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किशनगंज : बच्चों को नियमित टीकाकरण नहीं कराने से बीमार होने का खतरा अधिक।

नियमित टीकाकरण गर्भवती महिला व बच्चों को कई गंभीर रोगों से बचाता है।

  • सप्ताह में दो दिन बुधवार एवं शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्रों पर होता टीकाकरण सत्र का संचालन।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, गर्भवती महिला व होने वाले शिशु के संर्पूण सुरक्षा के लिये नियमित टीकाकरण जरूरी है। गर्भवती महिला व प्रसव के बाद बच्चों के नियमित टीकाकरण से उसमें रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को मजबूती मिलती है। इससे बच्चे जल्द बीमार नहीं होते और किसी बीमारी की चपेट में आने के बाद वे जल्द स्वस्थ हो जाते हैं। इसके विपरित गर्भवती महिला व बच्चों का टीकाकरण नहीं होने से बच्चों में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का समुचित विकास नहीं हो पाता है। इससे बच्चों का आसानी से किसी रोग की चपेट में आने का खतरा काफी अधिक होता है। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने शुक्रवार को बताया की टीकाकरण की प्रक्रिया किसी महिला के गर्भधारण के बाद से ही शुरू हो जाता है। गर्भावस्था के शुरूआती दौर में ही टेटनस का टीका लगाना अनिवार्य होता है। टीका कब लगेगा व कितने इंजेक्शन लगेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इससे पहले टीका कब लगाया गया है। महिला कितनी बार गर्भवती व इसके बीच के अंतर पर निर्भर करता है। अमूमन पूरे गर्भकाल के दौरान टेटनस का दो टीका जरूरी होता है। गर्भवती महिला व जन्म लेने वाले शिशुओं का टीकाकरण जरूरी कराना चाहिये। ये कई तरह के जानलेवा बीमारियों से गर्भवती महिला व उनके होने वाले शिशुओं को सुरक्षा प्रदान करता है। इससे प्रसव संबंधी जटिलताओं में भी कमी आती है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि टीकाकरण से गंभीर बीमारियों से बचाव को लेकर शिशुओं के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती मिलती है। सुरक्षित व सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिहाज से भी ये जरूरी है। संपूर्ण टीकाकरण बच्चों के संपूर्ण शारीरिक व मानसिक विकास के लिये जरूरी है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण की प्रक्रिया को बेहद आसान व सुलभ है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर इसे लेकर सप्ताह में दो दिन नियमित टीकाकरण सत्र संचालित होता है। सभी सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नियमित टीकाकरण को लेकर निरूशुल्क इंतजाम उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि जन्म के तुरंत बाद बच्चों को ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी व बीसीजी टीका लगाया जाता है। डेढ़ माह के उपरांत ओरल पोलियो.1, पेंटावेलेंट.1, एफआईपीवी.1, पीसीवी.1, रोटा-1 का टीका लगाया जाता है। ढ़ाई महीने की उम्र पूरा करने पर बच्चे को ओरल पोलियो 2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2 का टीका दिया जाता है। साढ़े तीन महीने बाद ओरल पोलियो 3, पेंटावेलेंट 3, एफआईपीवी 2, रोटा 3, पीसीवी 2, 09 से 12 माह के बीच मीजल्स-रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी बूस्टर, विटामिन ए का टीका, 16 से 24 माह के बीच मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2 का टीका लगाया जाता है। इसके अलावा बच्चे को 05 से 06 साल उम्र के बीच डीपीटी बूस्टर 2, 10 साल की उम्र में टेटनेस, 15 साल की उम्र में टेटनेस का टीका लगाना जरूरी होता है। गर्भवती महिला को टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर डोज का टीका दिया जाता है।

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