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माता-पिता की मौत के बाद अनाथ बने बच्चों के लिये अभिभावक बने उपायुक्त कोडरमा, 4 बच्चों का कस्तूरबा एवं समर्थ विद्यालय में स्वयं कराया नामांकन..

कोडरमा/अभिजीत दीप, कोडरमा प्रखंड के छोटकी बागी, वार्ड नंबर-1 अंतर्गत एक निर्धन परिवार के घर मातम छाया हुआ से लकड़ियाँ चुनकर जीवन यापन कर रही थी।उस माँ को पहले तो लकवा ने शिकार बनाया और जब इलाज के लिए रिम्स राँची ले जाया जा रहा था तो उसे रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।माँ का हमेशा के लिए जाना उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटने जैसा है।जिससे परिवार के बचे तीनों बच्चियाँ एक 18 वर्ष का लड़का वह भी मानसिक रूप से अपंग, एक 9 वर्ष का बच्चा के जीवन में अंधकार की काली छाया के अलावा कुछ भी नहीं बच गया था।परिवार में कोई अभिभावक नहीं बचने के कारण बच्चीयों की सुरक्षा से लेकर भविष्य की चिन्ता खडी हो गयी थी।

अधिकारियों ने घर पहुंचकर दी सांत्वना, अर्थिक सहयोग के साथ विभिन्न योजनाओं का दिया लाभ..

इस हृदय विदारक घटना की सूचना मंगलवार को जैसे ही उपायुक्त रमेश घोलप को मिली, तो 24 घंटे के अंदर उस असहाय परिवार का सहारा बनकर पहल करते हुए डीडीसी समेत जिले के आला अधिकारियों के साथ सांत्वना और मदद के उददेश्य से मर्माहत परिवार के घर पहुंचे।

सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा की पहल: चार बच्चों को आवासीय विद्यालय में मुफ्त में मिलेगी शिक्षा..

उपायुक्त ने अभिभावक बन परिवार के तीनों बच्चियों काजल कुमारी उम्र-15 वर्ष, सुनीता कुमारी उम्र-13 वर्ष, अनिता कुमारी उम्र-11 वर्ष के घर पर जाकर कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय में नामांकन करवाया और अपने हाथ से रजिस्टर में नाम दर्ज करवाकर अभिभावक के रूप में हस्ताक्षर भी किया।उन बच्चियों को निशुल्क ड्रेस, किताब, कॉपी तथा दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ समुचित सुविधा देते हुए शिक्षा प्रदान की जाएगी, जिससे उनका चहुमुखी का संभव हो सकेगा।विदित हो कि कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में सिलाई, बुनाई, योगा, कंप्यूटर, संगीत आदि की शिक्षा 12वीं कक्षा तक मुफ्त दी जाती है।साथ ही विकास कुमार उम्र-9 वर्ष का नामांकन समर्थ विद्यालय में कराया गया जहाँ बच्चों को निशुल्क रहने, खाने की व्यवस्था दी जाएगी।इससे बच्चों के अंधकारमयी जीवन में सुरक्षा और शिक्षा की रोशनी आयी है।

राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ के तहत बीस हजार का स्वीकृति पत्र सौंपा..जिला प्रशासन द्वारा 24 घंटे के अंदर प्रक्रिया पूरी कराते हुये राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ की स्वीकृति दी गई।जिसके तहत 20,000/- (बीस हजार) की राशि डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में दी जाएगी।

तीन बच्चों को प्रतिमाह मिलेंगे 2000 रूपये..समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत परिवार के तीन बच्चों को (दो बालिका एवं एक बालक) वित्तीय सहायता के रूप में प्रतिमाह ₹2,000/- (दो हजार) प्रति बच्चे को 3 वर्ष तक दिया जाने का स्वीकृति पत्र भी उपायुक्त ने बच्चों को सौंपा।इस योजना के तहत मिलनेवाली राशि को 3 साल के उपरांत बच्चों की उम्र 18 साल होने तक बढाया जा सकेगा।इस संबंध में उपायुक्त ने संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिये है।

स्वास्थ की चिन्ता दूर, चार का बना गोल्डन कार्ड..पांच में से चार बच्चों का आयुष्मान भारत योजना के तहत तात्काल में गोल्डेन कार्ड बनाया गया।पांचवे बच्चे का नाम भी राशन कार्ड में जोडते हुये उसे भी दो दिन के भीतर गोल्डन कार्ड बनवाने का निर्देश उपायुक्त ने दिया है।इससे हर बच्चे को प्रति साल पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में हो सकेगा।

जिला फ़ूड बैंक से दिया गया राशन..

इस आपदा के समय में जिले में स्थापित फूड बैंक से बच्चों को तत्काल 40 किलोग्राम चावल, 40 किलोग्राम आंटा, 8 लीटर तेल, 15 किलोग्राम दाल, 4 किलोग्राम नमक, पर्याप्त मसाला, 8 किलोग्राम सोयाबीन, साबुन व मास्क इत्यादि दिया गया।

जिला प्रशासन के पदाधिकारियों द्वारा नगद राशि की मदद..दुख की इस घड़ी में जिला प्रशासन के पदाधिकारियों द्वारा सन्वेदना जताते हुये निजी तौर पर फ़िलहाल ₹10,000/- (दस हजार) की नगद राशि बच्चों को दिया गया।

कोरोना से बचाव के लिये दिये विटामिन सी टैबलेट, मास्क और साबुन..

श्री घोलप रमेश गोरख, (उपायुक्त) कोडरमा।

उपायुक्त ने बच्चों को कोरोना से संबंधित बचाव के उपाय बताते हुये उन्हे विटामिन सी की टैबलेट और 20 मास्क दिये तथा साबुन से सतत् हाथ धोने की सलाह देते हुये 10 साबुन भी दिये।

पूर्व में भी कई बार दिखी है उपायुक्त की संवेदनशीलता

उपायुक्त ने खुद अपनी जिंदगी में विपरित हालातों का सामना किया है।कोडरमा में उपायुक्त रहते हुये पिछले 11 महिनों में कई बार उन्होने अपने कार्यों से गरिब एवं असहाय लोगों के लिये मानवता की मिसाल पेश की है।दिवाली के त्योहार पर परिवार के संग बिरहोर टोला में आदिम जनजाति के बिरहोर परिवार के साथ मनाकर बच्चों को स्कूल का सामान, पटाखे और मिठाइयाँ बांटे थे।कंबल बांटते समय मिली सपना नाम की एक अनाथ लडकी का उसके घर में जाकर अभिभावक बन कस्तूरबा में एड़मिशन करवाया था और सभी जरूरी सामान दिया था।हर मंगलवार और गुरूवार को ऑफ़िस में फरियाद लेकर पहुंचे सेकड़ों लोगों को उन्होनें ऑन द स्पॉट न्याय दिलवाया है।बच्ची के इलाज के लिये एक असहाय पिता जब डीसी के आवास पहुंचे थे तब वे खुद उनके साथ अस्पताल पहुंचे थे।जनता दरबार में पहुंचकर बिमारी का इलाज कराने में मदद की गुहार लगानेवाले गरिब और बिना राशन कार्ड वाले सेकड़ों असहाय लोगों का तीन-चार घंटे में राशन कार्ड में नाम जोड़कर उन्हें वही पर गोल्डन कार्ड भी बनवाकर दिया है।आज इस मौके पर डीडीसी आलोक त्रिवेदी, निदेशक डीआरडीए नेल्सन बागे, अप्पर समाहर्ता अनिल तिर्की, जिला शिक्षा पदाधिकारी समेत जिला एवं प्रखंड के पदाधिकारी मौजूद थे।वही रमेश घोलप, उपायुक्त, कोडरमा ने कहा कि “कल मुझे इस दुखद घटना की जानकारी मिली थी।मेरी संवेदना और आशीर्वाद उन बच्चों के साथ है।बच्चों को विभिन्न योजनाओं से जोडने का काम किया है।मैं खुद भी ऐसे कठीण हालतों से गुजरा हूं।इन विपरित हालातों को प्रेरणा बनाकर पढ़ने और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने का संदेश पांचों बच्चों को दिया है।

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