किशनगंज : मदद करने का एक सुकून भरा अनुभव, अवसर है-इंसानियत को जिंदा रखने का..

किशनगंज पुलिस कप्तान को दिया गाली ताकि मिल सके खाना..किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी से जुझ रहे कुछ लोगो ने किशनगंज पुलिस कप्तान कुमार आशीष को फ़ोन पर गाली दी ताकी जेल जाकर खाना खा सके।पुलिस कप्तान कुमार आशीष ने धर्य पूर्वक उनलोगों का समस्या को सुना और उन लोगो की मदद भी की।कल शाम, अज्ञात नम्बरो से लगातार कई कॉल्स श्री आशीष के पास आई।कॉलर ने पुलिस कप्तान कुमार आशीष को फोन पर ही गाली देना शुरू कर दिया..बिना किसी कारण के।विस्मयकारी…फिर भी, श्री कुमार ने अपना धैर्य नहीं खोया।श्री कुमार उन लोगो को समझ गए कि कुछ तो वजह होगी…शायद वे बहुत परेशान हैं और उनकी हालत दयनीय होगी..जिला पुलिस कप्तान कुमार आशीष ने विनम्रता से उनकी समस्या के बारे में पूछा, तो पता चला कि वे लोग कुल 08 मजदूर है और वे बिहार के नवादा जिले से हैं, जो बिना पैसे के भोजन के अभाव में पिछले 03 दिनों से फंसे हुए हैं और गुजरात के सूरत शहर में लॉकडाउन के वजह से फंसे हुए है।जीवन से निराश हो चुके थे, सोचा एसपी को गाली दें तो शायद जेल ही भिजवा दे, जहां कुछ भोजन तो जिंदा रहने के लिए मिल ही जाएगा।घोर निराशा व समस्या किशनगंज जिले की नहीं थी, उनका नाम-पता श्री कुमार ने नहीं पूछा, ना ही वे पूर्व-परिचित थे।उसने पुलिस कप्तान को काफी गालियाँ भी दी थी-बिना किसी ख़ता के।फिर भी, श्री कुमार ने मानवता का परिचय देते हुए तुरंत डीएम नवादा श्री यशपाल मीणा (तत्कालीन डीसीसी किशनगंज) को उनकी जानकारी दी और यशपाल मीणा ने उनकी यथासंभव मदद करने की आश्वासन भी दिया।पुनः आज सुबह, बिहार के निवासी विभिन्न अधिकारियों के व्हाट्सएप समूह के माध्यम से, श्री कुमार ने सूरत में एक अधिकारी श्री प्रमोद सर से इसी मामले में उन जरूरतमंदों की मदद की गुजारिश हेतु संपर्क किया।उनके द्वारा फौरन वहां के अशोक केजरीवाल जी से कहा गया, जो कि झारखंड के निवासी है और वर्तमान में सूरत में व्यवसाय कर रहे हैं, उनके द्वारा उन सभी 08 मजदूरों को आवश्यक देखभाल के लिए सूरत में अपने फार्म हाउस पर ले गए हैं।सभी को खाना-आवासन के साथ प्रत्येक को 1000 रुपये भी दिए हैं।वे अब खुश हैं…श्री कुमार आशीष ने कहा कि अब अच्छा लगता है..मदद करते रहना चाहिए…आप में जो भी क्षमता हो..मानवता की सेवा होती रहनी चाहिए।ये मुश्किल घड़ी है, साथ ही एक अवसर है-इंसानियत को जिंदा रखने का।आइये, सहयोग करें।