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तीव्र गति से लक्ष्य की ओर अग्रसर है ‘जल जीवन मिशन’; 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुँचना अभूतपूर्व उपलब्धि” – विनी महाजन,

​​ सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –देश के 9 करोड़ ग्रामीण घरों में सीधे नल कनेक्शन से शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध हो जाना वास्तव में ही एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। और, देशभर के ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित ‘जल जीवन मिशन’ के तहत यह नई उपलब्धि हासिल की गई, 16 फरवरी, 2022 के दिन। यानि केवल ढाई साल में देश में नल कनेक्शन से युक्त ग्रामीण घरों की कुल संख्या मात्र सवा 3 करोड़ से भी कम से उछाल मार कर 9 करोड़ की संख्या को पार कर गई है। प्रतिशत की बात करें तो, 15 अगस्त, 2019 के दिन देश में 17% से भी कम (16.79%) ग्रामीण घरों में ही पेय जल के नल कनेक्शन थे, जो आज कुलांचे भर कर लगभग 47% (46.67%) हो गई है। और, यह बड़ी उपलब्धि उस काल-खंड में हासिल की गई है जब देश, दुनिया के अन्य भागों की ही तरह, कोविड जैसी विकराल महामारी से जूझ रहा था। ऐसे कठिन दौर में भी हम 5 करोड़ 77 लाख और ग्रामीण घरों तक नल कनेक्शन से शुद्ध पेयजल पहुंचा सके हैं – जिनमें से अनेक घर तो अत्यंत दुर्गम पहाड़ों पर बसे हैं।
​और, यह सब संभव हो पाया है माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उद्घोषित, और राज्यों के सहयोग से चलाये जा रहे, भविष्योन्मुखी ‘जल जीवन मिशन’ से, जिसका लक्ष्य है देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में 2024 तक नल कनेक्शन से पीने का शुद्ध पानी उपयुक्त मात्रा में और नियमित रूप से उपलब्ध कराना। फिर चाहे गांवों के वे घर कितने ही सुदूर और दुर्गम इलाकों में क्यों न स्थित हों; और उन गांवों में भी प्रत्येक घर को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा – चाहे कोई परिवार कितना ही ग़रीब और बेसहारा क्यों न हो। यानि गरीब से गरीब और पिछड़े से पिछड़े व्यक्ति के घर भी समता के आधार पर पीने के शुद्ध पानी का नल कनेक्शन लगाया जाएगा। इस मिशन का सबसे अधिक फ़ायदा ग्रामीण महिलाओं को पहुँच रहा है, क्योंकि घर के लिए दूर-दूर से, और विषम से विषम परिस्थितियों में भी, पानी ढो कर लाने की ज़िम्मेदारी हमारी ये माताएँ-बहनें और बच्चियाँ ही मजबूरी में निभाती आ रही हैं। अनेक इलाकों में तो उनका आधा जीवन इसी मजबूरी को निभाने में खप जाता था। लेकिन माननीय प्रधानमंत्री की जल जीवन संबंधी परिकल्पना से अब हमारी माताएँ-बहनें और बच्चियाँ इस अभिशाप से मुक्त होने लगी हैं। अपने घर में ही नल से शुद्ध जल मिल जाने के फलस्वरूप अब वे अपने बचे बहुमूल्य समय का सदुपयोग नाना प्रकार से अपने स्वयं के विकास के लिए या घर-परिवार की आर्थिक गतिविधियों में हाथ बंटाने में कर सकती हैं, जिससे उनके घर की आर्थिक संपन्नता में भी वृद्धि होगी।
​जल जीवन मिशन की बुनियाद में मौजूद ‘अंत्योदय’, यानि कतार में सबसे अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक भी सुविधा पहुंचाने की भावना का ही परिणाम है कि देश के 6 प्रदेश ‘हर घर जल’ बन गए हैं – यानि उनके प्रत्येक गाँव के प्रत्येक घर में नियमित और भरोसेमंद पेयजल आपूर्ति के लिए नल कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया है। ये प्रदेश हैं (3 राज्य और 3 संघ राज्य क्षेत्र यानि यूनियन टेरीटरीज़): गोवा, तेलंगाना, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, पुदुचेरी, हरियाणा तथा दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव। और, अब पंजाब भी जल्द ही ‘हर घर जल’ राज्य बनने वाला है, क्योंकि वहाँ 99% से ज़्यादा ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन लग चुके हैं। 3 अन्य राज्य- हिमाचल प्रदेश, गुजरात और बिहार भी तीव्र गति से ‘हर घर जल’ बनने की ओर अग्रसर हैं, क्योंकि वहाँ 90% से ज़्यादा ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन से शुद्ध पेयजल मिलने लगा है।
​समाज के सबसे कमज़ोर और उपेक्षित लोगों के घरों तक भी नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के सर्वव्यापी लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल जीवन मिशन द्वारा अपनाए गए ‘अंत्योदय’ के सिद्धान्त का ही परिणाम है कि आज देश के 117 आकांक्षी जिलों में पेयजल के नल कनेक्शनों की संख्या 24 लाख 32 हज़ार (7%) से बढ़ कर 1 करोड़ 36 लाख (40%) को पार कर गई है । इसी प्रकार, 5 राज्यों में जे.ई.-ए.ई.एस. बीमारी से प्रभावित 61 ज़िलों में नल जल कनेक्शनों की संख्या 8 लाख (2.6%) से बढ़ कर 1 करोड़ 23 लाख (40.59%) को पार कर गई है। इससे न केवल वहाँ के लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों के जीवन स्तर में व्यापक सुधार आया है, बल्कि घर में ही शुद्ध पेयजल मिलने से इन बीमारियों की रोकथाम में भी बड़ी मदद मिली है।

​जल जीवन मिशन की सम्पूर्ण परिकल्पना में गांवों को ही केन्द्रबिन्दु बनाया गया है। अर्थात, जल जीवन मिशन गांवों के लिए गांवों द्वारा चलाया जाने वाला अद्भुत कार्यक्रम है, जिसमें गांवों के हर वर्ग के लोगों को शामिल कर उनके सहयोग और उनकी पूर्ण भागीदारी से आगे बढ़ा जाता है। ग्राम-स्तर पर स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन में व्यवस्था की गई है कि ग्राम पंचायत गाँव में पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी एक उप-समिति बनाए जिसे ‘पानी समिति’ कहा जाता है। यह पानी समिति अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि वह गाँव में नल कनेक्शन देने के लिए स्थापित होने वाली जल आपूर्ति प्रणाली की पूरी रूपरेखा तैयार करने में और उसे लागू करने में पूरी तरह शामिल होती है। वास्तव में यह पानी समिति सरकारी व्यवस्था की मदद से अपने गाँव के लिए पंच-वर्षीय ‘ग्राम कार्य योजना’ (यानि ‘विलेज एक्शन प्लान’) तैयार करती है, जो गाँव में उपलब्ध जल-स्रोतों और गाँव की भावी आवश्यकता को ध्यान में रख कर बनाई जाती है। देशभर में अब तक लगभग 3.82 लाख से ज़्यादा ‘ग्राम कार्य योजनाएं’ तैयार हो चुकी हैं, जिन पर काम भी शुरू हो गया है। ​गाँव में एक बार जल आपूर्ति प्रणाली के तहत बुनियादी ढांचा और व्यवस्था स्थापित हो जाने पर पानी समिति गाँव के लिए एक ‘स्थानीय लोक जल प्रदाय संस्था’ (जिसे अंग्रेज़ी में ‘पब्लिक यूटिलिटी’ कहते हैं ) के रूप में कार्य करने लगती है। ग्रामीण समाज में चूंकि महिलाएं सदियों से घर के पानी का प्रबंध करती आई हैं, अतः उनकी इसी काबलियत का भरपूर उपयोग करते हुए जल जीवन मिशन ने व्यवस्था की है कि प्रत्येक पानी समिति में 50% सदस्य महिलाएं हों। साथ ही, ग्रामीण समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों को भी उनके अनुपात में इस पानी समिति में प्रतिनिधित्व दिया जाता है, ताकि समाज का कोई भी अंग पीछे न छूटने पाये। देश के लगभग 6.5 लाख गांवों में से अब तक 4.69 लाख से ज़्यादा गांवों में ऐसी पानी समिति गठित की जा चुकी हैं, जिन्होने कार्य भी शुरू कर दिया है।
​ये ग्रामीण भारत की इन्हीं ग्राम कार्य योजनाओं और पानी समितियों का कमाल है कि आज देश 9 करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन उपलब्ध करने के आंकड़े को पार कर गया है। पानी समितियों को उनके इस काम में मार्गदर्शन करने, सक्षम बनाने और प्रारम्भिक दौर में उनकी उंगली पकड़ने के लिए प्रत्येक गाँव में ‘कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियों’ (जिन्हें आम तौर पर ‘आइ.एस.ए.’ कहा जाता है) को अनुबंधित किया गया है, ताकि पानी समिति को सब काम अच्छी तरह समझ में आ जाए, और भविष्य में वे स्वयं सक्षम हो जाएँ। पंचायत, ज़िला और राज्य-स्तर के अधिकारियों/ कार्मिकों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था जल जीवन मिशन के अंतर्गत की गई है, ताकि यह मिशन केवल जल के दोहन तक ही सीमित न रह जाए बल्कि जल-स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन पर भी उतना ही ध्यान दिया जा सके। इससे जल जीवन मिशन देश में जल-सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकेगा। अगस्त 2019 के बाद से देखा जा रहा है कि जल आपूर्ति प्रणालियों का स्वामित्व ग्राम-स्तर की संस्थाओं को प्रदान करने का जो अभूतपूर्व कदम उठाया गया है उसका स्थानीय समुदाय ने भरपूर स्वागत किया है और इससे ग्राम-स्तर पर ‘ज़िम्मेदार और संवेदनशील नेतृत्व’ विकसित करने में भी मदद मिली है।

​जल जीवन मिशन के तहत घरों को सप्लाई किए जाने वाले पानी की क्वालिटी, यानि गुणवत्ता भी पूरी तरह सुनिश्चित की जाती है, ताकि इन सभी 9 करोड़ से ज़्यादा नल कनेक्शनों का पानी इतना शुद्ध हो कि लोग सीधे नलके से पानी पी सकें। इसके लिए प्रत्येक गाँव में वहीं की 5 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है कि वे ख़ास तरह की तकनीक से बने ‘फ़ील्ड टेस्ट किट्स’ (जिन्हें आसानी के लिए ‘एफ़.टी.के.’ कहा जाता है) की मदद से गाँव के नलकों और जल स्रोत की समय-समय पर जांच कर सकें। अब तक देशभर में 9 लाख ग्रामीण महिलाओं को ऐसी ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सरकारी स्तर पर भी सभी जल स्रोतों और सप्लाई हो रहे पानी की साल में 1-2 बार जांच की जाती है और फिर देशभर से मिली उन जांच रिपोर्ट को जल जीवन मिशन की एक विशेष राष्ट्रव्यापी ‘जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली’ (डबल्यू.क्यू.एम.आइ.एस.) में प्रविष्ट किया जाता है, ताकि कोई भी कमी पाये जाने पर सभी चौकस हो जाएँ और उपयुक्त कदम उठा कर उस कमी को तत्काल दूर किया जा सके। इस सूचना प्रणाली में एफ़.टी.के. के जरिये की गई जल गुणवत्ता जांच की रिपोर्ट और जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं से मिली रिपोर्ट को भी शामिल किया जाता है। देशभर में फैली 2,000 से ज़्यादा ‘जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं’ को अब तक आम लोगों के लिए खोल दिया गया है, ताकि कोई भी व्यक्ति एक छोटा सा शुल्क दे कर पानी के नमूने की जांच करवा सकता है। इसके अलावा, घरेलू तथा ग्राम स्तर पर इस्तेमाल किए जा सकने योग्य ‘पोर्टेबल वॉटर क्वालिटी टैस्टिंग’ उपकरण भी विकसित किए जा रहे हैं, जो जल्द ही बाज़ार में उपलब्ध हो जाएंगे।
​बच्चों को पानी से फैलने वाली बीमारियां जल्दी हो जाती हैं। इसी कारण ‘जल जीवन मिशन’ के तहत स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं में नल से शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का विशेष प्रावधान किया गया है। इससे गांवों के बच्चों में पानी से फैलने वाली बीमारियों में कमी आएगी, जिससे बच्चों-विद्यार्थियों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा और वे अपनी पूरी ताकत पढ़ाई-लिखाई में लगा सकेंगे। बच्चों के लिए शुद्ध पेयजल के महत्व को भलीभाँति स्वीकार करते हुए, 2020 में गांधी जयंती के दिन जल जीवन मिशन के तहत एक विशेष अभियान शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में नल से पेयजल की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर करना था। इस विशेष अभियान के तहत किए गए अथक प्रयासों का ही फल है कि अब देशभर में फैले 8.46 लाख (82%) से ज़्यादा स्कूलों तथा 8.67 लाख (77.61%) से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्रों में नल से साफ पानी की आपूर्ति होने लगी है। अब जब बच्चे फिर से स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं को लौटने लगे हैं, तब उन्हें उनके उपयोग के लिए यह नल से जल उपलब्ध हो रहा है। शिक्षा के इन केन्द्रों में वर्षाजल संचयन और ‘ग्रेवॉटर’ प्रबंधन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बचपन के इस दौर में बच्चों को जल संरक्षण के विभिन्न पहलुओं से अवगत करने से वे जल संबंधी अच्छी आदतें सीख सकेंगे, जिससे भविष्य में वे निरंतरता पर आधारित सुखी जीवन जी पाएंगे।

​जल जीवन मिशन कुछ खास इलाकों में शुद्ध पेयजल शीघ्रता के आधार पर उपलब्ध कराये जाने की आवश्यकता को भी भलीभांति समझता है। इसीलिए इस मिशन के तहत जल गुणवत्ता प्रभावित बसावटों, सूखाप्रभावित और रेगिस्तानी क्षेत्रों, जे.ई.-ए.ई.एस. प्रभावित तथा आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों तथा सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों, आदि को प्राथमिकता दी जाती है। ​
‘जल जीवन मिशन’ की इस अद्भुत सफलता में नवीनतम टेक्नॉलॉजी के भरपूर उपयोग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्रामीण लोगों को समुचित जल-आपूर्ति सेवा (‘सर्विस डिलीवरी’) प्रदान करने तथा समूची प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और धनराशि का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम टेक्नॉलॉजी का भरपूए उपयोग किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लग रहे नल जल कनेक्शनों की संख्या और खर्च की जा रही धनराशि पर निरंतर नज़र रखने के लिए जे.जे.एम.-आइ.एम.आइ.एस. जैसी पुख्ता सूचना प्रबंधन प्रणाली इस्तेमाल की जा रही है, जिसके ‘डैशबोर्ड’ से कोई भी आम व्यक्ति जानकारी हासिल कर सकता है। इसके लिए आप ejalshakti.gov.in वैबसाइट पर जा कर ‘डैशबोर्ड’ पर क्लिक करें। आपको तत्काल सारी जानकारी मिल जाएगी। लिंक इस प्रकार है:
https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx

ग्रामीण घरों में नल से पहुँच रहे जल की मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता पर हर वक़्त नज़र रखने के लिए सेन्सर-आधारित आइ.ओ.टी. प्रणाली भी परीक्षण के तौर पर आजमाई जा रही है। जल-आपूर्ति के लिए बनाए गए प्रत्येक ढांचे और परिसंपत्ति की फोटो ‘जियो-टैगिंग’ की जा रही है। किसी अकेले गाँव के लिए जल-आपूर्ति परियोजना (सिंगल विलेज स्कीम) बनाते समय पेयजल-स्रोत का पता लगाने और एक्वीफ़र रीचार्ज स्ट्रक्चर बनाने के लिए हाइड्रो-जियो मॉर्फ़ोलॉजिकल (एच.जी.एम.) नक्शों का इस्तेमाल किया जाता है। जल जीवन मिशन के तहत घर-घर में लगाए जा रहे नल कनेक्शनों का पक्का हिसाब रखने के लिए उन्हें घर के मुखिया के आधार नंबर से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा, मिशन के तहत होने वाले तमाम वित्तीय लेनदेन सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (‘पी.एफ़.एम.एस.’) द्वारा किए जाते हैं। यानि पूरा वित्तीय लेन-देन हर प्रकार से पारदर्शी बनाया गया है।

​जल जीवन मिशन में आम नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने तथा उनकी रुचि जगाने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2021 को ‘जे.जे.एम. मोबाइल ऐप’ का लोकार्पण किया था। उपयोग में आसान यह ऐप ‘जल जीवन मिशन’ के कार्यान्वयन, उसकी प्रगति, मिशन से संबन्धित आई.ई.सी. सामग्री तथा कार्यक्रम संबंधी नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराता है। इसके जरिये कोई भी जे.जे.एम. डैशबोर्ड, विभिन्न संस्थाओं के लिए जारी दिशा-निर्देश/ मार्गदर्शिका, जल आपूर्ति से जुड़ी सम्पत्तियों की एसेट टैगिंग और डाटा अप्डेशन; ग्राम पंचायत/ पानी समिति द्वारा ‘हर घर जल’ की घोषणा, आदि जैसी तकनीकी जानकारी भी हासिल कर सकता है।
​जल जीवन मिशन के तहत गांवों में जल आपूर्ति कार्यों को तेज़ी से पूरा करने के लिए, और साथ ही स्थानीय जल आपूर्ति प्रणालियों के नियमित प्रचालन और रखरखाव के लिए समुचित संख्या में हुनरमंद लोग उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थानीय युवाओं को प्लम्बर, मिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक, फ़िटर, पम्प ऑपरेटर, आदि के कार्य के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि जल आपूर्ति प्रणालियों के सुगम प्रचालन में कभी कोई व्यवधान न आए। इससे ‘जल जीवन मिशन’ ग्रामीण इलाकों में रोज़गार के अवसर पैदा करने में भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
​इस प्रकार जल जीवन मिशन ग्रामीण जीवन को कई तरीकों से और सुगम बना रहा है: एक ओर वह ग्रामीण लोगों को उनके ही घर में नल से जल उपलब्ध करा कर सुविधा के मामले में उन्हें शहरी लोगों के समकक्ष ला रहा है; दूसरी ओर वह ग्रामीण लोगों की ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ को और बेहतर बना रहा है; तीसरे, इस मिशन से महिलाओं को घर के लिए पानी ढो कर लाने की सदियों पुरानी मजबूरी से छुटकारा मिल रहा है; चौथा यह कि जल जीवन मिशन ग्राम-स्तर पर सब लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर और स्थानीय नेतृत्व को विकसित कर गांधी जी के ‘ग्राम स्वराज’ के सपने को पूरा करने की दिशा में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है; साथ ही यह मिशन गांवों के हर घर में नल से पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही स्वच्छता बनाए रखने पर भी पूरा ध्यान दे रहा है, ताकि हमारे गाँव तरल और ठोस, दोनों प्रकार के कचरे से मुक्त हो सकें; छठा यह कि जल जीवन मिशन से ग्रामीण भारत में गाँव-गाँव में रोजगार के भी नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं क्योंकि मिशन के अंतर्गत स्थापित जल आपूर्ति प्रणाली को चलाने और उसके रख-रखाव के लिए नियमित रूप से विभिन्न हुनरों में पारंगत कारीगरों की ज़रूरत पड़ती रहेगी। ग्रामीण भारत से जुड़ी इस सम्पूर्ण पृष्ठभूमि में वहाँ 9 करोड़ नल कनेक्शन उपलब्ध करा दिये जाने का आंकड़ा सम्पूर्ण भारत के लिए ही अत्यंत आशाजनक है, क्योंकि जब गाँव का भारत विकास करेगा तभी तो भारत देश अपनी संपूर्णता में आगे बढ़ कर विश्व में अपना यथोचित स्थान ग्रहण कर पाएगा। इस प्रकार 9 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेना सिर्फ एक मील का पत्थर भर नहीं, बल्कि एक उद्घोष है कि आज का भारत कुछ भी हासिल कर लेने के लिए कृतसंकल्प भी है, और साधन एवं शक्तिसंपन्न भी।

​जल जीवन मिशन की एक ख़ूबी यह भी है कि इसके लिए धन की प्रचुर मात्रा में अग्रिम रूप से ही व्यवस्था कर दी गई है। माननीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2019 को देश के 73वें स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर लाल किले की प्राचीर से इस मिशन की घोषणा के समय ही बता दिया था कि जल जीवन मिशन के लिए साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने भी जल एवं स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता मानते हुए इन दोनों कार्यों (जल एवं स्वच्छता) के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को 1.42 लाख करोड़ रुपये ‘सशर्त’ अनुदान के रूप में स्वीकृत किए हैं। इस प्रकार, जल जीवन मिशन के लिए धन की कोई कमी नहीं है। और, चूंकि यह मिशन विभिन्न प्रदेशों की भागीदारी से चलाया जा रहा है, अतः इसके कार्यान्वयन के लिए जनशक्ति भी समुचित संख्या में उपलब्ध है। इस प्रकार, जल जीवन मिशन की अद्भुत सफलता का राज़ भी माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी की ही दूरगामी सोच में छिपा है, और वह है: ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’।

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