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किशनगंज : ईंट भट्ठा में काम कर रहे श्रमिक माता पिता के साथ रह रहे बच्चे का समुचित व्यवस्था लागू किया जाए: चक्रपाणि

बाल श्रम होने से बचपन, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित होता है: चक्रपाणि

किशनगंज, 05 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले के परिसदन हॉल में बाल श्रम उन्मूलन विमुक्त एवं पुनर्वास विषय पर समीक्षात्मक बैठक में बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग अध्यक्ष डा. चक्रपाणि हिमांशु ने श्रम अधीक्षक, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी एवं अन्य विभाग पदाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक बालक के शिक्षा मौलिक अधिकार हैं, इसलिए शिक्षा विभाग 6 से 14 वर्ष के आयु के सभी बच्चों को विद्यालय जाने के लिए प्रारंभिक शिक्षा मुक्त है। शिक्षा से खुलता है तरक्की का दरवाजा ! बाल श्रम उन्मूलन से गुजरता है विकासका रास्ता! बाल श्रम करना संज्ञा अपराध है। बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र बच्चे कार्य लेना दंडनीय अपराध है 14 से 18 वर्ष के किशोर से खतरनाक नियोजन जैसे ईंट भट्ठा खानों इत्यादि जगह पर काम लेना दंडनीय अपराध है। बाल श्रम करवाते पकड़े गए तो कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति क्यों ना हो 20000 से 50000 तक जुर्माना या 6 से 2 साल तक का कारावास होगा। सरकारी कर्मियों के यहां पकड़े गए तो विभागीय कार्यवाही किया जाएगा। बाल श्रम शब्द समाज के लिए कलंक है, बाल श्रम गरीबी आर्थिक स्तर पर पिछड़ा रहना एवं शिक्षा का परिणाम है। बाल श्रम बच्चों के बचपन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य वंचित करता है। विमुक्त बाल श्रमिकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। बाल श्रमिक आयोग के प्रभावी प्रवर्तन द्वारा खतरनाक कार्यों में लगे बाल श्रमिकों को नियुक्त करना। बाल श्रमिकों की पहचान के लिए सर्वेक्षण करना, विमुक्त बाल श्रमिकों को विशेष विद्यालय में नामांकन करा कर औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना। अन्य राज्यों से विमुक्त बाल श्रमिकों की घर सुनिश्चित किया जाता है। विमुक्त बाल श्रमिकों के माता-पिता इंदिरा आवास, राशन कार्ड, निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा देने की बात राज्य सरकारी योजना 2017 में की गई है, परवरिश योजना का लाभ दिलाया जाता है। श्रमिकों को श्रम संसाधन विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराकर सरकार द्वारा मिलने वाली सभी योजनाओं को लागू किया जाए क्योंकि जब तक श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं बाल श्रम पर रोक नहीं लगेगा न्यूनतम 5 वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर 7 वर्ष की आयु के पश्चात ₹1000 प्रतिमाह पेंशन देय होगा बशर्ते की अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत पेंशन का लाभ न मिला हो दुर्घटना , टीवी, लकवा आदि में अस्थाई विकलांगता की स्थिति में निशक्त की स्थिति में एक मुश्त ₹75000 एवं आंशिक निशक्त की स्थिति में एक मुश्त ₹50000 देय होगा दाह संस्कार हेतु आर्थिक सहायता ₹5000 देय होगा और असमय मृत्यु में 2 लाख रुपए, दुर्घटना मृत्यु में चार लाख रुपए दिया जाता है मृत्यु आपदा के समय होती है या आपदा प्रबंधन के द्वारा अनुदान दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में बोर्ड द्वारा 10 लख रुपए देती है पेंशनधारी की मृत्यु के पश्चात पेंशनधारी को प्राप्त राशि का 50% परिवार वालों को दिया जाता है पितृत्व में ₹6000 दिया जाता है वार्षिक वस्त्र सहायता योजना में ₹2500 दिया जाता है प्रधानमंत्री श्रम योगी मानयन योजना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, कल्याणकारी योजना, मातृत्व लाभ, शिक्षा के लिए सहायता, आईआईटी, आईआईएम, आदि जैसी सरकारी उत्कृष्ट संस्थानों में दाखिल होने पर पूरा ट्यूशन फीस सरकार समक्ष कोर्स के लिए सरकारी संस्थानों में दाखिल होने पर एक मुश्त ₹20000 दिया जाता है सरकारी पॉलिटेक्निक, नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स के अध्ययन के लिए एक मुश्त ₹10000 दिए जाते हैं सरकारी आईटीआई या समकक्ष के लिए एक मुश्त ₹5000 दिए जाते हैं न्यूनतम एक वर्ष की सदस्यता के पश्चात संबंधित निर्माण कामगारों के पुत्र – पुत्रियां को बिहार राज्य के अधीन किसी भी बोर्ड द्वारा संचालित दसवीं एवं 12वीं की परीक्षा में 80% से अधिक अंक प्राप्त करने पर ₹25000, 70% से 79.99% अंक प्राप्त करने पर ₹15000 तथा 60% से 69.99% अंक प्राप्त करने पर ₹10000 दिया जाता है विभाग के लिए वित्तीय सहायता निबंधित पुरुष महिला कामगार को 3 वर्ष तक अनिवार्य रूप से सदस्य रहने पर ₹50000 की राशि दिया जाता है निबंधित निर्माण कामगार को कौशल उन्नयन के लिए अधिकतम ₹15000 दिया जाता है साइकिल क्रय योजना के उपरांत अधिकतम ₹3500 दिए जाते हैं भवन मरम्मत की अनुदान योजना में 3 वर्ष की सहायता पूरी होने पर ₹20000 दिए जाते हैं वार्षिक चिकित्सा सहायता सभी निबंधित पात्र निर्माण श्रमिकों को प्राप्त होगा जिसके तहत प्रति वर्ष ₹3000 एकमुश्त राशि लाभार्थी के खाते में स्थानांतरित की जाती हैं। उन्होंने कहा कि ईंट भट्टों पर काम कर रहे बाल श्रमिकों पर रोक लगाया जाए। दूसरे राज्य जिलों से आए हुए माता-पिता के साथ बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था ईट भट्टे मालिक द्वारा कराया जाए या ना तो स्थानीय आंगनबाड़ी केंद्र या विद्यालय भेजा जाए एट भत्ते 5 से 6 माह तक श्रमिक कार्यरत रहते हैं, इसलिए श्रमिक के साथ-साथ रह रहे हैं। उनके बच्चे के लिए शुद्ध पानी रहने की अच्छी व्यवस्था, खेलने की व्यवस्था, दवाई एवं शिक्षा के साथ, सुरक्षा की समुचित व्यवस्था किया जाए। बाल श्रम रोकने के लिए लगातार धावा दल गठित कर दुकान, प्रतिष्ठान, ईंट भट्ठा, घर में छापेमारी अभियान चलाया जाए जब तक श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं तो बाल श्रम पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। इसके लिए श्रम संसाधन विभाग की लाभकारी योजना जो जन्म से मृत्यु तक लाभ देती है उससे जोड़ा जाए। बच्चों का स्थान विद्यालय में है, खेलकूद के मैदान में है, ना कि किसी होटल, ढाबा, गैराज, फैक्ट्री आदि मे वित्तीय वर्ष 2023 – 24 में धावा दल के द्वारा 27 बाल श्रमिक विभिन्न प्रखंडों से अलग-अलग विमुक्त किए गए जब तक श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं तो बाल श्रम पर रोक नहीं लगाया जा सकता इसके लिए श्रम संसाधन विभाग की लाभकारी योजना जो जन्म से मृत्यु तक लाभ देती है उससे जोड़ा जाए श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन में तेजी लाया जाय। बाल श्रम उन्मूलन विमुक्ति एवं पुनर्वास हेतु सेमिनार, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, प्रशिक्षण, रैली, नाटक के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम तेजी से चलाया जाए। बाल श्रम केवल कानून से खत्म नहीं होगी इसके लिए जनप्रतिनिधियों, त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवी स्वयंसेवी संगठनों, श्रमिक संगठनों तथा सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाए, जिससे बाल श्रमिक रूपी कलंक को दूर कर बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने का संकल्प ले ताकि बिहार देश में प्रथम बाल श्रम मुक्त गौरवशाली राज्य बन सके। बैठक में श्रम अधीक्षक जगन्नाथ पासवान, वरीय उप समाहर्ता रंजीत कुमार, सुनीता कुमारी, सिविल सर्जन डा. कौशल कुमार, कल्याण पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा, रवि शंकर तिवारी, राकेश कुमार सिंह, पंकज कुमार झा, शशि शर्मा, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी दिल नवाज रागीव, अनिल शर्मा, संतोष झा एवं राजकुमार शामिल थे।

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