं को अतिरिक्त आहार के मिलने से उनके शरीर में तंदुरुस्ती आने के साथ ही उनके मष्तिष्क विकास में भी वृद्धि होती है। सही समय पर सही पोषण से ही देश में कुपोषण की समस्या को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को विशेष रूप से शामिल करने की बात बताई।उन्होंने बताया की समय पर बच्चों को ऊपरी आहार का सेवन शुरू नहीं कराना बच्चों में होने वाले कुपोषण की बड़ी वजह है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित होने वाले अन्नप्राशन दिवस का मुख्य उद्देश्य आम महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि बच्चों को समय पर ऊपरी आहार देने से बच्चों का सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक विकास सही होता है। वहीं बच्चों में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता विकसित होती है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुमन सिन्हा ने बताया कि अन्नप्राशन हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। यह संस्कार बच्चों के छह माह पूरा होने के बाद हर घर में किया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से इसे सामुदायिक गतिविधि के रूप में मनाया जा रहा है। ताकि लोगों को इसके महत्व के प्रति प्रेरित व जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया की एसडीजी लक्ष्य 2.2 के अनुसार सभी प्रकार के कुपोषण को वर्ष 2030 तक खत्म करना है। इसमें 2025 तक अंतररातष्ट्रीय सहमति से निर्धारित पांच साल के बच्चों में स्टंटिंग, उम्र के अनुसार कम लंबाई और वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार कम वजन) के लक्ष्य के साथ ही किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बुजुर्गों की पोषण की जरूरतों को हासिल करने का लक्ष्य भी शामिल हैं। एसडीजी लक्ष्य 3.2 के मुताबिक वर्ष 2030 तक नवजातों और पांच साल तक के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों पर लगाम लगाना है। उन्होंने यह बताया कि जन्म लेने के एक घंटे बाद ही शिशु को स्तनपान करवाना अनिवार्य है। छः महीने तक विशेष स्तनपान और उसे दो साल तक बरकरार रखना है। छह महीने के बाद शिशु को ठोस आहार देना और उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों को विविधतापूर्ण भोजन भी दिया जाना चाहिए ताकि बढ़ती उम्र में उसे पौष्टिक तत्व मिल सके।

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