किशनगंज : कालाजार बीमारी के उपचार में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक भागीदारी महत्वपूर्ण : सिविल सर्जन
मरीजों की खोज के लिये कोचाधामन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण, कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को निष्ठावान बनकर कार्य करने की आवश्यकता

किशनगंज, 05 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता में सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका बहुत कारगर है। सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर कालाजार सहित वेक्टर बॉर्न अन्य डिजीज के प्रति ग्रामीणों के बीच जागरूकता लाना जरूरी है। इसके लिए कोचाधामन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सह समीक्षा बैठक हुई। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने कहा कि कालाजार (काला-अजार) एक प्रकार से सामुदायिक स्तर की समस्या है और इसके उपचार में व्यक्तिगत और सामुदायिक भागीदारी बहुत जरूरी है। पूरे विश्व में लगभग 20 से अधिक कई प्रकार के लीशमैनिया परजीवी हैं, जिसको फ़ैलाने में 90 प्रकार की सैंडफ्लाई कालाजार बीमारी का कारण बनते हैं। लोगों को यह बीमारी सैंडफ्लाइज़ के काटने से ही होती है जो खुद परजीवी से संक्रमित किसी दूसरे व्यक्ति का खून पीने वाले परजीवी हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यही है कि समुदाय के बीच कार्य करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मी सामुदायिक स्तर पर ग्रामीणों को कालाजार बीमारी के लक्षण, उससे बचने के उपाय के साथ ही सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे। बरसात के दिनों में कुछ सावधानी बरतकर कालाजार जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है। क्षेत्र में छिड़काव के लिए जाने वाली टीम का सहयोग कर प्रत्येक घर में छिड़काव कराने के लिए प्रेरित करें। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. मंजर आलम ने कहा कि कालाजार रोग की जांच एवं उपचार को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कालाजार उन्मूलन के तहत शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य स्तर पर विशेष रूप से सघन कार्य बनाया गया है। इसके तहत स्थानीय ज़िले के आशा को प्रशिक्षित किया जा रहा है। कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को निष्ठावान बनकर कार्य करने के आवश्यकता है। ज़िले के कुछ ही प्रखंडों में कालाजार के मरीज शेष बचे हुए हैं, इसका भी सफाया हो जाएगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थय कर्मियों द्वारा लोगों को मच्छरदानी का नियमित उपयोग करने एवं अपने घर के आसपास गड्ढों या नालों में बरसात या चापाकल के पानी को निकासी करने के लिए जागरूक करें ताकि कालाजार के मच्छरों की संख्या नहीं बढ़े। डा. कौशल किशोर ने बताया की अभियान के क्रम में 15 या 15 से अधिक दिनों से बुखार पीड़ित वैसे व्यक्ति जिनका बुखार एंटीबायॉटिक दवा सेवन के बावजूद ठीक नहीं हो रहा हो। उन्हें भूख की कमी व पेट का बड़ा होना जैसे लक्षण, वजन में गिरावट, शरीर पर चकते का निशान वाले मरीजों को चिह्नित कर संबंधित पीएचसी के माध्यम से उनका जरूरी इलाज सुनिश्चित कराया जायेगा। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. मंजर आलम ने बताया कि जिले में कालाजार के मामलों में निरंतर गिरावट जारी है। जिले को पूरी तरह कालाजार मुक्त बनाने का विभागीय प्रयास जारी है। इसके लिये रोगी खोज अभियान की सफलता महत्वपूर्ण है। इसे लेकर प्रखंडवार आशा कार्यकर्ताओं को जरूरी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के उपरांत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार के संभावित मरीजों को चिह्नित करेंगी। ताकि जरूरी जांच के उपरांत उनका समुचित इलाज सुनिश्चित कराया जा सके। उन्होंने बताया कि दो या दो सप्ताह से अधिक दिनों तक बुख़ार लगना, भूख न लगना, वजन कम होना, पैर, पेट, चेहरे और हाथ की त्वचा का रंग हल्का हो जाना, इस बीमारी में भूख न लगना, पीलापन और वजन घटने के कारण कमज़ोरी आती हैं, खून की कमी, अक्सर तिल्ली और क़भी-क़भी लीवर बढ़ जाने के कारण पेट फूल जाता हैं, अगर समय रहते इसका इलाज़ नहीं किया गया तो मरीज की जान जा सकती है। कालाजार को अक्सर लोग मलेरिया, टायफाइड या तपेदिक समझने की भूल कर बैठते हैं।