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किशनगंज : हाथीपांव रोग उन्मूलन की दिशा में निर्णायक कदम

पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण से ठाकुरगंज में जगी नई उम्मीद, संक्रमण की वास्तविक स्थिति जानने की वैज्ञानिक प्रक्रिया — प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समुदाय की साझा जिम्मेदारी

किशनगंज,29दिसंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह,
हाथीपांव (लिम्फैटिक फाइलेरिया) एक गंभीर और दीर्घकालिक रोग है, जो शरीर को भीतर से कमजोर करने के साथ-साथ स्थायी शारीरिक विकृति और सामाजिक पीड़ा का कारण बनता है। हाथ–पैरों की असामान्य सूजन, लगातार दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई और सामाजिक उपेक्षा इस रोग को केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक बोझ भी बना देती है।

इसी गंभीर बीमारी से स्थायी मुक्ति के उद्देश्य से ठाकुरगंज प्रखंड में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन सर्वेक्षण (प्री–टैस) के अंतर्गत रात्रि रक्त परीक्षण अभियान निरंतर संचालित किया जा रहा है। इस वैज्ञानिक प्रक्रिया का उद्देश्य यह आकलन करना है कि क्षेत्र में संक्रमण का स्तर कितना कम हो चुका है और क्या उन्मूलन के अगले चरण की शुरुआत की जा सकती है।

जनभागीदारी बढ़ी, आंकड़े बने आशा का संकेत

अभियान के दौरान शहरी क्षेत्र गांधी नगर वार्ड संख्या–1 से 302, बरगीझार वार्ड संख्या–10 से 303, तथा खोसीडांगी (पठारिया) से 160 व्यक्तियों के रक्त नमूने लिए गए हैं। खोसीडांगी क्षेत्र में यह प्रक्रिया अभी जारी है, जिससे नमूनों की संख्या और बढ़ने की संभावना है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ये आंकड़े केवल संख्या भर नहीं हैं, बल्कि इस बात का संकेत हैं कि लोग हाथीपांव रोग के खतरे को समझते हुए स्वास्थ्य टीमों के साथ सक्रिय सहयोग कर रहे हैं और सुरक्षित भविष्य की दिशा में जागरूक हो रहे हैं।

पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण क्यों आवश्यक

भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ. मंजर ने बताया कि पूर्व प्रसारण मूल्यांकन वह महत्वपूर्ण चरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि संक्रमण का स्तर इतना कम हो चुका है कि आगे के उन्मूलन प्रयास शुरू किए जा सकें। उन्होंने बताया कि रात्रि रक्त परीक्षण इसलिए आवश्यक है, क्योंकि हाथीपांव रोग के परजीवी रात के समय रक्त में सक्रिय अवस्था में पाए जाते हैं। इसी कारण स्वास्थ्यकर्मी देर रात तक घर-घर जाकर नमूने एकत्र कर रहे हैं, ताकि संक्रमण की वास्तविक स्थिति का सटीक आकलन किया जा सके।

ठाकुरगंज जागरूकता के बल पर उदाहरण बन रहा है

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने अभियान की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि ठाकुरगंज में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारंभिक परिणाम उत्साहवर्धक हैं। उन्होंने कहा, “जिन क्षेत्रों में रक्त नमूने लिए गए हैं, वहां लोगों ने स्वेच्छा से सहयोग किया है। यदि यही जागरूकता बनी रही, तो वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ठाकुरगंज हाथीपांव रोग मुक्त क्षेत्र बनने की ओर मजबूती से आगे बढ़ सकता है।”

सही आंकड़े ही आगे की राह तय करेंगे

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य केवल अधिक संख्या में नमूने लेना नहीं, बल्कि उन्हें पूरी शुद्धता और वैज्ञानिक विधि से एकत्र करना है।
उन्होंने कहा कि खोसीडांगी में परीक्षण जारी है और लोगों का सहयोग अभियान को और मजबूती दे रहा है। साथ ही उन्होंने आमजन से अपील की कि वे परीक्षण दलों का सहयोग करें, क्योंकि यही रोग-मुक्त जीवन की कुंजी है।

मैदान में निरंतर सक्रियता : आशुतोष प्रसाद कात्यायन की भूमिका

अभियान के संचालन और समुदाय से संवाद में वी.बी.डी.एस. आशुतोष प्रसाद कात्यायन की भूमिका उल्लेखनीय रही है। सर्वेक्षण दलों का मार्गदर्शन, जमीनी निगरानी और लोगों के बीच विश्वास कायम करने में उनके प्रयासों से अभियान को निरंतर गति मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी उपस्थिति से झिझक कम हुई और अधिक लोगों ने स्वेच्छा से रात्रि रक्त परीक्षण कराया।

जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार

स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि जहां समझ और जागरूकता होती है, वहीं भागीदारी भी सुनिश्चित होती है, और यही भागीदारी उन्मूलन की सबसे मजबूत नींव है। यदि आगामी दवा सेवन अभियान में भी यही सहयोग बना रहा, तो हाथीपांव रोग को धीरे-धीरे क्षेत्र से समाप्त किया जा सकता है।

पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारंभिक संकेत यह दर्शाते हैं कि ठाकुरगंज हाथीपांव रोग उन्मूलन की राह पर स्थिर और आशाजनक कदमों के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रशासन की निगरानी, स्वास्थ्य विभाग की वैज्ञानिक कार्यप्रणाली और समुदाय की भागीदारी मिलकर एक ऐसे भविष्य की नींव रख रही है, जिसमें यह क्षेत्र हाथीपांव रोग के बोझ से मुक्त हो सकेगा।

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