किशनगंज : डीएम ने क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत निजी अस्पताल को तथा यूएसजी केंद्रों को सौपा निबंधन प्रमाण पत्र
समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी के हाथो क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत 12 नव पंजीकृत निजी अस्पताल को निबंधन प्रमाण पत्र सौपा गया साथ ही 18 निबंधित नर्सिंग होम संचालको को नवीकरण प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है
किशनगंज, 21 फ़रवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, डाक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन इस पेशे की आड़ में अवैध तरीके से क्लीनिक, नर्सिंग होम व अस्पताल मरीजों के आर्थिक दोहन का पेशा बन चुका है। इस तरह के क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों में अक्सर मरीजों की जान जाने की खबरें आती रहती है। सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया की बिहार में निजी क्लीनिकों को स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो क्लीनिक को अवैध संस्थान माना जा सकता है, कोई भी निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल संचालित करने के लिए क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत संस्थान का रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता है, इसी क्रम में बुधवार को समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी के हाथो क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत 12 नव पंजीकृत निजी अस्पताल को निबंधन प्रमाण पत्र सौपा गया साथ ही 18 निबंधित नर्सिंग होम संचालको को नवीकरण प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है। उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी तुषार सिंगला ने बताया की क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के अनुसार जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना पड़ता है। इसके तहत एक साल का औपबंधिक निबंधन किया जाता है। वहीं विधि मान्य अवधि से एक माह पूर्व पंजीयन के नवीकरण के लिए आवेदन देना पड़ता है। अगर उक्त अवधि में नवीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो संस्थान को प्रति माह की दर से जुर्माना भरना पड़ता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा अग्निशमन सुरक्षा प्रमाण पत्र सहित अन्य जरूरी दस्तावेज देने पड़ते हैं, विभाग के अनुसार किसी भी अस्पताल को निबंधन के लिए न्यूनतम मानकों का पालन करना होगा। निर्धारित कार्मचारियों की उपलब्धता रखनी होगी। जितने भी मेडिकल रिकार्ड हैं उनका रखरखाव करना होगा रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी होगी। रजिस्ट्रीकरण के लिए अस्पतालों को निर्धारित फीस के साथ आनलाइन या आफलाइन आवेदन देना होगा। सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया की जिले में पूर्व से 85 नर्सिंग होम एवं 03 क्लिनिक निबंधित तथा 38 यु०एस०जी० निबंधित है वही माह फ़रवरी में पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत 10 नए नर्सिंग होम का निबंधन किया गया है। विदित हो की पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर एवं 38 अल्ट्रासाउंड सेंटर ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि शहर के मुख्य चौराहे से लेकर गांव की गलियों तक सैकड़ों की संख्या में निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित की जा रही हैं। जिलाधिकारी तुषार सिंगला ने जिला स्तरीय टीम को हॉस्पिटल एवं सोनोग्राफी सेन्टरों के नियमित निरीक्षण कर पीसी-पीएनडीटी एक्ट के शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित कराने का निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है, इसके अंतर्गत नियमों का उल्लंघन होने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में अधिनियम के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु प्राप्त पत्राचार पर चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने जिले में संचालित पंजीकृत सोनोग्राफी सेंटर, लाइसेंस वैधता आदि की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है। सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया की डीएम तुषार सिंगला के दिशा निर्देश के आलोक में क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत अवैध रूप से संचालित निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसके लिए जिलाधिकारी के द्वारा अवैध रूप से संचालित जांचघर, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलाजी, लैबोरेट्री, अल्ट्रासाउण्ड, क्लीनिक, नर्सिंग होम के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश के आलोक में जिले के सभी अस्पतालों के उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी का दल बनाकर जांच करवायी जा रही है। उन्होंने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) एक्ट 2010 (धारा 11) का पालन जरूरी है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान बगैर रजिस्ट्रेशन कराये किसी भी तरह का क्लीनिक, नर्सिंग होम, पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक, अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन नहीं कर सकता। ऐसा किया जाना अवैध है। इस एक्ट का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जायेगा। एक्ट की धारा 41(1) के मुताबिक आर्थिक दंड का प्रावधान तय है। इसके मुताबिक पहली बार पकड़े जाने पर 50 हजार, दूसरी बार में 02 लाख तक और तीसरी बार पकड़े जाने पर 5 लाख तक जुर्माना वसूला जायेगा। इसके अलावा क़ानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। वही गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्धत कराने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2010 में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्यूलेशन) एक्ट लागू किया था। सरकार ने केंद्र की ही नियमावली को वर्ष 2013 में अंगीकृत किया था। क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के अनुसार जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके तहत एक साल का औपबंधिक निबंधन किया जाता है। वहीं विधि मान्य अवधि से एक माह पूर्व पंजीयन के नवीकरण के लिए आवेदन देना पड़ता है। अगर उक्त अवधि में नवीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो संस्थान को प्रति माह की दर से जुर्माना भरना पड़ता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र तथा अग्निशमन सुरक्षा प्रमाणपत्र सहित अन्य जरूरी दस्तावेज देने पड़ते हैं।