किशनगंज : समय पर जांच, विशेषज्ञ निगरानी और मजबूत स्वास्थ्य सेवाओं से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव संभव
गांवों में आयोजित वीएचएसएनडी से बढ़ी सुविधा, ‘द्वार पर जांच’ से महिलाओं को मिली राहत

किशनगंज,26नवंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल का प्रभाव अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। विभिन्न पंचायतों में बुधवार को आयोजित ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (VHSND) में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं पहुंचीं, जहां उन्हें एएनसी जांच, परामर्श और दवा उपलब्ध कराई गई। हाल ही में जिलाधिकारी विशाल राज द्वारा बीएचएसएनडी सत्रों के निरीक्षण और सख्त मॉनिटरिंग के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दिखाई दिया।
डीएम ने कर्मियों को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (HRP) की समय पर पहचान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और किसी भी गंभीर मामले में तत्काल रेफरल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। बुधवार के सत्रों में स्वास्थ्यकर्मी और लाभुक दोनों अधिक जागरूक दिखाई दिए।
PMSMA, ANC ट्रैकिंग और VHSND से मजबूत हुआ HRP प्रबंधन
सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) और नियमित ANC ट्रैकिंग से जिले में HRP पहचान दर बढ़ी है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर फॉलो-अप और बीएचएसएनडी में अनिवार्य जांच उपलब्ध होने से मातृ स्वास्थ्य प्रणाली सशक्त हुई है। उन्होंने कहा कि एएनएम और आशाओं को विशेष प्रशिक्षण देकर HRP संकेतों की पहचान में दक्ष बनाया गया है, जिससे गंभीर मामलों को समय पर चिकित्सा संस्थानों तक पहुंचाया जा रहा है।
पहली तिमाही में जांच से बढ़ी सुरक्षा—सदर अस्पताल प्रशासन और सजग
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि गर्भावस्था की पहली तिमाही में ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, शुगर टेस्ट और अल्ट्रासाउंड जैसी जांचें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि पहले कई महिलाएं देर से अस्पताल पहुंचती थीं, जिससे जटिलता बढ़ती थी, लेकिन अब एचडब्लूसी और वीएचएसएनडी सत्रों की संख्या बढ़ने से समय पर जांच संभव हो सकी है और गंभीर मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।
आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ से आसान हुआ HRP उपचार
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने कहा कि आधुनिक उपकरणों, प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों, पर्याप्त दवाओं और बेहतर रेफरल व्यवस्था के कारण HRP प्रबंधन अब पहले की अपेक्षा अधिक प्रभावी हुआ है। उन्होंने बताया कि रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, कम उम्र या अधिक उम्र में गर्भधारण, ट्विन प्रेग्नेंसी और पहले सिजेरियन जैसे कारण HRP के प्रमुख कारक हैं। जागरूकता बढ़ने से महिलाएँ अब एएनसी जांच को लेकर अधिक सतर्क हैं।
गांव में ही जांच उपलब्ध—HWC और VHSND ने बढ़ाई ‘द्वार पर स्वास्थ्य’ की पहुंच
सिविल सर्जन ने कहा कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) और VHSND ने गांव स्तर पर मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को मजबूत किया है। ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, शुगर टेस्ट, वजन और परामर्श अब गांव में ही उपलब्ध हो जाते हैं।
धनगछ की लाभुक रीना खातून और बरहैया की अनिता देवी ने बताया कि अब जांच और दवाएं गांव में ही मिलने से समय, श्रम और खर्च—तीनों में कमी आई है। महिलाएँ नियमित जांच के प्रति अधिक आत्मविश्वासी हुई हैं।
जागरूकता, नियमित जांच और सामुदायिक भागीदारी—सुरक्षित मातृत्व की दिशा में मजबूत कदम
आज के वीएचएसएनडी सत्रों में गर्भवती महिलाओं को आयरन-फोलिक एसिड की गोलियां दी गईं, टीकाकरण किया गया और HRP संकेतों की जानकारी दी गई। आशा और एएनएम ने महिलाओं को बताया कि समय पर जांच, पर्याप्त पोषण और डॉक्टर की सलाह का पालन ही HRP से बचाव का सबसे विश्वसनीय उपाय है।
प्रशासनिक निगरानी, योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन और स्वास्थ्य विभाग की तत्परता ने जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दी है। जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि हर गर्भवती महिला को सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ मातृत्व उपलब्ध कराया जाए—और बुधवार की गतिविधियों ने इस दिशा में सकारात्मक प्रगति का संकेत दिया।



